Chinese Visa Case: कार्ति चिंदबरम के सहयोगी भास्कर रमन को CBI ने विशेष अदालत में किया पेश, मिली 4 दिन की रिमांड
कथित वीजा घोटाला मामले में कार्ति चिदंबरम के करीबी और चार्टर्ड अकाउंटेंट एस. भास्कर रमन को सीबीआई ने आज दिल्ली की विशेष अदालत में पेश किया। यहां से कोर्ट ने भास्कर रमन को चार दिन की सीबीआई रिमांड पर भेज दिया।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम के करीबी व सहयोगी एस. भास्कर रमन को केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) ने गुरुवार को दिल्ली की एक विशेष अदालत में पेश किया। यहां से उसे चार दिन की सीबीआई रिमांड पर भेज दिया गया। इससे पहले भास्कर रमन को चेन्नई की एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया था, जहां से उसे एक दिन के ट्रांजिट रिमांड पर भेजा गया था।
भास्कर रमन को Chinese Visa Case में 18 मई को गिरफ्तार किया गया था। यह मामले में पहली गिरफ्तारी है। मंगलवार को सीबीआइ ने चिदंबरम के देशभर में करीब सात ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस छापेमारी के बाद चिदंबरम ने ट्वीट किया था कि जांच एजेंसी को इस दौरान कुछ नहीं मिला। उन्होंने ये भी लिखा था कि सीबीआइ ने इस दौरान जो पेपर दिखाए उसमें उनका नाम बतौर आरोपी शामिल नहीं था।
यह है पूरा मामला
मामला पैसे लेकर वीजा दिलाने से जुड़ा हुआ है। इसमें पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम भी फंसे हुए हैं। सीबीआइ ने इस मामले में जो एफआइआर दर्ज की है उसके अनुसार ये मामला 2011 का है। उस वक्त पी चिदंबरम गृह मंत्री थे। एक चीनी कंपनी शानडोंग इलेक्टि्रक पावर कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन (सेप्को) को पंजाब के मनसा में पावर प्लांट बनाने का ठेका तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (टीएसपीएल) से मिला था।
सीबीआइ के अनुसार, पावर प्लांट के निर्माण में हो रही देरी और समय पर काम पूरा नहीं कर पाने की स्थिति में लगने वाले भारी जुर्माने से बचने के लिए सेप्को को अतिरिक्त चीनी विशेषज्ञों को लाने की सख्त जरूरत थी। लेकिन गृह मंत्रालय द्वारा ऐसी कंपनियों के लिए जारी होने वाले वीजा की संख्या सीमित होने के कारण सेप्को विशेषज्ञों को नहीं ला पा रही थी।
कार्ति चिदंबरम तक पहुंची 50 लाख की रकम
ऐसे में टीएसपीएल के वाइस प्रेसिडेंट विकास मखारिया ने पी चिदंबरम के करीबी एस भास्कर रमन से संपर्क किया। भास्कर रमन ने 50 लाख रुपये के एवज में काम कराने का भरोसा दिया। उसके बाद चीनी कंपनी के 263 विशेषज्ञों के वीजा को बढ़ा दिया गया। इसके बाद फर्जी इनवाइस के जरिये 50 लाख रुपये की रकम मुंबई की कंपनी बेल टूल्स लिमिटेड को भेजी गई और वहां से वह रकम भास्कर रमन और कार्ति चिदंबरम तक पहुंच गई।
कार्ति चिदंबरम के खिलाफ पुख्ता सबूत
सीबीआइ की एफआइआर के अनुसार, चीनी नागरिकों को वीजा जारी किए जाने और 50 लाख रुपये की लेन-देन के सिलसिले में भास्कर रमन और विकास मखारिया के बीच लगातार ईमेल पर संवाद होता रहा। भास्कर रमन सभी ईमेल कार्ति चिदंबरम को फारवर्ड करते रहे। सीबीआइ का कहना है कि इस मामले में कार्ति चिदंबरम के खिलाफ उसके पास पुख्ता इलेक्ट्रानिक व अन्य सुबूत हैं।
एफआईआर में इन लोगों का नाम
सीबीआइ ने 14 मई को दर्ज एफआइआर में कार्ति चिदंबरम के अलावा उनके निकट सहयोगी भास्कररमन, विकास मखारिया, टीएसपीएल, बेल टूल्स लिमिटेड को भी आरोपित बनाया है। छठवें आरोपी के तौर पर अज्ञात सरकारी अधिकारी और निजी व्यक्ति को आरोपित बनाया गया है। इनके खिलाफ आइपीसी और भ्रष्टाचार निवारण कानून की विभिन्न धाराएं लगाई गई हैं।