लोकतंत्र में बच्चों की अपील, वोट करने जाएं तो हमारी जरूरतों पर भी सोचें
चाइल्ड राइट एंड यू ने 4 राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वे किया है। सर्वे के दौरान बच्चों का कहना है कि उनकी मांगें नेताओं तक नहीं पहुंचतीं क्योंकि वे मतदान नहीं करते।
नई दिल्ली, [माला दीक्षित]। चुनाव का मौसम है और जबकि मतदान का एक चरण बाकी है तो बच्चे क्या सोचते हैं, बच्चे अपनी सरकार से क्या चाहते हैं इसका आकलन पहली बार सामने आया है। चाइल्ड राइट एंड यू (क्राई) ने बच्चों की सरकार से उम्मीद पर एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें देशभर के बच्चों की अपेक्षाओं को सामने लाया गया है। बच्चों ने अपनी, माता-पिता व समाज की जरूरतों को बताते हुए मतदाताओं से अपील की है कि जब वे मतदान करने जाएं तो उनके (बच्चों) और उनकी जरूरतों के बारे में भी एक बार सोचें।
देश में 47.2 करोड़ से ज्यादा बच्चे हैं। यह आंकड़ा छोटा नहीं है। क्राई ने 14 राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों, झुग्गियों, छोटे नगरों और महानगरों के बच्चों, उनके माता-पिता के साथ 0-6 वर्ष के बच्चों की देखभाल करने वालों से बातचीत और परिचर्चा कर यह जानने की कोशिश की कि बच्चों की क्या आकांक्षाएं हैं।
रिपोर्ट में बच्चे ही पैनलिस्ट हैं। बच्चों ने अपनी जो जरूरतें और सरकार से उम्मीदें बताई हैं उनमें ज्यादातर क्षेत्रों में सरकारी योजनाएं चल रही हैं। लेकिन बच्चों की उसी क्षेत्र में अपेक्षा और मांग रखना बताता है कि योजनाएं उस तरह प्रभावी ढंग से लागू नहीं हुई हैं जैसी होनी चाहिए थीं। रिपोर्ट नवंबर-दिसंबर में सर्वे, कार्यशालाएं व परिचर्चा के बाद तैयार हुई है।
स्वस्थ बचपन की मांग, रोकी जाए नशाखोरी
बच्चों की स्वस्थ बचपन की मांग है। वे चाहते हैं कि गांव में रहने वाले बच्चे बिना किसी बीमारी के बड़े हों और स्वस्थ रहें। बच्चे चाहते हैं कि सरकारी अस्पताल को लोगों के लिए जवाबदेह बनाया जाए। इसके अलावा बच्चे शराब और तंबाकू को रोकने के लिए कड़े कानून की बात करते हैं। वास्तविक आंकड़े देखे जाएं तो आरएचएस के ग्रामीण स्वास्थ्य आंकड़ों के मुताबिक चिकित्सा पेशेवरों की कमी है। ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी अस्पतालों में 70 फीसद पद खाली हैं। 2015-16 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की चौथी रिपोर्ट के मुताबिक 19 फीसद किशोर लड़के- लड़कियां किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं और 9 फीसद लड़के शराब पीते हैं।
मिले पोषक आहार, साफ पानी, शौचालय, अच्छी शिक्षा
स्वास्थ्य के अलावा बच्चे सभी के लिए पोषक आहार, साफ पेयजल, स्वच्छ सुविधाएं व शौचालय के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा चाहते हैं। वे अपने क्षेत्र में इन चीजों की कमी गिनाते हैं। बच्चे चाहते हैं कि स्कूलों में ऐसी प्रणाली बने जहां बच्चों की बात या उनकी परेशानी सुनी जाए। मुफ्त अनिवार्य शिक्षा को बढ़ाकर 18 वर्ष किया जाए। सार्वजनिक शौचालयों में एक रुपये में सैनेटरी पैड और हाथ धोने का साबुन मिले। शौचालयों में पानी की सुविधा हो। बाल पैनलिस्ट का कहना है कि सार्वजनिक शौचालय में 1 से 5 रुपये का शुल्क पड़ता है, लेकिन गरीबों को यह शुल्क रोज देना पड़ता है। गरीब माता-पिता रोजाना यह खर्च नहीं उठा सकते।
बाल शोषण पर चिंता, सुरक्षा व संरक्षण की मांग
बच्चे चाहते हैं कि हर किसी को काम करने और कमाने का अवसर मिले। बच्चों ने बाल शोषण के प्रति काफी चिंता जताई और सभी के लिए सुरक्षा और संरक्षण की मांग की। बच्चों का कहना है कि उनकी मांगें नेताओं तक नहीं पहुंचतीं, क्योंकि वे मतदान नहीं करते। उन्होंने मतदाताओं से उम्मीद जताई कि वे उनकी जरूरतों के बारे में मतदान से पहले एक बार जरूर सोचेंगे।
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