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सीमा पर तनाव के बीच चीन ने ब्रह्मापुत्र और सतलज के पानी का आंकड़ा देना शुरू किया

चीन ने ब्रह्मापुत्र और सतलज नदी के पानी का आंकड़ा भारत के साथ साझा करना शुरू कर दिया है। यह एक वार्षिक आयोजन है जिसके तहत चीन इन नदियों के बारे में भारत के साथ जानकारी साझा करता है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 02 Jun 2021 04:38 PM (IST)Updated: Wed, 02 Jun 2021 04:42 PM (IST)
सीमा पर तनाव के बीच चीन ने ब्रह्मापुत्र और सतलज के पानी का आंकड़ा देना शुरू किया
चीन ने ब्रह्मापुत्र और सतलज नदी के पानी का आंकड़ा भारत के साथ साझा करना शुरू कर दिया है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। चीन ने ब्रह्मापुत्र और सतलज नदी के पानी का आंकड़ा भारत के साथ साझा करना शुरू कर दिया है। यह एक वार्षिक आयोजन है, जिसके तहत चीन इन नदियों के बारे में भारत के साथ जानकारी साझा करता है। चीन ऐसे समय में भारत को इस संबंध में जानकारी दे रहा है, जब वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य गतिरोध के चलते दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण हैं। चीन ने साल 2017 में भारत को आंकड़ा देना बंद कर दिया था।

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उस समय चीन ने कहा था कि जिन स्थलों पर पानी का जमाव होता है, वह बाढ़ के चलते बह गया है। हालांकि, चीन के इस रुख को डोकलाम में गतिरोध का नतीजा माना गया गया। बाद में 2018 में चीन ने आंकड़ा साझा करना फिर शुरू कर दिया। भारत और चीन ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है, जिसके तहत चीन पानी को लेकर सूचनाएं साझा करता है। समझौते के तहत चीन 15 मई से डाटा साझा कर रहा है।

हाल ही में चीन ने ब्रह्मपुत्र घाटी में रणनीतिक रूप से अहम हाईवे का निर्माण पूरा किया है। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक यह हाईवे अरुणाचल प्रदेश की सीमा के बेहद नजदीक है। इतना ही नहीं आने वाले समय में चीन नदी के इसी क्षेत्र में विशाल बांध का भी निर्माण करने वाला है। मालूम हो कि तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी को यारलुंग जैंगबो कहते हैं। इस राजमार्ग का निर्माण 31 करोड़ डालर (करीब 22.6 अरब रुपये) की लागत से कराया गया है।

अरुणाचल की सीमा से लगी तिब्बत की आखिरी काउंटी में प्रस्तावित इस बांध बेजोड़ होगा। ब्रह्मपुत्र के ग्रैंड कैनियोन में स्थित मीडॉग काउंटी में एक महाविशाल बांध बनाने की योजना को चीन ने अपनी 14वीं पंच वर्षीय योजना का हिस्सा बनाया है। इस योजना को इसी साल से शुरू किया जाना था। मालूम हो कि इसी साल मार्च में नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ने चीन की संसद में इसे मंजूरी दी थी। 


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