चीनी सेना ने गोगरा में बने अस्थायी निर्माण हटाए, 15 महीने के गतिरोध के बाद टकराव वाले स्थान से पीछे हटे सैनिक
भारतीय सेना ने शुक्रवार को कहा कि चीन के सैनिक पूर्वी लद्दाख के गोगरा इलाके से पीछे हट गए हैं। कोर कमांडर स्तर की बातचीत में हुए समझौते के अनुसार भारत-चीन ने चरणबद्ध समन्वित और सत्यापित तरीके से पीपी-17 में अग्रिम तैनाती बंद कर दी।
संजय मिश्र, नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य टकराव खत्म करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए भारत और चीन ने गोगरा इलाके से अपने सैनिकों को पीछे हटा लिया है। दोनों देशों ने गोगरा में एलएसी के पेट्रोलिंग प्वाइंट 17ए से सैनिकों को पीछे हटाने के साथ ही इस अग्रिम मोर्चे पर बनाए गए सभी अस्थायी निर्माण और बुनियादी ढांचे को भी ध्वस्त कर दिया है। गोगरा के इस पेट्रोलिंग प्वाइंट पर बीते 15 महीने से दोनों देशों के सैनिक टकराव की स्थिति में थे।
बाकी बचे मुद्दों पर जारी रहेगी बातचीत
सैनिकों को पीछे हटाने के साथ ही दोनों देश एलएसी पर बाकी बचे इलाकों के गतिरोध का हल निकालने के लिए आगे बातचीत जारी रखने पर भी सहमत हैं। दोनों देश इस पर भी राजी हैं कि एलएसी पर यथास्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं करेंगे।
दो दिनों में पूरी की प्रक्रिया
भारतीय सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भारत-चीन के सैन्य कमांडरों की बीते 31 जुलाई को चुशूल-मोल्डो पोस्ट पर 12वें दौर की वार्ता में बनी सहमति के अनुरूप गोगरा इलाके से अपने सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया दो दिनों में पूरी की गई है। दोनों देशों ने चार-पांच अगस्त को पेट्रोलिंग प्वाइंट 17ए से अपने-अपने सैनिकों को हटा लिया।
सैनिकों को पीछे हटाने को लेकर हुआ था समझौता
भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध खत्म करने की दिशा में हुई इस बड़ी प्रगति की जानकारी साझा करते हुए कहा कि सैन्य कमांडरों के बीच पश्चिमी सेक्टर में बाकी बचे इलाकों से टकराव खत्म करने को लेकर हुई गहन और खुली बातचीत में सैनिकों को पीछे हटाने पर समझौता हुआ। सेना के मुताबिक इस समझौते के अनुसार ही भारत और चीन ने गोगरा में अग्रिम मोर्चे पर तैनात अपने-अपने सैनिकों को चरणबद्ध और समन्वित तरीके से हटा लिया है।
सैनिकों को हटाने का सत्यापन भी किया
दोनों देशों ने एक दूसरे के सैनिकों को हटाने की इस प्रक्रिया का परस्पर सत्यापन भी किया है। सेना का कहना है कि गतिरोध दूर करने के लिए हुआ यह समझौता सुनिश्चित करता है कि दोनों देश इन इलाकों में एलएएसी का कड़ाई से अवलोकन करने के साथ ही इसका सम्मान भी करेंगे।
एक और मोर्चे पर टकराव खत्म
गोगरा से सैनिकों को हटाए जाने के साथ ही एलएसी पर सैन्य तनातनी के एक और मोर्चे का टकराव खत्म हो गया है। इसी के साथ पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर सैन्य टकराव के छह मोर्चों में से चार का गतिरोध दूर हो गया है।
पिछले साल से डटे थे सैनिक
गोगरा इलाके में पिछले साल मई से ही दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने के टकराव की स्थिति में डटे थे। हालांकि गोगरा में दोनों देशों के सैनिकों की संख्या और साजो-सामान गलवन और पैंगोंग झील इलाके में तैनाती के मुकाबले कम थी।
इससे पहले गलवन और पैंगोंग झील से हटाए थे सैनिक
- गोगरा से पहले गलवन, पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिण किनारे के अग्रिम मोर्चों से दोनों देशों ने अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाकर यहां बफर जोन बनाया था।
- पैंगोंग झील इलाके में इसी साल फरवरी में सैनिकों को हटाए जाने के बाद बातचीत के कई दौर के उपरांत गोगरा इलाके से सैनिकों को दोनों पक्षों ने हटाया है।
अब हाट स्प्रिंग और देपसांग में गतिरोध
- अब एलएसी पर हाट स्प्रिंग और देपसांग इन दो इलाकों में भारत और चीन के सैनिक टकराव की स्थिति में तैनात हैं।
- सेना ने एलएसी के बाकी इलाकों के टकराव का हल निकालने के लिए कमांडर वार्ता में दोनों ओर से जताई गई प्रतिबद्धता का जिक्र भी किया है।
- सेना ने यह भी स्पष्ट किया है कि भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के साथ मिलकर वह पश्चिमी सेक्टर में एलएसी पर शांति और स्थायित्व बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
पहले ही रुख स्पष्ट कर चुका था भारत
गौरतलब है कि भारत ने पहले ही कहा था कि एलएसी के सरहदी इलाकों में यथास्थिति में किसी भी प्रकार का एकतरफा बदलाव स्वीकार्य नहीं होगा। हाल ही में दोनों देशों के बीच हुई सैन्य स्तर की 12वें दौर की बातचीत में भारत ने चीन से साफतौर पर कह दिया कि वह पूर्वी लद्दाख के हाट स्प्रिंग, गोगरा और अन्य टकराव के बिंदुओं से अपने सैनिकों और हथियारों को तुरंत हटाए। भारत लगातार इस पर जोर देता रहा है कि दोनों देशों के बीच द्वीपक्षीय और सामान्य संबंधों की बहाली के लिए देपसांग, हाट स्प्रिंग और गोगरा समेत सभी मुद्दों का समाधान जरूरी है।