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बच्चों ने कराया जापानी रोबोट से इंसानों जैसा काम

जापान में साइंस एंड टेक्नोलॉजी एजेंसी है, जो ऐसे बच्चों को तराशती है, जिनके भीतर वैज्ञानिक बनने की क्षमता हो।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 23 Apr 2018 01:55 PM (IST)Updated: Mon, 23 Apr 2018 02:00 PM (IST)
बच्चों ने कराया जापानी रोबोट से इंसानों जैसा काम
बच्चों ने कराया जापानी रोबोट से इंसानों जैसा काम

रायपुर [जेएनएन]। 'हमने पहली बार देखा कि इंसान की तरह रोबोट को भी नचा सकते हैं। इंसान की तरह उससे सभी काम करा सकते हैं। जैसे चलवाना हो, स्विच ऑफ करवाना हो, गिरकर खड़े करवाना और साथ ही आवाज को महसूस करवाना हो। जापान में स्थिति आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कृत्रिम बुद्धि वाला मानव रोबोट (आसिमो) देखकर प्रदेश के छह होनहार छात्र-छात्राओं ने कुछ ऐसी प्रतिक्रिया की।

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साकुरा साइंस प्रोग्राम के तहत साइंटिस्ट की सोच लाने के लिए प्रदेश के छह बच्चों को जापान भेजा गया था। साकुरा प्रोग्राम के तहत राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान की सहायक संचालक स्मृति शर्मा बच्चों को विजिट कराकर लौटी हैं। उनके साथ राजधानी के हायर सेकेंडरी स्कूल गुमा के कक्षा 11वीं का छात्र करण साहू, दुर्ग से शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल के लक्की देवांगन, मुंगली से वैशाली और जशपुर के संकल्प शिक्षण संस्थान के तीन बच्चों में नीता सिंह, महेंद्र बेहरा और अनुप भगत जापान भ्रमण से लौटे हैं।

सुपर कम्प्यूटर देखकर जाग उठी साइंटिस्ट बनने की ख्वाहिश

बच्चों ने बताया कि मानव रोबोट (asimo) चलता है, बोलता है। जापान के मिराईकान म्यूजियम और सुपर कम्प्यूटर देखकर बच्चों के भीतर भी वैज्ञानिक बनने की ख्वाहिश जाग उठी। बच्चों ने बताया कि यहां बड़े से बड़े शोध कार्यों में सुपर कम्प्यूटर का इस्तेमाल हो रहा है। यहां के यूनिवर्सिटीज, स्कूल्स में बच्चों को साइंस में क्या भविष्य है, बेहतर एजुकेशन के लिए स्कॉलरशिप कैसे मिल सकती है, ये जानकारी दी जा रही है।

जाना भूकंप कैसे आता है और कैसे बचें

जापान का सबसे बड़ा डिजास्टर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में टैबलेट के जरिए बच्चों को डेमो करके दिखाया गया कि किस तरह से भूकंप आता है और कैसे बचना है। समुद्र के अंदर जो शोध कार्य जापान एजेंसी फॉर मेरिन साइंस इन टेक्नोलॉजी के जरिए हो रहे हैं, उसे भी दिखाया गया। इस कार्यक्रम में भारत समेत बांग्लादेश, मालदीव, इंडोनेशिया, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और श्रीलंका के बच्चों को बुलाया गया था।

भारत से छत्तीसगढ़ समेत आंध्र प्रदेश, केरल, पंजाब, राजस्थान से मिलाकर 30 विद्यार्थी गए थे। विद्यार्थियों को सर्वप्रथम 2015 के नोबल पुस्स्कार विजेता प्रो.काजीता से मिलवाया गया। इसके बाद जापान मेरीन अर्थ साइंस एवं टेक्नालॉजी एजेंसी की कार्यप्रणाली दिखाई गई। जापान सरकार ने योकोहामा, नेशनल यूनिवर्सिटी, ट्सुकुबा यूनिवर्सिटी का भ्रमण कराया गया।

क्या है साकुरा प्रोग्राम

जापान में साइंस एंड टेक्नोलॉजी एजेंसी है, जो ऐसे बच्चों को तराशती है, जिनके भीतर वैज्ञानिक बनने की क्षमता हो। इनके कुछ बेसिक मापदंड पर चयन करके इन्हें एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत साइंटिस्ट बनने के प्रति प्रेरित किया जाता है। 


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