उपहार सिनेमा अग्निकांड : 18 साल में क्या-क्या हुआ
दक्षिणी दिल्ली स्थित उपहार सिनेमा में 1997 में फिल्म बॉर्डर की स्क्रीनिंग के दौरान आग लगने से मची भगदड़ की वजह से 59 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
नई दिल्ली। दक्षिणी दिल्ली स्थित उपहार सिनेमा में 1997 में फिल्म बॉर्डर की स्क्रीनिंग के दौरान आग लगने से मची भगदड़ की वजह से 59 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
गत बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने उपहार सिनेमा के मालिक अंसल बंधुओं को 30-30 करोड़ रुपये जमा करने के लिए कहा है।
अगले तीन महीनो में इस राशि को दोनों उद्योगपतियों सुशील व गोपाल अंसल द्वारा जमा किया जाएगा। इससे यह स्पष्ट हो गया कि उपहार सिनेमा अग्निकांड में दोनों को ही सजा नहीं होगी।
आइए, जानते हैं कि 18 साल चली इस कानूनी लड़ाई में कब, कौन से मोड़ आए:
3 जून, 1997 : बॉर्डर फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान भगदड़ मची, 59 की मौत, 100 से ज्यादा घायल।
22 जुलाई : उपहार सिनेमा के मालिक सुशील अंसल और उनके बेटे प्रणव को मुंबई में गिरफ्तार कर लिया गया।24 जुलाई : मामले की जांच दिल्ली पुलिस को और फिर सीबीआई को सौंप दी गई।
15 नवंबर : सीबीआई ने थिएटर मालि सुशील और गोपाल अंसल के साथ ही 16 लोगों के खिलाफ चार्जशीट पेश की।
10 मार्च, 1999: सत्र न्यायालय ने एलडी मलिक की याचिका को सुनवाई के स्वीकार कर लिया।
27 फरवरी, 2001: अदालत ने आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत सामूहिक हत्याकांड, मौत को नजरअंदाज करना और घायल करने का मामला दर्ज किया।
23 मई : मामले की सुनवाई की रिकॉर्डिंग शुरू की गई।
4 अप्रैल, 2002 : दिल्ली हाइकोर्ट ने सत्र न्यायालय से कहा कि वो मामले के ट्रायल को 15 दिसंबर तक पूरा करे।27 जनवरी, 2003: अंसल ने थिएटर को बेचने की अनुमति मांगी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। क्योंकि यह महत्वपूर्ण सबूत के रूप में उपयोग किए जाने वाले स्थल था।
24 अप्रैल : दिल्ली हाइकोर्ट ने मृतकों तथा घायलों के परिवारों को बतौर क्षतिपूर्ति 180 मिलियन रुपए देने का आदेश दिया।
4 सितंबर, 2004: अदालत ने आरोपियों की सुनवाई की रिकॉर्डिंग शुरू की।
5 नवंबर, 2005 : अतिरिक्त सेशन जज ममता सहगल ने थिएटर का निरीक्षण किया।
22 अक्टूबर, 2007: अदालत ने फैसले के लिए 20 नवंबर की तारीख मुकर्रर की।
20 नवंबर, 2007: अदालत ने गोपाल तथा सुशील अंसल सहित सभी 12 आरोपियों को दो साल कैद की सजा सुनाई।
4 जनवरी, 2008: दिल्ली हाइकोर्ट ने अंसल बंधुओं को जमानत दी।
11 सितंबर : सुप्रीम कोर्ट ने अंसल की जमानत खारिज की, जिसके बाद उन्हें तिहार जेल भेज दिया गया।
21 अप्रैल, 2015: मामले की सुनवाई नई बेंच ने शुरू की।
19 अगस्त: सुप्रीम कोर्ट ने अंसल को आरोपों से मुक्त करते हुए जुर्माना भरने का आदेश दिया।
साभारः नई दुनिया