कार्यकाल खत्म होने से पहले ही विदा होंगे आर्थिक सलाहकार
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने समय से पहले ही जिम्मेदारियों को अलविदा कह दिया है। कांग्रेस ने उनके जाने को लेकर भाजपा पर निशाना साधा है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। वित्त मंत्रालय के प्रमुख आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन जल्द ही अपने कार्यभार से मुक्त हो जाएंगे। वैसे तो उनका कार्यकाल मई, 2019 तक का था लेकिन उन्होंने सरकार से व्यक्तिगत वजहों का हवाला दे कर पहले ही विदा होने की इजाजत मांगी थी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक के जरिए उनके प्रस्ताव को स्वीकार करने की जानकारी दी और यह भी कहा कि सुब्रमणियन की बौद्धिकता, सुझावों व विचारों की कमी वह व्यक्तिगत तौर पर महसूस करेंगे। सुब्रमणियन अपने कार्यकाल में विवादों से परे रहे हैं लेकिन गाहे बगाहे उनकी टिप्पणियों और चुप्पियों को विवादों से जोड़ने की कोशिश भी होती रही है।
जेटली और सुब्रमणियन के बयानों से साफ है कि इन दोनों के बीच बहुत ही आत्मीय संबंध हैं। मीडिया के सामने सुब्रमणियन ने जेटली को एक आर्दश बॉस (ड्रीम बॉस) बताया। सुब्रमणियन ने बतौर आर्थिक सलाहकार अपने अंतिम प्रेस वार्ता में साफ तौर पर कहा कि वह व्यक्तिगत वजहों की वजह से निर्धारित कार्यकाल पूरा होने से पहले ही लौट रहे हैं। सितंबर, 2018 में वह परदादा बन रहे हैं और इसे एक अहम व्यक्तिगत वजह भी बताया है। उन्होंने कहा कि वह एक-दो महीने और इस पद पर बने रहेंगे व इस दौरान अगले पेश होने वाले आर्थिक सर्वेक्षण को लेकर भी काम करेंगे।
सुब्रमणियन को अक्टूबर, 2014 में बतौर प्रमुख आर्थिक सलाहकार की नियुक्ति की गई थी। सरकार के साथ कुछ मुद्दों पर मतभिन्नता के बावजूद उनका कार्यकाल बढ़ाया गया था। सुब्रमणियन ने स्वयं बताया कि उनका कार्यकाल मई, 2019 तक का है। जेटली ने फेसबुक पर लिखा कि, कुछ दिन पहले सुब्रमणियन ने आग्रह किया था कि वह परिवारिक वजहों से अमेरिका वापस लौटना चाहते हैं। मेरा पास उनके आग्रह को स्वीकार करने के अलावा और कोई चारा नहीं था। जेटली ने सुब्रमणियन के साथ अपने आधिकारिक रिश्तों की झलक भी इस पोस्ट में दी है कि किस तरह से वह उनके कार्यालय में एक दिन में कई बार 'मिनिस्टर' संबोधित करते हुए आते थे। जेटली ने उम्मीद जताई है कि वित्त मंत्रालय से विदा होने के बावजूद सुब्रमणियन उन्हें अपने सुझाव देते रहेंगे।
दूसरी ओर प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सुब्रमणियन के जाने पर तल्ख टिप्पणी की। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि, 'आरबीआइ के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पणगढि़या के बाद सुब्रमणियन का जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था की जो स्थिति है उसमें कोई भी विशेषज्ञ सरकार के साथ नहीं रहना चाहता है।'