अगली सरकार को भी बहुमत मिलने के आसार नहीं!
वित्त मंत्री पी.चिदंबरम केंद्र की अगली सरकार के स्थायित्व को लेकर आशंकित हैं। उनका मानना है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से मजबूत बहुमत वाली सरकार नहीं निकलेगी। साथ ही कहा,यदि ऐसा होता है तो यह हमारी खामियों के लिए निर्णायक मोड़ होगा। वित्त मंत्री चिदंबरम ने शनिवार को नेशनल स्टॉक
मुंबई। वित्त मंत्री पी.चिदंबरम केंद्र की अगली सरकार के स्थायित्व को लेकर आशंकित हैं। उनका मानना है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से मजबूत बहुमत वाली सरकार नहीं निकलेगी। साथ ही कहा,यदि ऐसा होता है तो यह हमारी खामियों के लिए निर्णायक मोड़ होगा।
वित्त मंत्री चिदंबरम ने शनिवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की 20 वर्षगांठ पर आयोजित परिचर्चा के दौरान कहा, देश में 2014 में होने वाले आम चुनाव का इंतजार कीजिए। मैं आश्वस्त नही हूं कि चुनाव के बाद संसद को पूर्ण बहुमत वाली सरकार मिलेगी। भारत में लोकतंत्र है,जो मौजूदा समय में मंथन के दौर से गुजर रहा है। यह पिछले 60 सालों से हो रहा है और मेरा मानना है कि भारतीय लोकतंत्र में यह ही कमजोर बिंदु है।
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उन्होंने किसी पार्टी या व्यक्ति का नाम लिए बिना कहा, संस्थाओं पर नियंत्रण के लिए कार्यपालिका के काम में अडं़गा लगाया जाता है या उस पर हमला होता है। संसद लगभग पंगुता के मुहाने पर है और समस्याओं के न्यायिक समाधान की गलत ख्याली सोच बन गई है। सरकार के तीनों अंगों (विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका) को साथ आना चाहिए,जो कि एक पूर्व शर्त है। ऐसा न होना भारतीय इतिहास की कमजोरी रही है, जिससे हमे बाहर आना है।
उन्होंने कहा,संसद का काम कानून बनाना और न्यायपालिका का काम उस पर अमल करना है। इसका कोई न्यायिक मानक नहीं कि कौन न्यायाधीश किस मुद्दे को सुनेगा और उसे तय करेगा। न्यायाधीश किसी मुद्दे पर सिर्फ न्यायिक मानक तय कर सकते हैं। चिदंबरम ने संसद में अटके पड़े तमाम अहम विधेयकों के बारे में चिंता जताई और किसी का नाम लिए बिना कहा, विभिन्न संस्थाओं के काम में अड़ंगे लगाए जा रहे हैं।
ग्लोबल बिजनेस मैगजीन इकोनामिस्ट के पूर्व प्रधान संपादक बिल इम्मोट ने कहा, भारत में सुधारों की धीमी गति, नीतिगत परिसीमा और सरकार की क्षमता को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है। इस पर चिंदबरम ने कहा, प्रकट रूप से एक अल्पमत सरकार का यह कतई मतलब नहीं है कि हमारी सरकार के पास मजबूत वित्त मंत्रालय नहीं है। उल्लेखनीय है कि देश में मई 2014 में आम चुनाव प्रस्तावित हैं। केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व में संप्रग सरकार काबिज है, जिसे हाल ही में चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है।
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