अफगान मुद्दे पर चीन, रूस और पाक एक साथ, जानें- भारत पर क्या होगा असर
मॉस्को अफगान समस्या पर चर्चा के लिए पहले ही पाकिस्तानी और चीनी अधिकारियों के साथ दो बैठक कर चुका है। एक अन्य बैठक इस महीने के अंत में होनी है।
इस्लामाबाद, पीटीआई। एक कहावत आपने सुनी होगी, 'दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है '। कुछ यही पाकिस्तान और रूस के संबंधों में भी देखने को मिल रहा है। दो दशक से ज्यादा समय की प्रतिस्पर्धा के बाद रणनीतिक गुणा-भाग बदल रहा है। इस्लामाबाद और मॉस्को दशकों तक अपने बीच रिश्तों के ठंडा रहने के बाद एक नाटकीय परिदृश्य में संभावित गठबंधन का हिस्सा बनने की ओर अग्रसर हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में स्थिरता लाने के उद्देश्य से चीन, पाकिस्तान और रूस एक गठबंधन बनाने के लिए करीब आ रहे हैं। इस संगठन में तीनों देश आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट(आईएस) को एक साझा खतरे के रूप में देखते हैं। अब ये मिलकर इसका सामने करने की रणनीति बना रहे हैं।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने लिखा है कि पाकिस्तान और रूस को हाथ मिलाने को इन आशंकाओं ने विवश किया है कि हो सकता है कि अमेरिका अपने रणनीतिक हितों के चलते अफगानिस्तान में स्थिरता लाने में रुचि न रखता हो।
रिपोर्ट के अनुसार, 'इन आशंकाओं ने अब एक अभूतपूर्व घटनाक्रम में पाकिस्तान, रूस और चीन के बीच एक गठबंधन की संभावना का द्वार खोल दिया है।' इसने सेना और विदेश कार्यालय के सूत्रों के हवाले से कहा कि तीनों देश क्षेत्रीय स्थिरता लाने, खासकर अफगान युद्ध का राजनीतिक समाधान ढूंढ़ने के उद्देश्य से गठबंधन बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि चीन और रूस भी इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अमेरिका, अफगानिस्तान में संघर्ष को लंबा खींचना चाहता है। अधिकारियों ने रेखांकित किया कि इस स्थिति ने पाकिस्तान के समक्ष इस विकल्प के सिवाय कोई और विकल्प नहीं छोड़ा है कि रूस, चीन और ईरान के साथ मिलकर क्षेत्रीय समाधान किया जाए।
बता दें कि मॉस्को अफगान समस्या पर चर्चा के लिए पहले ही पाकिस्तानी और चीनी अधिकारियों के साथ दो बैठक कर चुका है। एक अन्य बैठक इस महीने के अंत में होनी है। इन बैठकों का उद्देश्य अफगान संघर्ष को लेकर एक क्षेत्रीय सहमति बनाने का है।
हालांकि रिपोर्ट में भारत के परिदृश्य से पाकिस्तान, चीन और रूस के इस गठबंधन पर बात नहीं की गई है। लेकिन यदि रूस और पाकिस्तान करीब आते हैं, तो यकीनन भारत पर इसका प्रभाव पड़ेगा। फिर भारत और अफगानिस्तान में हमेशा से अच्छे संबंध रहे हैं। अब सवाल उठता है कि क्या भारत के लिए चिंता का विषय है, चीन, रूस और पाकिस्तान का हाथ मिलाना?