चीन को किसी दूसरे देश की 'एनएसजी' सदस्यता पर आपत्ति नहीं, बशर्तें...
भारत एनएसजी की सदस्यता के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है, लेकिन चीन और न्यूजीलैंड जैसे देशों के विरोध के कारण अभी ऐसा संभव नहीं हो पाया है।
नई दिल्ली, एएनआइ। भारत के परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में प्रवेश करने पर राजनयिक रूप से अपनी राय रखने के लिए चीन ने कहा है कि वो किसी भी देश की सदस्यता का विरोध नहीं करता है। हालांकि, प्रवेश के लिए मानक पहले से सहमत होना चाहिए।
यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में राजदूत लुओ झाहुई ने कहा, 'परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) के मुद्दे पर, हम किसी भी देश की सदस्यता का विरोध नहीं करते हैं, यह विश्वास करते हुए कि वो सदस्यता के लिए मानकों पर पहले से सहमत होना चाहिए।'
बीजिंग का कहना है कि एनएसजी में नई दिल्ली का प्रवेश अन्य सदस्यों द्वारा सहमति के सिद्धांतों के आधार पर होना चाहिए। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जींग शुआंग ने कहा, 'हम टू-स्टेप अप्रोज से जुड़े हुए हैं। पहला स्टेप एनएसजी सदस्यों को गैर-एनपीटी (परमाणु हथियारों का अप्रसार) देश के समूह में प्रवेश के लिए तय सिद्धांतों को पूरा करना पड़ता है। दूसरा, फिर विशिष्ट मामलों की चर्चाओं को आगे बढ़ाने की जरूरत होती है। भारत के अलावा, अन्य गैर-एनपीटी देश भी आवेदन कर रहे हैं। हम सभी आवेदनों को एक समान दृष्टि से देखते हैं।
बता दें कि भारत एनएसजी की सदस्यता के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है, लेकिन चीन और न्यूजीलैंड जैसे देशों के विरोध के कारण अभी ऐसा संभव नहीं हो पाया है। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों का एक समूह है जो परमाणु हथियारों के निर्माण के लिए इस्तेमाल किए जा सकने वाले सामग्रियों, उपकरणों और प्रौद्योगिकी के नियंत्रण को नियंत्रित करके परमाणु प्रसार को रोकने के लिए प्रयास करते हैं।
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