अरुणाचल में ब्रह्मोस की प्रस्तावित तैनाती पर भड़का चीन, कहा-बढ़ेगा तनाव
अरुणाचल प्रदेश में भारत के सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की प्रस्तावित तैनाती पर चीन ने सख़्त ऐतराज़ जताया है।
नई दिल्ली (किशोर जोशी)। भारत सरकार द्वारा अरुणाचल प्रदेश में देश की सबसे आधुनिक और खतरनाक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल 'ब्रह्मोस' की प्रस्तावित तैनाती पर चीन बौखला गया है। चाइनीज पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के मुख पत्र 'पीएलए डेली' के अनुसार चीन से लगी सीमा पर इसकी तैनाती से इस क्षेत्र में स्थायित्व पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
'पीएलए डेली' में इसी हफ्ते प्रकाशित इस लेख में लिखा है, "भारत सीमा पर सुपरसोनिक मिसाइलें तैनात कर रहा है। इसने चीन के तिब्बत और युन्नान प्रांतों के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है। इस तैनाती से निश्चित तौर पर चीन-भारत संबंधों में प्रतिस्पर्धा और टकराव बढ़ेगा जिससे क्षेत्र की स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।"
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने पर्वतीय क्षेत्रों पर युद्ध के लिए विकसित 'ब्रह्मोस' के आधुनिक संस्करण से लैस एक नई रेजिमेंट की स्थापना को मंजूरी दी थी। इसकी लागत 4,300 करोड़ रुपये से अधिक की है। इस रेजीमेंट में 100 मिसाइलें, पांच मोबाइल स्वचलित लांचर और एक मोबाइल कमान पोस्ट शामिल है। रक्षा सूत्रों का कहना है कि चीन के ऐतराज के बावजूद ब्रह्मोस की तैनाती चीन से लगी सीमा पर की जाएगी क्योंकि भारत अपनी सुरक्षा को और पुख्ता करने के लिए ऐसे हथियार तैनात कर रहा है।
पीएलए में प्रकाशित इस लेख में दावा किया गया कि भारत द्वारा ऐसे कदम उठाना 'प्रतिसंतुलन और टकराव' की नीति का हिस्सा हैं। ब्रह्मोस मिसाइल 'हमलों की आकस्मिकता और प्रभावकारिता को बढ़ा सकती है'। इससे मिसाइल लांचरों और नियंत्रण केंद्रों जैसे लक्ष्यों पर भी खतरा बढ़ेगा।
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ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्मोस की रेंज तो मात्र 290 किलोमीटर की है लेकिन चीन के घबराने की असली वजह है कि इस मिसाइल की मारक गति क्षमता, जिसका चीन के पास कोई जवाब नहीं है। ब्रह्मोस ऐसी सुपरसोनिक मिसाइल है जिसकी स्पीड एक किलोमीटर प्रति संकेड है। वहीं चीन के पास मौजूद मिसाइल सबसोनिक की स्पीड 290 मीटर प्रति सेकेंड बताई जाती है। ब्रह्मोस की स्पीड चीनी मिसाइल से तिगुनी है जो फायर करने में भी कम समय लेती है।
इस मिसाइल को भारत और रूस ने मिलकर तैयार किया है। इसके मुकाबले की कोई भी मिसाइल दुनिया में किसी के पास नहीं है। इसकी तैनाती के बाद अरुणाचल से चीन के 290 किलोमीटर के दायरे में आने वाली हर जगह इसकी पहुंच में है। चीन मानता है कि इन मिसाइलों की जद में आने वाले उसके सीमा से सटे इलाकों पर तेज और सटीक हमला किया जा सकता है।
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