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चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कृष्णा जल विवाद की सुनवाई से खुद को अलग किया, जानें क्‍या कहा

चीफ जस्टिस एनवी रमना ने बुधवार को आंध्र प्रदेश की तरफ से दाखिल कृष्णा जल विवाद संबंधी याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को मामले का हल मध्यस्थता से निकालने की सलाह दी थी...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 08:23 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 08:41 PM (IST)
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कृष्णा जल विवाद की सुनवाई से खुद को अलग किया, जानें क्‍या कहा
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कृष्णा जल विवाद संबंधी याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।

नई दिल्ली, पीटीआइ। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने बुधवार को आंध्र प्रदेश की तरफ से दाखिल कृष्णा जल विवाद संबंधी याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को मामले का हल मध्यस्थता से निकालने की सलाह दी थी, जिस पर राज्य की तरफ से ना कहे जाने के बाद चीफ जस्टिस ने यह फैसला लिया। आंध्र प्रदेश ने तेलंगाना पर नदी जल के उसके वाजिब हिस्से से वंचित करने का आरोप लगाया है।

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चीफ जस्टिस रमना व जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने आंध्र प्रदेश की ओर से पेश वकील जी. उमापति की उन दलीलों पर गौर किया कि राज्य मध्यस्थता के बजाय मामले में शीर्ष अदालत का फैसला चाहता है। इसके बाद चीफ जस्टिस ने आदेश दिया, 'फिर इस मामले को किसी और पीठ के समक्ष सूचीबद्ध कीजिए। अगर आप मध्यस्थता नहीं चाहते तो हम आपको विवश नहीं कर रहे हैं।'

चीफ जस्टिस ने कहा, 'वे मध्यस्थता नहीं चाहते और मैं मामले पर सुनवाई नहीं करना चाहता।' केंद्र की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ आंध्र प्रदेश की याचिका पर सुनवाई करती है तो केंद्र सरकार को कोई आपत्ति नहीं है।

आंध्र प्रदेश के रहने वाले चीफ जस्टिस रमना ने दो अगस्त को कहा था, 'मैं कानूनी रूप से इस मामले पर सुनवाई नहीं करना चाहता। मेरा संबंध दोनों राज्यों से है। अगर यह मामला मध्यस्थता से हल होता है तो कृपया ऐसा करें। हम उसमें मदद कर सकते हैं। वर्ना, मैं इसे दूसरी पीठ के पास भेज दूंगा।'

उल्लेखनीय है कि जुलाई में आंध्र प्रदेश सरकार ने शीर्ष अदालत में दाखिल याचिका में दावा किया था कि तेलंगाना सरकार आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम-2014 के तहत गठित सर्वोच्च परिषद द्वारा लिए गए फैसलों, इस अधिनियम के तहत गठित कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड (केआरएमबी) व केंद्र के निर्देशों को मानने से इन्कार कर दिया। 


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