सीमा विवाद पर 36 साल से वार्ता में उलझाए हुए है चीन
भारत और चीन ने वर्ष 2003 में एनएसए स्तर की बातचीत शुरु करने का फैसला किया था। इसे विशेष प्रतिनिधि स्तरीय वार्ता का नाम दिया गया है जिसकी यह 20वीं बैठक थी।
नई दिल्ली,जेएनएन। सीमा विवाद पर भारत-चीन की एक और दौर की वार्ता के बाद भले ही दोनों पक्षों को ओर से यह कहा गया हो कि बातचीत अच्छे माहौल में हुई और दोनों वार्ताकार आगे भी बात करते रहेंगे, लेकिन सच यह है कि यह वार्ता किसी नतीजे पर पहुंचती नहीं दिख रही है। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का समाधान निकालने के वार्ता 36 साल पहले शुरु हुई थी। तबसे लेकर अब तक सीमा विवाद को ज्लद सुलझाने के लिए कई प्रयास किए गए, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात वाला है।
भारत और चीन ने वर्ष 2003 में एनएसए स्तर की बातचीत शुरु करने का फैसला किया था। इसे विशेष प्रतिनिधि स्तरीय वार्ता का नाम दिया गया है जिसकी यह 20वीं बैठक थी। विदेश मंत्रालय का कहना है कि बैठक का मुख्य उद्देश्य यह था कि किस तरह से दोनो देश आपसी रिश्तों को मजबूत बना कर उसका ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाये। वैसे भारत और चीन के विदेश मंत्रालयों ने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया कि इस बैठक में डोकलाम मुद्दे पर बात हुई या नहीं।
भूटान की सीमा पर स्थित डोकलाम को लेकर दोनो देशों के बीच जुलाई से लेकर अक्टूबर तक तनाव की स्थिति बनी रही। इसे हाल के दशकों के दौरान दोनो देशों के बीच सबसे तनाव वाला समय करार दिया गया है। माना जा रहा है कि एनएसए स्तरीय बातचीत में इस तरह के तनावपूर्ण स्थिति दोबारा न हो इसकी भी कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए क्या क्या करना होगा, इन उपायों पर भी बात हुई है।
बहरहाल, यह तो सहमति बन गई है कि दोनो देश लगातार संपर्क में रहेंगे और बातचीत का सिलसिला बनाये रखेंगे। विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी सूचना के मुताबिक विवादों का सर्वमान्य हल निकालने की कोशिश में दोनो देश एक दूसरे की संवेदनाओं का भी ख्याल रखेंगे। भारत और चीन ने यह भी स्वीकार किया है कि एशिया और विश्व में शांति, स्थायित्व व विकास के लिए जरुरी है कि इनके बीच रिश्ते भी बेहतर हो।