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'लोकतांत्रिक मूल्यों को खतरे में डाल सकती है फर्जी खबरें', मीडिया ट्रायल पर बोले CJI डीवाई चंद्रचूड़

डिजिटल युग में फर्जी खबरों के खतरों को रेखांकित करते हुए प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसी खबरों में विभिन्न समुदायों के बीच तनाव पैदा करने की क्षमता होती है। ये लोकतांत्रिक मूल्यों को भी खतरे में डाल सकती हैं।

By AgencyEdited By: Mohd FaisalPublished: Thu, 23 Mar 2023 05:17 AM (IST)Updated: Thu, 23 Mar 2023 05:17 AM (IST)
'लोकतांत्रिक मूल्यों को खतरे में डाल सकती है फर्जी खबरें', मीडिया ट्रायल पर बोले CJI डीवाई चंद्रचूड़
मीडिया ट्रायल के मुद्दे पर भी बोले CJI चंद्रचूड़ (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, एजेंसी। डिजिटल युग में फर्जी खबरों के खतरों को रेखांकित करते हुए प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसी खबरों में विभिन्न समुदायों के बीच तनाव पैदा करने की क्षमता होती है। ये लोकतांत्रिक मूल्यों को भी खतरे में डाल सकती हैं।

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प्रधान न्यायाधीश बोले

बुधवार को यहां रामनाथ गोयनका पुरस्कार समारोह को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अगर प्रेस को सच बोलने से रोका जाता है तो लोकतंत्र की जीवंतता को खतरा पैदा हो जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर देश को लोकतंत्रिक रहना है तो प्रेस को स्वतंत्र रहना चाहिए।

'मीडिया ट्रायल' के मुद्दे पर भी बोले CJI

'मीडिया ट्रायल' के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा हुआ है कि मीडिया ने आरोपित को अदालत का फैसला आने से पहले ही जनता की नजरों में दोषी के तौर पर पेश कर दिया। जबकि कोई भी व्यक्ति तब तक निर्दोष होता है जब तक अदालत उसे दोषी नहीं पाती। यह कानूनी प्रक्रिया का अहम पहलू है। सीजेआइ ने कहा, 'भारत में पत्रकारों द्वारा न्यायाधीशों के भाषणों और फैसलों का चुनिंदा तरीके से उद्धरण करना भी चिंता का विषय है। इस तरीके में महत्वपूर्ण कानूनी विषयों पर जनता की समझ को विचलित करने की प्रवृत्ति है।

पत्रकारिता की भी अपनी चुनौतियां हैं- CJI

साथ ही उन्होंने कहा कि हर संस्था की तरह पत्रकारिता की भी अपनी चुनौतियां हैं। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'मौजूदा समाज में फर्जी खबरें प्रेस की आजादी और निष्पक्षता के लिए गंभीर खतरा है। यह पत्रकारों के साथ-साथ हितधारकों की सामूहिक जिम्मेदारी है कि वह रिपोर्टिंग की प्रक्रिया के दौरान किसी पक्षपात या पूर्वाग्रह को दूर रखे। फर्जी खबरें एक बार में लाखों लोगों को गुमराह कर सकती हैं और यह लोकतंत्र के मौलिक सिद्धांतों के विपरीत होगा जो हमारे अस्तित्व के नींव का निर्माण करती हैं।'

खामोशी कितनी ताकतवर हो सकती है- प्रधान न्यायाधीश

उन्होंने जिम्मेदार पत्रकारिता को इंजन करार दिया जो लोकतंत्र को बेहतर भविष्य की ओर ले जाती है। आपातकाल के दौरान इंडियन एक्सप्रेस अखबार द्वारा संपादकीय पन्ने को कोरा छोड़ने का जिक्र करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा, यह याद दिलाता है कि खामोशी कितनी ताकतवर हो सकती है। उन्होंने कहा कि आपातकाल का समय भय से युक्त समय था, लेकिन ऐसे अवसरों पर निर्भीक पत्रकारिता का उदय होता है।

43 विजेताओं को रामनाथ गोयनका पुरस्कार प्रदान किए

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि पत्रकारों और वकीलों (या उनके जैसे न्यायाधीश) में कुछ चीजें ऐसी हैं जो समान हैं। दोनों ही मानते हैं कि तलवार से अधिक ताकतवर कलम होती है। न्यायाधीशों और पत्रकारों को अपने पेशे के आधार पर नापसंद किए जाने का व्यावसायिक खतरा होता है जो सहन करना आसान नहीं है। इस मौके पर उन्होंने 2019 और 2020 के लिए 43 विजेताओं को रामनाथ गोयनका पुरस्कार प्रदान किए। इन्हें कोविड महामारी की वजह से पहले सम्मानित नहीं किया जा सका था।


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