सीमा पर चीन की घुसपैठ, दिल्ली में अमन की बातें
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बीते एक महीने में कई बार भारतीय क्षेत्र में चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद मंगलवार को भारत और चीन के बीच सीमा मामले पर परामर्श और तालमेल के लिए बने साझा तंत्र की बैठक हुई। बीते डेढ़ साल के दौरान तीसरी बार हो रही इस तंत्र की दो दिवसीय बैठक में ताजा घुसपैठ के मामले और
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बीते एक महीने में कई बार भारतीय क्षेत्र में चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद मंगलवार को भारत और चीन के बीच सीमा मामले पर परामर्श और तालमेल के लिए बने साझा तंत्र की बैठक हुई।
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बीते डेढ़ साल के दौरान तीसरी बार हो रही इस तंत्र की दो दिवसीय बैठक में ताजा घुसपैठ के मामले और उन्हें रोकने के उपायों का मुद्दा छाया रहा। बातचीत की मेज पर सीमा पर अप्रिय स्थिति टालने के लिए विश्वास बहाली के उपायों पर भी बातचीत होनी है।
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैय्यद अकबरुद्दीन ने बताया कि यह बैठक दोनों पक्षों के बीच सतत संवाद की प्रक्रिया का हिस्सा है। इस बैठक में सीमा पर शांति बनाए रखने से जुड़े सभी विषयों पर चर्चा हो रही है। भारत की ओर से वार्ता की अगुआई विदेश मंत्रालय के अधिकारी कर रहे हैं। इसमें रक्षा व गृह मंत्रलय समेत सीमा मामलों से जुड़े अन्य विभागों के अधिकारी भी हैं।
भारत में दूसरी बार हो रही वार्ता के लिए चीनी विदेश मंत्रालय में सीमा व सामुद्रिक मामले विभाग के महानिदेशक ओउ योंग यूजिंग की अगुआई में एक दल भारत आया है। वहीं, भारतीय पक्ष की अगुआई विदेश मंत्रलय में पूर्वी एशिया मामलों के महासचिव गौतम बंबावाले कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, बातचीत के एजेंडा में दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली के लिए वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच सीधी हॉटलाइन बनाने व सीमा पर संपर्क बढ़ाने के लिए अधिक स्थानों पर बैठकों का भी मुद्दा है। इसके अलावा कैलाश मानसरोवर के लिए अतिरिक्त रास्ता खोलने के प्रस्ताव पर भी चर्चा को आगे बढ़ाया जाना है। माना जा रहा है कि बैठक में किसी ठोस फैसले की उम्मीद धुंधली है।
लंबित सीमा विवाद के निपटारे तक दोनों देशों की विभिन्न एजेंसियों के बीच तालमेल व संवाद बढ़ाने के लिए बीते साल इस संयुक्त तंत्र का गठन किया गया था। इसकी पहली बैठक मार्च 2012 और पिछली बैठक नवंबर 2012 में हुई थी। दिसंबर 2010 में इस तंत्र के गठन का प्रस्ताव चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ की ओर से ही दिया गया था। जनवरी, 2012 में इसके वजूद में आने के बाद ही अप्रैल-मई, 2013 में लद्दाख के दिपसांग इलाके में दोनों मुल्कों के सैनिक दस्ते आमने-सामने की स्थिति में थे।
इतना ही नहीं लद्दाख के दिपसांग व चुमार समेत वास्तविक नियंत्रण रेखा के कई इलाकों में चीनी सैनिकों का भारतीय हद में आने का सिलसिला जारी है। बीते 11 दिन में ही ऐसी पांच घटनाएं हो चुकी हैं।
एक ओर चीनी घुसपैठ के ग्राफ में बढ़ोतरी हो रही है, जबकि मई में भारत दौरे पर आए चीनी प्रधानमंत्री ली कछ्यांग सीमा पर शांति का संकल्प जता चुके हैं। वहीं, 5 जुलाई को भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में सैन्यस्तर पर विश्वास बढ़ाने और शांति बनाए रखने के उपायों के बावजूद चीनी सेना की घुसपैठ का सिलसिला थम नहीं रहा है।
चीन नए सीमा रक्षा सहयोग समझौते (बीडीसीए) का प्रस्ताव पहले ही रख चुका है। हालांकि, विदेश मंत्रालय प्रवक्ता के अनुसार नई दिल्ली में हो रही संयुक्त तंत्र की बैठक में प्रस्तावित बीडीसीए को लेकर कोई बात नहीं होगी। वहीं, सीमा विवाद के निपटारे या उसके फार्मूले पर कोई बात होने की संभावना भी नहीं है। इसके लिए दोनों देशों के बीच विशेष प्रतिनिधि स्तर वार्ता की व्यवस्था है।
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