बच्चे कर रहे निजता की मांग, परिवार की बजाय दोस्तों के साथ जन्मदिन मनाने की जताई इच्छा
बच्चे या किशोर ऐसे मामलों में दखल के लिए मददगार संस्था चाइल्ड लाइन तक पहुंच रहे हैं। भोपाल में करीब दो माह में पांच ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें 12 से 17 साल के बच्चों- किशोरों ने अभिभावकों से निजता और स्वतंत्रता की मांग की है।
भोपाल, राज्य ब्यूरो। कोरोना व लाकडाउन की वजह से लोगों की जिंदगी में बदलाव के बाद अब बच्चों के व्यवहार पर भी इसका गहरा असर दिखाई दे रहा है। अभिभावकों की रोक-टोक को बच्चे सहज रूप से नहीं ले पा रहे हैं। बच्चे या किशोर ऐसे मामलों में दखल के लिए मददगार संस्था चाइल्ड लाइन तक पहुंच रहे हैं। भोपाल में करीब दो माह में पांच ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें 12 से 17 साल के बच्चों- किशोरों ने अभिभावकों से निजता और स्वतंत्रता की मांग की है।
दखलंदाजी से परेशान कई बच्चों ने चाइल्ड लाइन में की शिकायत
उनका कहना है कि उनकी स्वतंत्रता खत्म हो रही है। वे दोस्तों के साथ जन्मदिन तक नहीं मना पा रहे हैं। मोबाइल पर खुलकर बात तक कठिन हो रही है। हालांकि, अभिभावकों व बच्चों की काउंसिलिंग कर इन मामलों को सुलझा लिया गया है। चाइल्ड लाइन की काउंसलर राशि आसवानी का कहना है कि लाकडाउन में बच्चों को माता-पिता के साथ अधिक समय बिताने का मौका मिला। इस कारण बच्चों की निजी जिंदगी में अभिभावकों की दखलअंदाजी भी बढ़ी है। इसे बच्चे पसंद नहीं कर रहे हैं।
इन मामलों ने दिखाई समस्या की गंभीरता
केस-1
कोलार क्षेत्र के 16 वर्षीय किशोर ने चाइल्ड लाइन में शिकायत की। उसने कहा लाकडाउन के बाद माता-पिता ने उसे जेब खर्च देना बंद कर दिया है। इस कारण वह दोस्तों के साथ अपना जन्मदिन नहीं मना पा रहा। वह परिवार की जगह अपने दोस्तों के साथ जन्मदिन की पार्टी करना चाहता है। काउंसलर ने किशोर को समझाया कि बाहर कोरोना का खतरा है। हालत सामान्य होने पर बाहर पार्टी कर सकता है। इसके बाद वह मान गया।
केस- 2
बागसेवनिया क्षेत्र की 16 वर्षीय किशोरी ने शिकायत की है कि उसका भाई दोस्तों के साथ बाहर घूमता है, लेकिन उस पर मोबाइल से बात करने में पाबंदी लगाई जाती है। इस मामले में भाई ने बहन से मारपीट भी की थी। स्वजनों के साथ किशोरी की काउंसिलिंग की गई।
केस-3
पिपलानी क्षेत्र के 17 वर्षीय किशोर ने नानी के खाते से धीरे-धीरे कर डेढ़ लाख रुपये निकाल लिए और दोस्तों पर खर्च कर दिए। नानी को जानकारी मिली तो हंगामा शुरू हो गया। इसके माता-पिता कामकाजी थे, इसलिए वह नानी के साथ रहता था। मामला घर का ही था इसलिए काउंसिलिंग के माध्यम से सुलझाया गया।
अभिभावकों को सलाह
- बच्चों को मोबाइल, लैपटाप के सही इस्तेमाल के बारे में बताएं।
- इंटरनेट के गलत प्रयोग से होने वाली समस्याएं भी बताएं।
- उनके लिए जो नियम बनाएं, उसका पालन खुद भी करें।
- बच्चों के लिए कोई दायरा तय करना हो तो चर्चा कर उन्हें भरोसे में लें।
- बच्चों की निजता का हनन न हो, इस तरह निगरानी जरूर रखें।
एक्सपर्ट की राय
चिकित्सा मनोविज्ञानी डॉ. राहुल शर्मा ने कहा कि परिवार एकल हो गया। अब हर किसी को दखलअंदाजी भी पसंद नहीं है। आजकल बच्चे भी एकांत (निजता) चाहने लगे हैं। उनमें समायोजन न कर पाने की समस्या भी आ रही है।
भोपाल चाइल्ड लाइन की डायरेक्टर अर्चना सहाय ने कहा कि हमारे पास उच्चवर्गीय परिवार के बच्चों के पांच- छह ऐसे मामले आए हैं, जिनमें बच्चे माता-पिता की रोक-टोक या दखलअंदाजी पसंद नहीं कर रहे हैं। सभी को अपनी निजी जिंदगी चाहिए। ऐसे मामलों को काउंसिलिंग कर सुलझाया जाता है।