जानें कैसे आपकी ही नहीं धरती की भी सेहत बिगाड़ रही सिगरेट
शोधकर्ताओं के मुताबिक सिगरेट के फिल्टर पौधों पर बुरा असर डालते हैं। फिल्टर में मौजूद फिल्टर के रासायनिक मिश्रण से ही पौधों को नुकसान पहुंच रहा है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। अगर आप समझते हैं कि सिगरेट पीकर आप सिर्फ खुद की और अगल-बगल वालों की ही सेहत बिगाड़ रहे हैं तो आप थोड़ा सही हैं। पूरा सही होने के लिए आपको हालिया हुए इस शोध की जानकारी से रूबरू होना पड़ेगा। प्रतिष्ठित जर्नल इकोटॉक्सिकोलाजी एंड एनवायरमेंट सेफ्टी में प्रकाशित अध्ययन बताता है कि सिगरेट के फिल्टर धरती के साथ पर्यावरण की भी दशा-दिशा गंभीर रूप से खराब कर रहे हैं। सिगरेट के फिल्टर में लगा फिल्टर सेल्युलोज एसीटेट फाइबर से बना होता है, जो एक तरह का बॉयोप्लास्टिक होता है। इसके अपक्षय में दशकों लग जाते हैं।
लिहाजा, लंबे समय तक इसमें मौजूद रयायन धरती की उर्वरा शक्ति को दीमक की तरह चाटते रहते हैं। उस मिट्टी में बीज अंकुरित नहीं होते हैं और अगर हो गए तो उनकी वृद्धि विकास रुक जाती है। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में हर साल 4.5 लाख करोड़ सिगरेट के फिल्टर कश लगाने के बाद फेंक दिए जाते हैं।
ऐसे बनते हैं टोटे
आमतौर पर हर सिगरेट पीने वाला यही समझता है कि उसकी सिगरेट के फिल्टर सफेद रुई से बने हैं जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है। यह फिल्टर प्लास्टिक के ही एक रूप सेल्युलोज एसीटेट से बने होते हैं। साथ ही इनके आसपास जो कागज जैसा लिपटा हुआ दिखाई देता है वह भी सेल्युलोज एसीटेट से बनाया गया नकली रेशम होता है, जिसे रेयान कहते हैं। जिन सेल्युलोज एसीटेट फाइबर से ये टोटे बनाए जाते हैं, वे सिलाई के धागे से भी महीने होते हैं। एक फिल्टर में 12 हजार से ज्यादा फाइबर का उपयोग होता है। सिगरेट के फिल्टर इस तरह से बनाए जाते हैं कि वे सिगरेट के जहरीले और टार के रूप में ठोस तत्वों को कुछ हद तक रोक लें।
अंकुरण क्षमता हो रही कम
यह शोध अंगलिया रस्किन विश्वविद्यालय के शिक्षाविदों ने किया है। सिगरेट के फिल्टर के कारण जमीन की अंकुरण क्षमता करीब 27 फीसद और पौधे की लंबाई करीब 28 फीसद कम हो जाती है। शोध में बताया गया है कि बिना उपयोग की गई सिगरेट भी उतनी ही नुकसानदायक है, जितनी उपयोग की हुई, भले ही तंबाकू के जलने से उसमें अतिरिक्त विषाक्त पदार्थ शामिल न हुए हों। अध्ययन के एक हिस्से के रूप में टीम ने कैंब्रिज शहर के विभिन्न हिस्सों से नमूने लिए तो प्रति वर्गमीटर इलाके में करीब 128 टोटे मिले।
नष्ट होने में लेते हैं लंबा समय
सिगरेट के फिल्टर आमतौर पर नष्ट होने में 18 महीने से दस साल तक का समय लेते हैं। यह समय उस इलाके पर निर्भर करता है, जहां इनको फेंका जाता है।
बेहद खतरनाक
अधिकांश फिल्टर जब फेंके जाते हैं तो उनमें तंबाकू का एक हिस्सा जुड़ा होता है जिससे निकलने वाला निकोटीन भी हमारे पर्यावरण को जहरीला बनाता है।
जैव विविधता पर असर
अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं के मुताबिक सिगरेट के फिल्टर पौधों पर बुरा असर डालते हैं। पौधे ही हमारी जैव विविधता की धरोहर हैं। फिल्टर में मौजूद फिल्टर के रासायनिक मिश्रण से ही पौधों को नुकसान पहुंच रहा है।