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सीआइसी ने पूछा, भारत ने क्यों स्वीकार की 'गोर्शकोव' की बढ़ी हुई कीमत

आयोग ने रक्षा मंत्रालय से यह भी बताने को कहा है कि भारत ने नया पोत खरीदने की जगह पुराने पोत के नवीनीकरण का विकल्प ही क्यों चुना।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Sun, 21 May 2017 09:12 PM (IST)Updated: Sun, 21 May 2017 09:12 PM (IST)
सीआइसी ने पूछा, भारत ने क्यों स्वीकार की 'गोर्शकोव' की बढ़ी हुई कीमत
सीआइसी ने पूछा, भारत ने क्यों स्वीकार की 'गोर्शकोव' की बढ़ी हुई कीमत

नई दिल्ली, प्रेट्र। रूस की ओर से विमान वाहक पोत एडमिरल गोर्शकोव (अब आइएनएस विक्रमादित्य) के नवीनीकरण की लागत बढ़ाने पर भारत ने अपनी सहमति क्यों दी, केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) ने इसका कारण बताने के निर्देश दिए हैं। आयोग ने रक्षा मंत्रालय से यह भी बताने को कहा है कि भारत ने नया पोत खरीदने की जगह पुराने पोत के नवीनीकरण का विकल्प ही क्यों चुना।

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तत्कालीन राजग सरकार ने 2004 में इस पोत को 97.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर में खरीदने का समझौता किया था। 2010 में इसकी लागत बढ़ाकर 2.35 अरब अमेरिकी डॉलर कर दी गई। सूचना के अधिकार कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल के आवेदन पर आयोग ने नौसेना को पोत की शुद्ध अंतिम लागत और भारत की ओर से किए भुगतान की तिथियां भी बताने को कहा है।

नौसेना सूचना आयोग को यह कहकर दिग्भ्रमित करने का प्रयास कर रही थी कि यह सूचना रक्षा मंत्रालय उपलब्ध कराएगा, लेकिन मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया कि सभी फाइलें नौसेना मुख्यालय के अधिकार में हैं और उन्हें विवरण उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। सूचना आयुक्त अमिताव भट्टाचार्य ने नौसेना को निर्देश दिया है कि वह फाइल नोटिंग, पत्राचार और रूस की ओर से लागत बढ़ोतरी की मांग पर सहमति संबंधी दस्तावेज उपलब्ध कराए। आयोग ने व्यापक जनहित में यह जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं, जबकि रक्षा मंत्रालय और नौसेना राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में इसे छिपा रहे थे।

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