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कश्मीर में आतंकियों को चीन मुहैया करा रहा है स्टील बुलेट, जवान बन रहे शिकार

स्टील बुलेट सबसे घातक हमला करने वाले जैश ए मोहम्मद के आतंकियों को ही सप्लाई किया गया था। केवल उसके आतंकी ही इस बुलेट का इस्तेमाल कर रहे हैं बाकि आतंकी एके 47 के सामान्य बुलेट का ही इस्तेमाल करते हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 31 Aug 2018 07:28 PM (IST)Updated: Fri, 31 Aug 2018 10:39 PM (IST)
कश्मीर में आतंकियों को चीन मुहैया करा रहा है स्टील बुलेट, जवान बन रहे शिकार
कश्मीर में आतंकियों को चीन मुहैया करा रहा है स्टील बुलेट, जवान बन रहे शिकार

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कश्मीर में सक्रिय आतंकियों को चीन स्टील बुलेट की सप्लाई कर रहा है। फारेंसिक जांच में स्टील बुलेट के चीन में निर्मित होने की पुष्टि हुई है। फिलहाल इन स्टील बुलेट का इस्तेमाल सिर्फ जैश ए मोहम्मद के आतंकी आत्मघाती हमले के दौरान ही कर रहे हैं।

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हिजबुल मुजाहिद्दीन और लश्करे तैयबा के आतंकियों ने अभी स्टील बुलेट का इस्तेमाल नहीं किया है। गौरतलब है कि आतंकियों के स्टील बुलेट जवानों के बुलेट प्रूफ जैकेट को भेदने में सफल होते थे।

चीन में बने होने की पुष्टि 
केंद्रीय अ‌र्द्धसैनिक बल से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किये गए स्टील बुलेट के चीन में निर्मित होने की आशंका शुरू से थी क्योंकि स्टील बुलेट काफी महंगा होता है और केवल चंद देशों के पास ही इसे बनाने की तकनीकी क्षमता है। इसका पता लगाने के लिए स्टील बुलेट को चंडीगढ़ के फारेंसिक लेबोरेटरी में भेजा गया। फारेंसिक लैब ने इसके चीन में बने होने की पुष्टि कर दी। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फारेंसिक लैब की रिपोर्ट गृहमंत्रालय को भेज दी गई है।

स्टील बुलेट सबसे घातक हमला करने वाले जैश ए मोहम्मद के आतंकियों को ही सप्लाई किया गया था। केवल उसके आतंकी ही इस बुलेट का इस्तेमाल कर रहे हैं बाकि आतंकी एके 47 के सामान्य बुलेट का ही इस्तेमाल करते हैं। स्टील बुलेट के इस्तेमाल को ध्यान में रखते हुए कश्मीर में तैनात सुरक्षा बलों को विशेष नए बुलेट प्रूफ जैकेट मुहैया कराये जा रहे हैं।

इसके साथ ही उनकी गाड़ियों को स्टील बुलेट प्रतिरोधी बनाने के लिए स्टील की एक विशेष चादर चढ़ाई गई है। यही नहीं, आपरेशन के दौरान जवानों को बुलेट प्रूफ शील्ड भी मुहैया कराया जाता है।

स्टील बुलेट की मारक क्षमता का अंदाजा सुरक्षा बलों को पिछले साल 31 दिसंबर को हुआ। उस रात पुलवामा में सीआरपीएफ कैंप पर हमले के दौरान दो आतंकियों को एक कमरे में घेर लिया गया था। आतंकियों को खत्म करने के लिए सीआरपीएफ के जवानों ने बुलेट प्रूफ शील्ड के साथ कमरे में प्रवेश किया। दोनों ओर फायरिंग हुई। फायरिंग में दोनों आतंकी भी मारे गए, लेकिन उनकी गोली से दोनों जवानों की भी मौत हो गई।

जवानों के बुलेट प्रूफ शील्ड को भेद कर लगी थी गोली 
दरअसल, आतंकियों की गोली जवानों के बुलेट प्रूफ शील्ड को भेद कर लगी थी। पता चला कि आतंकियों की ओर चलाई गई गोली का अगला भाग स्टील का बना होने के कारण बुलेट प्रूफ शील्ड उन्हें रोक नहीं पाया। सामान्य तौर पर एके 47 राइफल में इस्तेमाल की जाने वाली गोली का अगला हिस्सा तांबे का बना होता है। अभी तक कश्मीर में भी आतंकी तांबे वाली गोली का इस्तेमाल कर रहे थे। 


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