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Coronavirus: हर किसी के लिए संजीवनी नहीं है क्लोरोक्विन, बहुत सावधानी से उपयोग की है जरूरत

Coronavirus शोध में सामने आया था कि हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्वीन मानव शरीर की कोशिकाओं में कुछ ऐसा रसायनिक परिवर्तन कर देता है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 08 Apr 2020 07:34 PM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 07:35 PM (IST)
Coronavirus: हर किसी के लिए संजीवनी नहीं है क्लोरोक्विन, बहुत सावधानी से उपयोग की है जरूरत
Coronavirus: हर किसी के लिए संजीवनी नहीं है क्लोरोक्विन, बहुत सावधानी से उपयोग की है जरूरत

नीलू रंजन, नई दिल्ली। कोरोना काल में मलेरिया की जिस दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन को लेकर जिसे संजीवनी बूटी माना जा रहा है और पूरे विश्व में रुचि बनी हुई है, उसका उपयोग दरअसल बहुत सावधानी से किए जाने की जरूरत है। वैज्ञानिकों में इस दवा को आम जनता के लिए खुले इस्तेमाल करने की छूट देने को लेकर सशंकित हैं। और इसीलिए पिछले कुछ दिनों से तेजी से बढ़ रही कोरोना संक्रमितों की संख्या के बावजूद यह दवा केवल मरीजों के इलाज में जुटे स्वास्थ्यकर्मी को ही दिया जा रहा है। दूसरों के लिए यह वर्जित है क्योंकि स्वास्थ्यकर्मी की स्वास्थ्य की जांच लगातार हो रही है।

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आइसीएमआर के डॉक्टर रमन गंगाखेड़कर के अनुसार इस दवा के कुछ साइड-इफेक्ट भी हैं। यदि कोई व्यक्ति पहले से किसी दूसरी बीमारी से ग्रसित है, तो यह खतरनाक भी साबित हो सकता है। इसी तरह इसकी अधिक मात्रा भी सेहत को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है। इसीलिए इस दवा की खुली बिक्री को प्रतिबंधित करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि आइसीएमआर कोरोना वायरस के खिलाफ हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्वीन के प्रभावी होने का अध्यनन कर रहा है और नतीजे सही आने पर आम जनता को भी इसके इस्तेमाल की अनुमति दे दी जाएगी।

सार्स कोरोना वायरस पर हो चुका है परीक्षण

नए कोरोना वायरस फैलने के बाद इसके इलाज के लिए हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्वीन की तरफ दुनिया भर के वैज्ञानिकों का ध्यान यूं नहींगया। दरअसल 2002 में सार्स कोरोना वायरस के फैलने के बाद प्रयोगशाला में परीक्षण के दौरान हाइड्रोक्सी-क्लोक्वीन को इस वायरस को रोकने में सफल पाया गया था। शोध में सामने आया था कि हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्वीन मानव शरीर की कोशिकाओं में कुछ ऐसा रसायनिक परिवर्तन कर देता है कि सार्स कोरोना का वायरस मानव कोशिका से जुड़कर अपनी संख्या बढ़ाने में असमर्थ हो जाता है। जबकि वायरस के पनपने और अपनी संख्या बढ़ाने के लिए इसका मानव कोशिका से जुड़ना जरूरी है। इस कारण वायरस का प्रभाव सीमित हो जाता है और धीरे-धीरे स्वत: समाप्त हो जाता है। प्रयोगशाला में यह प्रयोग तो सही पाया गया, लेकिन उसके बाद मानव शरीर के भीतर इसका परीक्षण नहीं हो सका। कोरोना वायरस भी सार्स की तरह कोरोना फैमली का एक वायरस है।

हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्वीन के इस्तेमाल पर आइसीएमआर की गाइडलाइंस

नए कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में लगे स्वास्थ्य कर्मियों के लिए आइसीएमआर की ओर से पहले दिन 400 एमजी की हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्वीन की दो गोली लेने और बाद में सात हफ्ते तक हर हफ्ते एक-एक गोली लेने की सलाह दी गई है। लेकिन कोरोना के मरीजों के करीब रहने वालों के लिए तीन हफ्ते तक इसका इस्तेमाल करने को कहा है। स्वास्थ्य कर्मियों के लिए लंबे समय तक इस्तेमाल करने की इजाजत इसीलिए दी गई है वे लगातार किसी न किसी कोरोना मरीज के संपर्क में रहते हैं और उससे ग्रसित होने का खतरा बना रहता है। जबकि मरीज के करीबी उसके ठीक होने के बाद इस खतरे से मुक्त हो जाते हैं।

एक जैसा है क्लोरोक्वीन और हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन

हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन और क्लोरोक्वीन में कोई खास अंतर नहीं है और दोनों ही समान रूप से प्रभावी हैं। दरअसल हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्वीन क्लोरोक्वीन का ही परिमार्जित रूप है। जिसमें क्लोरोक्लीन के कुछ दुष्प्रभावों को हटा दिया गया है।


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