प्रणब मुखर्जी का गलत फैसला बना लोस चुनाव में हार की वजह: चिदंबरम
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आम चुनावों में कांग्रेस की हार का ठीकरा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के ऊपर फोड़ा है। उनका कहना है कि वर्ष 2008-09 में प्रणब दा ने वित्तमंत्री रहते हुए सरकार द्वारा घोषित प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की। इसकी वजह से महंगाई में करीब चौदह फीसद
चेन्नई। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आम चुनावों में कांग्रेस की हार का ठीकरा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के ऊपर फोड़ा है। उनका कहना है कि वर्ष 2008-09 में प्रणब दा ने वित्तमंत्री रहते हुए सरकार द्वारा घोषित प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की। इसकी वजह से महंगाई में करीब चौदह फीसद का इजाफा हुआ, जिसके चलते जनता यूपीए और कांग्रेस के खिलाफ हो गई और कांग्रेस को जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा। चेन्नई के एक वित्तीय संस्थान में वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश किए गए आम बजट का विश्लेषण करते हुए उन्होंने कहा कि यूपीए ने प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा ग्लोबल मंदी से निपटने के लिए अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए की थी। लेकिन इस दौरान पैकेज के जरिए सरकार ने नियमों को ताक पर रखा गया। इससे महंगाई बेकाबू हो गई।
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चिदंबरम ने तत्कालीन वित्तमंत्री को निशाने पर रखते हुए कहा कि जब उन्होंने वित्त मंत्रालय की कमान संभाली तब उन्हें पता था कि बेहद मुश्किल राह है। राजकोषीय घाटे की सीमा का उल्लंघन किया गया था। यहां तक कि बजट का अनुमान भी गड़बड़ था। चालू घाटे की स्थिति भी बेहद खराब थी। इसी वजह से सरकार राजस्व घाटे और राजकोषिय घाटे पर भी खरी नहीं उतर सकी। इस मौके पर उन्होंने जेटली द्वारा पेश आम बजट की जमकर आलोचना की। उन्होंने कहा कि जेटली का बजट फिस्कल कन्सोलिडेशन के मोर्चे पर नाकाम दिख रहा है।
चिदंबरम ने कहा, 'लेकिन जेटली ने 2017-18 की नई डेडलाइन रखी है। यह यूपीए सरकार द्वारा 2015-16 के लिए 3.6 पर्सेंट फिस्कल डेफिसिट के टारगेट के मुकाबले है। उन्होंने जीडीपी के 3.9% तक की छूट दी है। एनडीए शासन एक अतिरिक्त 42,500 करोड़ रुपये उधार लेने की योजना बना रहा था। एनडीए सरकार खास रूप से बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक खर्च को बढ़ाने के लिए इस राह का उपयोग करने की योजना बना रही है। सरकार महत्वपूर्ण क्षेत्रों को बढ़ावा देने और अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए पेंशन फंड के रूप में विदेशी पैसे को आकर्षित करने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड में पैसे का लाभ उठाने का लक्ष्य निर्धारित कर रही है। लेकिन इस पैसे का उपयोग योजनागत खर्च में नहीं होने जा रहा। लेकिन इनका उपयोग गैर-योजना खर्च में किया जाएगा। 2014-15 के लिए योजनागत खर्च 4.67 लाख करोड़ से नीचे है और अगले साल के लिए 4.65 लाख करोड़ है।'