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जानें- क्‍या है चीन का Operation Empty Plate, जिसके तहत चीन ने लिया है बड़ा फैसला

चीन ने इस बार एक अच्‍छा फैसला लिया है। ये फैसला खाने को बचाने को लेकर लिया गया है। इसके तहत खाना बर्बाद करने वालों पर जुर्माना लगाने का फैसला लिया गया है। इस फैसले से निश्चिततौर पर अधिक लोगों का पेट भरा जा सकेगा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 09:55 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 09:55 AM (IST)
जानें- क्‍या है चीन का Operation Empty Plate, जिसके तहत चीन ने लिया है बड़ा फैसला
चीन के राष्‍ट्रपति ने लिया है बड़ा फैसला

डॉ. नीलम महेंद्र। कोरोना महामारी को लेकर दुनिया भर के निशाने पर रहने वाला चीन एक बार फिर खबरों में है। दरअसल चीन की सरकार अपने देश में एक अनोखी नीति बना रही है जिसमें खाना बर्बाद करने पर वहां के लोगों और रेस्तरां पर जुर्माना लगाया जाएगा। यह नीति वहां के राष्ट्र प्रमुख शी चिनफिंग के ऑपरेशन एम्प्टी प्लेट यानी खाली थाली के अंतर्गत लागू की जा रही है, ताकि लोगों को उतना ही खाने के लिए प्रेरित किया जा सके जितनी जरूरत है और खाने की बर्बादी पर लगाम लगाई जा सके। इन नए नियमों के मुताबिक प्लेट में खाना छोड़ने पर भारी जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है।

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हो सकता है कि आपको यह खबर सामान्य लगे, लेकिन यह विषय चीन ही नहीं, बल्कि भारत समेत संपूर्ण विश्व के लिए जितना मामूली सा प्रतीत होता है उससे कहीं अधिक गंभीर है। अगर यह कहा जाए कि भोजन अथवा खाद्य पदार्थो की बर्बादी मानव सभ्यता के सामने वर्तमान में महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि विश्व भर में जितना भोजन उगाया या बनाया जाता है उसमें से लगभग 35 प्रतिशत तक अनेक स्तरों पर बर्बाद हो जाता है। इस बर्बाद भोजन की कीमत अगर आंकी जाए तो लगभग एक अरब डॉलर होगी।

भारत की अगर बात करें तो 2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार हम लोग एक साल में उतना भोजन बर्बाद कर देते हैं जो ब्रिटेन जैसे देश की कुल खपत के बराबर है। यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम के मुताबिक भारत में लगभग 210 लाख टन गेहूं हर साल बर्बाद होता है जो ऑस्ट्रेलिया में होने वाले कुल उत्पादन के बराबर है। वर्ष 2018 के बीएमसी के आंकड़े बताते हैं कि मुंबई में रोजाना निकलने वाले कचरे में से 73 प्रतिशत फल-सब्जी और भोजन होता है।

देश भर में बर्बाद होने वाले खाद्य पदार्थो के आंकड़े हमें बताते हैं कि लगभग 6.7 करोड टन भोजन हमारे देश में बेकार चला जाता है जिसकी कीमत 92,000 करोड़ रुपये के लगभग बैठती है। दुनिया भर में जब 80 करोड़ लोग भूखे पेट सोने के लिए विवश हों तो इस प्रकार के तथ्य केवल अर्थव्यवस्था या पर्यावरण के लिहाज से ही चिंताजनक नहीं होते, अपितु नैतिकता के आधार पर भी शर्मनाक होते हैं। हमारे लिए यह गहन चिंतन का विषय होना चाहिए कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स यानी वैश्विक भूख सूचकांक 2020 की रिपोर्ट में 107 देशों की सूची में भारत का स्थान 94 नंबर पर है।

भारत जैसा देश जहां धरती को मां और उससे उपजे अन्न को देवता माना जाता है, जहां अनाज की पहली फसल और भोजन का पहला कौर ईश्वर को अíपत किया जाता है, वहां अन्न की बर्बादी के ये आंकड़े अत्यंत निराशाजनक हैं। फिर भी जब आज हमारे देश में एक तरफ भोजन की बर्बादी हो रही हो और दूसरी तरफ भूखे पेट सोने वालों की भी कमी न हो तो एक सभ्य समाज के नाते हमें भी अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होना चाहिए। हमें समझना चाहिए कि सरकारें अपनी रफ्तार से राष्ट्रीय स्तर पर काम करेंगी, लेकिन व्यक्तिगत तौर पर हम लोग भी अपने दैनिक जीवन में अपने आचरण में थोड़ा सा बदलाव लाकर इस समस्या से लड़ने में अपना योगदान दे सकते हैं।

क्या हम जानते हैं कि बर्बाद किया गया भोजन हमारे पर्यावरण के लिए कितना घातक होता है? फूड एंड एग्रीकल्चरल ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार आठ प्रतिशत ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन फूड वेस्ट के कारण होता है जो कालांतर में ग्लोबल वाìमग का कारण बनता है। दरअसल जब यह भोजन लैंडफिल साइट्स में कचरा बनकर पहुंचता है तो कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी गैसों के उत्सर्जन का कारण बनता है। यही कारण है कि इस विषय की गंभीरता को समझते हुए ब्रिटेन में कुछ समय पहले लव फूड हेट वेस्ट अभियान चलाया गया था, ताकि लोगों तक खाने की बर्बादी रोकने से संबंधित विभिन्न प्रकार की जानकारी और जागरूकता फैलाई जा सके।

दरसअल भोजन की बर्बादी पर्यावरण के लिहाज से इसलिए भी एक महत्वपूर्ण विषय है कि दुनिया भर में मनुष्यों का पेट भरने के लिए जितनी भूमि की आवश्यकता होती है वो चीन जैसे देश के क्षेत्रफल से भी अधिक होती है। और हर देश हर राज्य में कृषि योग्य भूमि उपलब्ध कराने के लिए जंगलों को काटा जाता है जिससे वहां रहने वाले पशुओं के लिए अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो जाता है। इस भोजन को तैयार करने के लिए पानी, बिजली, मानव श्रम, पैकिंग, ट्रांसपोर्ट, कोल्ड स्टोरेज जैसे अनेक संसाधनों का उपयोग किया जाता है, लेकिन अंतत: उसकी परिणति कचरे के रूप में हो जाती है तो सोचिए कि रोटी का वह निवाला जो हम बिना कुछ सोचे थाली में छोड़ देते हैं, वह कितना अनमोल होता है।

रोटी के उस निवाले को हमारी थाली तक पहुंचाने में इस प्रकृति के हर अंश का योगदान होता है। सूर्य से लेकर जल तक पृथ्वी से लेकर अग्नि तक। पशु से लेकर मानव तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी से लेकर सरकारी मशीनरी तक। तो उम्मीद है कि अगली बार जब हम थाली में भोजन डालेंगे तो उसकी महत्ता को समङोंगे और समझदारी के साथ उसका उपयोग करेंगे।

भोजन की बर्बादी कम करने के लिए चीन ने एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए इसके लिए जुर्माने का प्रविधान किया है। हमें भी यह संकल्प लेना चाहिए कि भोजन की बर्बादी न हो

सामाजिक मामलों की जानकार


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