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India-China Talks: चीन ने कहा - भारत से लगती सीमा पर हालात स्थिर, दोनों देशों के बीच सैन्य वार्ता कल

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने आगे कहा कि दोनों पक्ष राजनयिक और सैन्य माध्यमों से वार्ता और संवाद बनाए हुए हैं। चीन उम्मीद करता है कि भारत स्थिति को आपातकालीन मोड से नियमित दैनिक आधार वाले प्रबंधन चरण में ले जाने में मदद करेगा।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Tue, 11 Jan 2022 07:25 PM (IST)Updated: Tue, 11 Jan 2022 10:06 PM (IST)
India-China Talks: चीन ने कहा - भारत से लगती सीमा पर हालात स्थिर, दोनों देशों के बीच सैन्य वार्ता कल
दोनों देशों के बीच बुधवार को है 14वें दौर की सैन्य वार्ता (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, प्रेट्र। पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बाकी स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पर भारत-चीन के बीच माल्डो में कोर कमांडर स्तरीय 14वें दौर की सैन्य वार्ता बुधवार को होने की पुष्टि करते हुए बीजिंग ने मंगलवार को कहा है कि भारत से लगती सीमा पर वर्तमान हालात स्थिर हैं।

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चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने आगे कहा कि दोनों पक्ष राजनयिक और सैन्य माध्यमों से वार्ता और संवाद बनाए हुए हैं। चीन उम्मीद करता है कि भारत स्थिति को आपातकालीन मोड से नियमित दैनिक आधार वाले प्रबंधन चरण में ले जाने में मदद करेगा।

वहीं, नई दिल्ली में भारतीय रक्षा सूत्रों ने गतिरोध के बाकी स्थानों के मुद्दों को सुलझाने में चीन के साथ रचनात्मक बातचीत की उम्मीद जताई। याद दिला दें कि भारत और चीन के बीच 13वें दौर की सैन्य वार्ता 10 अक्टूबर, 2021 को हुई थी।

हाट स्प्रिंग इलाके को लेकर होगी वार्ता

बता दें कि मई 2020 से बनी गतिरोध की स्थिति में इस बार हाट स्प्रिंग इलाके को लेकर वार्ता होगी। इस इलाके को लेकर दोनों पक्षों में बड़ा गतिरोध बना हुआ है। इस क्षेत्र में पूर्व स्थिति बहाल करने को लेकर दोनों पक्ष 13 चक्र की वार्ता में सहमत नहीं हो पाए हैं। दोनों पक्षों की पूर्व में हुई वार्ता में पैंगोंग झील और गोगरा पहाड़ियों पर पूर्व स्थिति कायम करने को लेकर सहमति बनी। इसके परिणामस्वरूप चीन की सेना मई 2020 से पहले की स्थिति में लौटी। इन इलाकों में आगे बढ़ी भारतीय सेना भी अपने पूर्व के मोर्चो पर लौट चुकी है।

चीनी सेना की हरकत का भारत ने आक्रामक तरीके से दिया था जवाब

2020 में एलएसी पर चीनी सेना की हरकत का भारत ने आक्रामक तरीके से जवाब दिया था और कई इलाकों में चीन के सैनिकों के नजदीक बेहतर ठिकानों पर पहुंच गई थी। उसी के बाद दबाव में आया चीन समझौते और पीछे हटने के लिए तैयार हुआ।


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