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चीन को नहीं मिलेगा चौबीसों घंटे निगरानी का मौका

चीन को संकेत साफ है कि इस बार न तो कदम पीछे हटेंगे और न ही दबाव बनाने की रणनीति के सामने झुकने का कोई सवाल है।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 05 Jul 2017 08:37 PM (IST)Updated: Wed, 05 Jul 2017 08:37 PM (IST)
चीन को नहीं मिलेगा चौबीसों घंटे निगरानी का मौका
चीन को नहीं मिलेगा चौबीसों घंटे निगरानी का मौका

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। चीन की तरफ से एक के बाद एक धमकियों का भारत भले ही कोई सीधा जवाब नहीं दे रहा हो लेकिन अपनी चुप्पी के जरिए ही वह जो संकेत देना चाहता है वह दे रहा है। चीन को संकेत साफ है कि इस बार न तो कदम पीछे हटेंगे और न ही दबाव बनाने की रणनीति के सामने झुकने का कोई सवाल है। चीन को यह बात नागवार गुजरी है कि जब उसकी तरफ से डोकलाम के विवादित क्षेत्र में सड़क निर्माण की भारी मशीनरी भेजी गई तो कुछ ही देर में भारत ने भी अपनी मशीनरी व अन्य साजो समान वहां तैनात कर दिया।

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इसके पीछे वजह यह है कि भारत किसी भी सूरत में चीन को यह मौका नहीं देना चाहता कि वह देश के एक बड़े भौगोलिक हिस्से (पूर्वोत्तर) पर लगातार निगरानी का ढांचा तैयार कर ले। कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक चीन के इस पूरे बखेड़े के पीछे मंशा यह है कि वह पूर्वोत्तर को शेष भारत से जोड़ने वाली सड़क के सबसे नजदीकी सीमा तक पहुंचना चाहता है। लेकिन यह तभी संभव होगा जब भूटान के साथ उसका डोकलाम क्षेत्र का विवाद का निपटारा हो। अगर चीन इस इलाके में सिर्फ 40 किलोमीटर सड़क और बना ले तो वह पूर्वोत्तर इलाके को शेष भारत से जोड़ने वाली मुख्य सड़क के बहुत करीब पहुंच जाएगा। भारत किसी भी सूरत में यह नहीं चाहेगा जब वह पूर्वोत्तर राज्यों को विकसित करने की नई मुहिम शुरु कर रहा है तो वहां की हर गतिविधि पर चीन की नजर रहे। यह एक वजह है कि भारत चीन की तरफ से लगातार उकसावे के बावजूद अपनी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है लेकिन विवादित क्षेत्र से हटने का कोई संकेत भी नहीं दे रहा है।

कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक चीन की यह पुरानी कूटनीति है कि पहले वह दूसरे देश की जमीन पर कब्जा कर लेता है और फिर मीडिया और राजनयिकों के जरिए खुद ही पीडि़त होने का राग अलापने लगता है। यह काम उसने 65-70 साल पहले तिब्बत मामले में किया था, कुछ दिनों से साउथ चाईना सी में कर रहा था और अब भूटान-सिक्किम सीमा पर भी कर रहा है। पहले उसने साजिश के तहत डोकलाम क्षेत्र में भूटान के साथ बनी सहमति का उल्लंघन किया और अब भारत पर ही आरोप लगा रहा है कि वह उसकी सीमा में घुस आया है। चीन ने दवाब बनाने की रणनीति को और आगे बढ़ाते हुए कहा है कि जब तक भारत अपनी फौज वापस नहीं बुलाता है तब तक कोई बात नहीं होगी। इस बार सारी रणनीति इसलिए है कि उसकी तरफ से विवादित हिस्से पर सड़क बनाने का काम चालू हो सके।

सूत्रों के मुताबिक मौजूदा तनाव के बावजूद भारत व चीन के बीच लगातार बातचीत हो रही है। इस बातचीत में भारत बार बार यह बता रहा है कि चीन सरकार की तरफ से सड़क निर्माण कार्य से उसकी सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता पैदा हो सकती है। भारत का मानना है कि चीन सिर्फ उसके साथ बनी सहमति का उल्लंघन नहीं कर रहा है बल्कि छोटे से देश भूटान के साथ सीमा विवाद को भी सुलझाने से भाग रहा है। वर्ष 2012 में भारत व चीन के बीच यह सहमति बनी थी कि किसी भी तीसरे देश के साथ सटे उनकी सीमा का त्रिपक्षीय आधार पर शांतिपूर्ण तरीके से समाधान किया जाएगा। इस सहमति ने भूटान से जुड़े भारत व चीन की सीमा पर शांति बनाये रखने में काफी मदद की थी लेकिन हाल के हफ्तों में चीनी सेना के आक्रामक रवैये से हालात बिगड़े हैं।

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