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सीजेआइ दीपक मिश्रा बोले, अदालतों के आधारभूत ढांचे में हो आमूलचूल बदलाव

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने दिल्ली हाईकोर्ट परिसर में नवनिर्मित कोर्ट ब्लॉक का उद्घाटन किया और कहा कि अगले जन्म में वह दिल्ली हाई कोर्ट का जज बनना चाहेंगे।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 25 Jul 2018 11:42 PM (IST)Updated: Wed, 25 Jul 2018 11:42 PM (IST)
सीजेआइ दीपक मिश्रा बोले, अदालतों के आधारभूत ढांचे में हो आमूलचूल बदलाव
सीजेआइ दीपक मिश्रा बोले, अदालतों के आधारभूत ढांचे में हो आमूलचूल बदलाव

 जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। बुधवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में देश भर की अदालतों के आधारभूत ढांचे को लेकर देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) दीपक मिश्रा का दर्द छलक गया। कार्यक्रम में कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद की मौजूदगी में उन्होंने कहा कि देश की अदालतों के आधारभूत ढांचे में बदलाव की जरूरत है। इन अदालतों में कर्मचारियों, न्यायाधीश व वहां न्याय की उम्मीद में आने वाले लोगों के लिए मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। पर्याप्त कोर्ट रूम व अन्य जरूरी सुविधाएं नहीं होने के कारण बड़े पैमाने पर मामले लंबित हैं।

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उन्होंने कहा कि मैं करोड़ों रुपये की बात नहीं करता। मैं यह भी नहीं पूछना चाहता कि न्यायपालिका के मूलभूत ढांचे के लिए कितना फीसद रुपया खर्च किया गया, लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि वकीलों के लिए क्या सुविधा दी गई। अदालतों के आधुनिकीकरण के लिए क्या किया गया और वहां आने वालों लोगों को उनके मुकदमों की जानकारी मिल सके इसके लिए क्या किया गया।

इससे पहले दीपक मिश्रा ने दिल्ली हाई कोर्ट परिसर में नवनिर्मित कोर्ट ब्लॉक का उद्घाटन किया और कहा कि अगले जन्म में वह दिल्ली हाई कोर्ट का जज बनना चाहेंगे।

इस दौरान कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जजों के विवाद का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। अदालतों के मूलभूत सुविधाओं को ठीक करने के पिछले ार वर्षो में 2858 करोड़ रुपये केंद्र सरकार द्वारा दिए गए। 16 हजार से अधिक जिला अदालतों का डिजिटलाइजेशन किया जा चुका है। साल के अंत तक सभी अदालतों का डिजिटलाइजेशन हो जाएगा। दस साल से अदालतों में लंबित अपराध व सिविल मामलों को चिह्नित करके सभी प्रदेश के न्यायमूर्तियों को इसके निपटारे के लिए सूची भेजी गई है। उन्होंने आश्वस्त किया कि अदालतों के मूलभूत ढांचे में बदलाव व सुविधा के लिए जो भी जरूरत होगी केंद्र सरकार उपलब्ध कराएगी।

जजों की नियुक्ति को लेकर उठते सवालों का जवाब देते हुए कानून मंत्री ने बताया कि गत चार वर्षो में सबसे ज्यादा जजों की नियुक्ति की गई। 2016 में हाई कोर्ट में 126, 2017 में 115 और 2018 में अब तब 34 जजों की नियुक्ति हो चुकी है। कहा कि यह बीते तीस वर्षो में किसी भी सरकार द्वारा की गई सबसे अधिक नियुक्ति है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एनवी रमन्ना ने कहा कि काम के दबाव के कारण वकील जज नहीं बनाना चाहते हैं। अदालतों को अपग्रेडेशन, मॉडर्नाइजेशन और डिजिटलाइजेशन की जरूरत है। साथ ही हाई कोर्ट में लंबित मामलों को निपटाने के लिए अधिक जजों की नियुक्ति की जरूरत है।


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