India China Tension : एलएसी पर सैनिकों को हटाने के दूसरे चरण पर भारत-चीन हुआ राजी
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के सभी अग्रिम मोर्चो से सैनिकों को आमने-सामने के टकराव से हटाने पर भारत और चीन के बीच सहमति बन गई है।
नई दिल्ली, संजय मिश्र। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के सभी अग्रिम मोर्चो से सैनिकों को आमने-सामने के टकराव से हटाने पर भारत और चीन के बीच सहमति बन गई है। दोनों देशों के सैन्य कोर कमांडरों के स्तर पर हुई मैराथन बैठक में बनी इस सहमति के बाद अब एलएसी पर तनातनी घटाने के लिए सैनिकों को पीछे हटाने के दूसरे चरण की प्रक्रिया के जल्द आगे बढ़ने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि, भारत ने चीन से यह दो टूक कहा है कि एलएसी पर तनाव घटाने के लिए केवल सैनिकों को पीछे ही नहीं हटाना होगा, बल्कि दोनों देशों के बीच सीमा प्रबंधन से जुडे़ समझौते और प्रोटोकाल की लक्ष्मण रेखा का भी पालन करना होगा। इस तरह भारत का चीन को संदेश साफ है कि 5 मई से पूर्व की यथास्थिति बहाल हुए बिना एलएसी पर सामान्य हालत की बहाली संभव नहीं है।
पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीनी अतिक्रमण से पैदा हुए सैन्य तनाव और गतिरोध का समाधान निकालने के लिए मंगलवार को दोनों देशों के कोर कमांडरों की चौथी बैठक में भारत ने एलएसी की मर्यादा का उल्लंघन अस्वीकार्य होने का चीन को संदेश दिया। भारत की ओर से स्पष्ट कहा गया कि सीमा पर शांति और स्थायित्व के लिए आपसी समझौते का पालन अपरिहार्य है। जाहिर तौर पर भारत ने इसकी पूरी जिम्मेदारी चीन की होने की बात भी साफ कर दी। पंद्रह घंटे चली कोर कमांडरों की यह सबसे लंबी बैठक थी, जिसमें सैनिकों को पीछे हटाने के पहले चरण की प्रगति की समीक्षा के साथ टकराव के बाकी अग्रिम मोर्चो से सेनाओं को हटाए जाने पर चर्चा की गई। कोर कमांडरों की यह वार्ता पूर्वी लददाख में भारत के चुशूल सेक्टर में 11 सुबह शुरू हुई जो रात दो बजे तक चली।
दोनों देश शीर्ष स्तर पर लेंगे फैसला
सूत्रों ने बुधवार को बताया कि सभी अग्रिम मोर्चो से सैनिकों को हटाने के लिए दोनों देश सहमत हो गए। हालांकि, इस प्रक्रिया को शुरू करने से पहले दोनों सैन्य कमांडरों की ओर से अपने अपने देश के शीर्ष स्तर से मंजूरी मिलने के बाद ही इस प्रक्रिया को आगे बढाने की बात कही गई। कोर कमांडर स्तर की बैठक में भारत की ओर से सेना की 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीन की ओर से मेजर जनरल लियु लिन ने हिस्सा लिया।
एलएसी पर सीमा प्रबंधन के सभी प्रोटोकाल का पालन जरूरी
सूत्रों के अनुसार इस बैठक में डेपसांग और पैंगोंग सो इलाके से सैनिकों को पीछे हटाने के बेहद जटिल और गंभीर मुद्दे पर लंबी चर्चा हुई। इसमें इन इलाकों से न केवल सैनिकों को पीछे हटाने, बल्कि अग्रिम मोर्चे पर तनाव के दौरान दोनों देशों की ओर से भारी संख्या में तैनात किए गए सैनिकों की संख्या और हथियारों की संख्या घटाने पर भी मंत्रणा हुई। भारत ने स्पष्ट किया कि सीमा पर सामान्य स्थिति की बहाली के लिए आमने-सामने के सैन्य टकराव के साथ एलएसी पर सीमा प्रबंधन के सभी प्रोटोकाल का पालन जरूरी है। हालांकि दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि दूसरे चरण में सैनिकों को टकराव के मोर्चो से हटाने के अलावा अपने अपने हथियारों और सैनिकों की संख्या में भी कमी लाएंगे।
चीन के विदेश मंत्रालय ने बैठक को लेकर कही ये बात
भारत की ओर से आधिकारिक तौर पर बैठक के नतीजों को लेकर कोई बयान जारी नहीं किया गया, लेकिन चीन के विदेश मंत्रालय ने एलएसी पर तनाव घटाने की अगले चरण की प्रक्रिया को लेकर दोनों देशों के सहमत होने की बात जरूर कही। साथ ही कहा कि भारत और चीन सहमत मुद्दों पर कदम उठाकर संयुक्त रूप से शांति और स्थायिव के लिए आगे बढ़ेंगे।
गलवन में खूनी संघर्ष से अब तक का घटनाक्रम
गलवन घाटी में 15-16 जून की रात हुए खूनी संघर्ष की घटना के बाद दोनों देशों के कोर कमांडरों के बीच 22 जून और 30 जून को दो बैठकें हुई, जिसमें 6 जून के समझौते को लागू करने पर सहमति बनी। इसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेशमंत्री वांग की बातचीत हुई और इसके बाद फिंगर चार, हॉट स्पि्रंग और गलवन घाटी से चीनी सैनिक अपने टेंट व साजोसमान लेकर पीछे हट गए हैं। भारतीय सैनिक भी इन इलाकों से इसी अनुपात में पीछे हटे हैं और दोनों सेनाओं के बीच करीब चार किलोमीटर का बफर जोन बना है। कमांडर स्तर की चौथे दौर की बैठक में भारत ने चीन को साफ कर दिया है कि यह बफर जोन स्थाई हल नहीं, बल्कि मई से पूर्व की यथास्थिति ही समाधान होगा। बहरहाल, भारत के इस रुख के बीच चीन बाकी इलाकों से सैनिकों को पीछे हटाएगा यह जरूर तय हो गया है।