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सीआइसी ने दिया निर्देश, मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें सार्वजनिक करे सरकार

केंद्रीय सूचना आयोग ने 2014 से 2017 के बीच मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों को सार्वजनिक करने का प्रधानमंत्री कार्यालय को निर्देश दिया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 21 Oct 2018 10:32 PM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2018 10:41 PM (IST)
सीआइसी ने दिया निर्देश, मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें सार्वजनिक करे सरकार
सीआइसी ने दिया निर्देश, मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें सार्वजनिक करे सरकार

 नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय सूचना आयोग ने 2014 से 2017 के बीच केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों को सार्वजनिक करने का प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को निर्देश दिया है। उसने इन शिकायतों पर की गई कार्रवाई का ब्योरा भी साझा करने का सरकार को आदेश दिया है।

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 भारतीय वन सेवा (आइएफएस) संवर्ग के अफसर संजीव चतुर्वेदी की याचिका पर फैसला सुनाते हुए मुख्य सूचना आयुक्त (सीआइसी) राधा कृष्ण माथुर ने उपरोक्त निर्देश दिया। साथ ही सीआइसी ने मौजूदा सरकार के कार्यकाल के दौरान विदेश से लाए गए काले धन के अनुपात और मूल्य के बारे में सूचना देने और इस संबंध में की गई कोशिशों के रिकॉर्ड उपलब्ध कराने का भी पीएमओ को आदेश दिया।

इसी क्रम में केंद्रीय सूचना आयोग ने विदेश से लाए काला धन से भारतीय नागरिकों के बैंक खातों में सरकार द्वारा जमा की गई रकम के बारे में जानकारी को भी सार्वजनिक करने का पीएमओ को निर्देश दिया।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने काले धन के संबंध में आरटीआइ अर्जी के जरिये पूछे गए संजीव चतुर्वेदी के सवालों को 'सूचना' की परिभाषा के दायरे से बाहर का बताया था। लेकिन मुख्य सूचना आयुक्त ने पीएमओ की यह दलील ठुकरा दी।

सीआइसी माथुर ने कहा, 'प्रतिवादी (पीएमओ) ने आरटीआइ आवेदन के प्रश्न संख्या चार (विदेश से लाया गया काला धन) तथा प्रश्न क्रमांक पांच (विदेश से लाए गए कालेधन से भारतीय नागरिकों के बैंक खातों में जमा कराई गई धनराशि) पर अपने जवाब में यह बात गलत कही है कि आवेदक द्वारा किए गए अनुरोध आरटीआइ अधिनियम की धारा 20(एफ) के तहत 'सूचना' की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आते हैं।'

आइएफएस अधिकारी चतुर्वेदी ने अपने आरटीआइ आवेदन में केंद्र सरकार की 'मेक इन इंडिया', 'स्किल इंडिया', 'स्वच्छ भारत' और 'स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट' जैसी विभिन्न परियोजनाओं के बारे में भी जानकारी मांगी थी। पीएमओ से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने केंद्रीय सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया।


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