वर्षों बाद अपने परिवार से मिलने चीन के लिए रवाना हुए चीनी सैनिक वांग की
गलती से भारत में घुसे और यहीं पर परिवार बसाने वाले चीनी सैनिक वांग की आज वापस चीन लौट गए। वह वहां अपने परिवार से मिलने गए हैं।
नई दिल्ली। चीन-भारत युद्ध के कुछ हफ्तों बाद ही जनवरी 1963 में एक चीनी सैनिक को भारत में घुस आए चीनी सैनिक वांग की कि मुराद आखिरकार पूरी हो गई। 50 साल बाद ही सही लेकिन अब वो चीन में रह रहे अपने परिवार से मिल सकेगा। दोनों देशों की सरकारों नें उसकी दशकों पुरानी मांग पूरी करते हुए उसे चीन जाने की अनुमति दे दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया है कि वांग को लेने उनके परिवार के कुछ सदस्य बीजिंग एयरपोर्ट पर पहले से ही मौजूद हैं। साथ ही वांग के साथ इंडियन मिशन के दो अधिकारी भी गए हैं।
वांग की शनिवार सुबह दिल्ली से चीन के लिए रवाना हो गया। वांग गए तो लेकिन एक परिवार से मिलने के लिए उन्हें दूसरा परिवार छोड़ना पड़ गया है। दरअसल, कई साल जेल में रहने के बाद उसे साल 1969 में रिहा कर दिया गया था।
मगर, पुलिस उसे लेकर मध्य प्रदेश के तिरोदी में ले आई। जहां दोस्तों के दबाव में आकर उसने एक स्थानीय युवती सुशीला से शादी कर ली और अब उसके तीन बच्चे हैं। इतने सालों में पहली बार उसने चीन में अपने भाई से फोन पर बात की। वांग उर्फ राजबहादुर (77) लगातार चीन जाने की मांग कर रहे थे।
बेटे विष्णु वांग के मुताबिक उम्र के इस पड़ाव पर आकर उनकी अंतिम इच्छा है कि वे अपने परिवार से मिल सकें। विष्णु का कहना है कि भारत सरकार ने शर्त रखी है कि वांग की यदि चीन जाएंगे तो दोबारा भारत नहीं लौट पाएंगे।
अवैध तरीके से भारत में घुसे इस चीनी सैनिक को कई वर्षों तक जेल में रहना पड़ा। इस दौरान उनका अपने परिवार से कोई संपर्क नहीं हो सका था। साथ ही उनकी भाषा की जानकारी न होने का भी खामियाजा वांग को भुगतना पड़ा। वर्षों तक अपने परिवार से दूर रहने के बाद भी वह अपनी जगह और वहां पर बिताए दिनों को नहीं भूले। यही वजह थी कि 1969 में रिहा होने के बाद से ही उन्होंने अपनी वापसी की कोशिशें शुरू कर दी थीं।
चीनी सैनिक वांग की पांच दशक बाद लौटेंगे भारत से स्वदेश
वांग की ने अपने कुछ साथियों के दबाव में आकर मध्य प्रदेश की एक स्थानीय युवती से शादी की। वांग की अब नाती-पोते वाले इंसान हैं। उनका पूरा समय इन्हीं बच्चों के इर्द-गिर्द खेलते और खिलाते बीतता है। कई वर्षों की कोशिशों के बाद वह चीन में मौजूद अपने भाई से फोन पर बात कर पाने में सफल हो सके थे। बेटे विष्णु वांग के मुताबिक उम्र के इस पड़ाव पर आकर उनकी अंतिम इच्छा है कि वे अपने परिवार से मिल सकें। विष्णु का कहना है कि भारत सरकार ने शर्त रखी है कि वांग-ची यदि चीन जाएंगे तो दोबारा भारत नहीं लौट पाएंगे।