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भारतीय सीमा में घुसे चीन की सीनाजोरी, एक तंबू और गाड़ा

भारतीय हद में चीनी सैनिकों की घुसपैठ को लेकर जारी गतिरोध का रास्ता चीन की ओर से रखी शर्त ने रोक रखा है। चीन की मांग है कि भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बनी अपनी कुछ रणनीतिक चौकियों को हटाए। सरकार में चीन की इस मांग पर मंथन चल रहा है। इस बीच, ड्रैगन ने दुस्साहस दिखाते हुए लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र में एक तंबू गाड़ दिया है। इस तरह से भारतीय हद में चीनी सैनिकों के तंबुओं की संख्या बढ़कर पांच हो गई है।

By Edited By: Published: Mon, 29 Apr 2013 09:32 PM (IST)Updated: Tue, 30 Apr 2013 10:15 AM (IST)
भारतीय सीमा में घुसे चीन की सीनाजोरी, एक तंबू और गाड़ा

नई दिल्ली [प्रणय उपाध्याय]। भारतीय हद में चीनी सैनिकों की घुसपैठ को लेकर जारी गतिरोध का रास्ता चीन की ओर से रखी शर्त ने रोक रखा है। चीन की मांग है कि भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बनी अपनी कुछ रणनीतिक चौकियों को हटाए। सरकार में चीन की इस मांग पर मंथन चल रहा है। इस बीच, ड्रैगन ने दुस्साहस दिखाते हुए लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र में एक तंबू गाड़ दिया है। इस तरह से भारतीय हद में चीनी सैनिकों के तंबुओं की संख्या बढ़कर पांच हो गई है।

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सूत्रों के मुताबिक गतिरोध खत्म करने का रास्ता निकालने के लिए चल रही कवायदों में चीन की ओर से रखी गई मांग पर मंथन हो रहा है। यह मामला चीन संबंधी मामलों पर सरकार की उच्चाधिकार प्राप्त संस्था चाइना स्टडी ग्रुप (सीएसजी) के पास है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन की अगुआई वाले सीएसजी में विदेश सचिव, रक्षा सचिव व गृह सचिव समेत कई वरिष्ठ अधिकारी हैं। इस विषय पर विभिन्न मंत्रालय व सेना से भी राय मशविरा किया जा रहा है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक चीनी शर्त के संबंध में कोई फैसला नहीं हो सका है।

सूत्र बताते हैं कि चीन का एतराज जिस भारतीय चौकी को लेकर है वह पूर्वी लद्दाख में दो पहाड़ियों के बीच है। इसकी अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है, इस रणनीतिक स्थान से चीन की ओर का बड़ा इलाका भारतीय सेना की नजर में आता है। जबकि चीनी ओर से सीधे इस चौकी पर नजर नहीं पड़ती। चौकी नजर में आने के बाद चीन ने इसे 1996 में दोनों देशों के बीच सैन्य क्षेत्र में विश्वास बहाली के उपायों के विपरीत बताते हुए एतराज जताया था।

गत 15 अप्रैल को भारतीय हद में चीनी सैनिकों की घुसपैठ को लेकर दोनों देशों के बीच 18 और 23 अप्रैल को फ्लैग मीटिंग हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक 23 अप्रैल की बैठक में चीन की ओर से चौकी हटाने की मांग करते हुए इसका भरोसा देने की शर्त रखी गई थी। हालांकि भारत की ओर से इस बारे में कोई आश्वासन नहीं दिया गया। महत्वपूर्ण है कि इस गतिरोध के चलते दोनों देशों के बीच अभी आगे किसी फ्लैग मीटिंग का भी फैसला नहीं हुआ है।

सूत्र बताते हैं कि चीन की आंख की किरकिरी बन रही यह रणनीतिक चौकी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी इलाके के राकी नाले क्षेत्र के उस स्थान से दूर है जहां दोनों देशों के सैनिक दस्ते आमने-सामने की स्थिति में मोर्चा बनाए बैठे हैं। भारतीय हद में करीब 19 किमी तक घुसे चीनी सैनिक राइफलों से लैस हैं। हालांकि सूत्रों के मुताबिक गतिरोध अभी तक शांतिपूर्ण है। दोनों पक्ष एक-दूसरे को वापस लौटने का बैनर दिखाते हुए जमे हुए हैं। चीनी सैनिकों के तंबू के बाहर लगे एक बैनर पर लिखा हुआ है, 'आप चीनी सीमा में हैं'।

माना जा रहा है कि राकी नाला क्षेत्र में 50 चीनी सैनिक हैं। चीनी फौजियों के साथ न केवल वाहन हैं, बल्कि विवादित स्थल से 25 किमी दूर स्थित स्थायी चौकी से वाहनों की आवाजाही भी हो रही है। गत 15 अप्रैल को पहली बार इलाके में चीनी सैनिकों की मौजूदगी के बाद भारत भी 17 अप्रैल से अपना निगरानी दल तैनात कर चुका है।

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