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CJI दीपक मिश्रा खुद 22 जनवरी को करेंगे न्‍यायमूर्ति लोया की मौत की सुनवाई

जस्टिस लोया सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे थे। इसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आरोपी थे। उन्हें बरी किया गया था।

By Tilak RajEdited By: Published: Sat, 20 Jan 2018 06:30 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jan 2018 06:30 PM (IST)
CJI दीपक मिश्रा खुद 22 जनवरी को करेंगे न्‍यायमूर्ति लोया की मौत की सुनवाई
CJI दीपक मिश्रा खुद 22 जनवरी को करेंगे न्‍यायमूर्ति लोया की मौत की सुनवाई

नई दिल्‍ली, एएनआइ। जस्टिस बीएच लोया की मौत के मामले में दायर याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 22 जनवरी को होगी। सुप्रीम कोर्ट की सूची के अनुसार चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआइ) दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ मामले से जुड़ी दोनों याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। ये दोनों याचिकाएं न्यायमूर्ति लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग कर रही हैं, जिनका 2014 में संदिग्ध परिस्थितियों में निधन हो गया था।
इससे पहले जस्टिस अरुण कुमार मिश्र व एमएम शांतनागोदार की बेंच ने 16 जनवरी को मामले की सुनवाई के लिए स्वीकृति दे दी थी, लेकिन दिन व तारीख का एलान नहीं किया गया था। चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की बेंच ने शुक्रवार को कहा कि सुनवाई 22 को सुप्रीम कोर्ट की सक्षम बेंच करेगी।
गौरतलब है कि इस मामले में कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला व पत्रकार बीएस लोन ने याचिकाएं दायर की थीं। सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने कांफ्रेस में जस्टिस लोया की मौत को चीफ जस्टिस दीपक मिश्र से तकरार का एक कारण बताया गया था। उसके दो दिनों बाद उनके पुत्र अनुज लोया ने विवाद को यह कहकर विराम देने की कोशिश की कि उन्हें पूरा यकीन है कि मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। अनुज का मानना था कि पहले उनके परिवार को भी लगता था कि मौत संदेहास्पद है।

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लोया की मौत के मामले में नागपुर पुलिस का कहना कि उनकी मौत हार्टअटैक की वजह से हुई थी। सरकारी मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की थी। हालांकि पुलिस ने उसके बाद फारेंसिक लैब में भी उनके विसरे की जांच कराई, लेकिन हिस्टोपैथोलॉजी रिपोर्ट में जहर की पुष्टि नहीं की गई थी। उसके बाद सदर पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 174 की कार्यवाही करते हुए मामले को बंद करने का फैसला लिया था। एक दिसंबर 2014 को यह घटना हुई थी।
बता दें कि जस्टिस लोया सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे थे। इसमें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आरोपी थे। उन्हें बरी किया गया था। उनके साथ राजस्थान के मंत्री गुलाबचंद कटारिया, उद्यमी विमल पाटनी, गुजरात के पूर्व डीजीपी पीसी पांडेय, एडीजीपी गीता जौहरी के साथ पुलिस अफसरों अभय चूडास्मा व एनके अमीन को भी सीबीआइ कोर्ट ने बरी किया था।


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