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देश के नौजवान दुनिया ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष को जीतने का भी हुनर रखते हैं, गगनयान में छत्तीसगढ़ का युवा वैज्ञानिक

अब तक 21 रॉकेट पर काम 11 मई 2016 को इसरो ज्वाइन करने वाले नौजवान वैज्ञानिक विकास अग्रवाल सोमवार को अपने साइंटिस्ट कॅरियर के चार साल पूरे करेंगे।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 10 May 2020 06:48 PM (IST)Updated: Sun, 10 May 2020 06:48 PM (IST)
देश के नौजवान दुनिया ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष को जीतने का भी हुनर रखते हैं, गगनयान में छत्तीसगढ़ का युवा वैज्ञानिक
देश के नौजवान दुनिया ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष को जीतने का भी हुनर रखते हैं, गगनयान में छत्तीसगढ़ का युवा वैज्ञानिक

विकास पांडेय, कोरबा। नईदुनिया देश के नौजवान दुनिया ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष को जीतने का भी हुनर रखते हैं। जररत है तो सिर्फ कदम बढ़ाने की। यही उम्मीद लेकर नई स्पेस तकनीक से लैस हीट शील्ड की सुरक्षा में हमारा गगनयान वर्ष 2022 में लॉन्च होगा।

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गगनयान के लिए नई तकनीक विकसित करने वाली टीम में छत्तीसगढ़ के युवा वैज्ञानिक भी शामिल

गौरव की बात यह है कि भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के पहले स्वदेशी मिशन गगनयान के लिए नई तकनीक विकसित करने वाली टीम में छत्तीसगढ़ के कोरबा के युवा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में वैज्ञानिक विकास अग्रवाल भी शामिल हैं।

छत्तीसगढ़ का युवा वैज्ञानिक विकास गगनयान के लिए हीट शील्ड पर काम कर रहे हैं

वह गगनयान के कवच को तैयार करने वाली हीट शील्ड पर काम कर रहे हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के तिरवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में वर्ष 2022 में लॉन्च होने वाले गगनयान के एस्ट्रोनॉट्स के बैठने वाले सर्विस मॉड्यूल और वहां मौजूद उपकरणों को बाहर के वातावरण से बचाने वाले कवच की डिजाइन पर नए तकनीक पर काम चल रहा है।

हर बार नए मिशन में सबकुछ नया होता है

वह कहते हैं कि हर बार नए मिशन में सबकुछ नया हो जाता है। इस मिशन में भी तकनीक की दृष्टि से लगभग सारी चीजें नई व अपडेट होंगी। वे अपनी पत्नी स्वाति व तीन साल की बेटी मिष्टी के साथ तिरवनंतपुरम में हैं।

21 रॉकेट पर काम कर चुके विकास साइंटिस्ट कॅरियर के 11 मई को चार साल पूरे करेंगे

अब तक 21 रॉकेट पर काम 11 मई 2016 को इसरो ज्वाइन करने वाले नौजवान वैज्ञानिक विकास अग्रवाल सोमवार को अपने साइंटिस्ट कॅरियर के चार साल पूरे करेंगे। इसरो ज्वाइन करने से लेकर इन चार सालों के कॉरियर में उन्होंने अब तक 21 रॉकेट पर काम किया है। इनमें मिशन चंद्रयान व 104 रॉकेट एक ही दिन में प्रक्षेपित करने वाला मिशन भी शामिल है। वे इसरो से प्रक्षेपित होने वाले लगभग सभी रॉकेट व सैटेलाइट्स पर कार्य कर चुके हैं।

सैटेलाइट को बचाने के लिए कवर होता है जो  विभिन्न लेयर, अत्यधिक ताप से बचाता है

इन चुनौतियों से बचाने का दायित्व रॉकेट के ऊपरी भाग में सफेद रंग का कोनिकल शेप होता है, जो उसका कवर होता है। सैटेलाइट को बचाने के लिए भी कवर होता है। एस्ट्रोनॉट्स की जगह यानी कू्र मॉड्यूल, उन्हें सर्विस प्रदान करने वाले कंप्यूटर, बैटरी, अन्य उपकरण व प्रणाली कू्र मॉड्यूल के ठीक नीचे स्थित सर्विस मॉड्यूल में होता है। ये कवच इन दोनों मॉड्यूल को वायुमंडल के विभिन्न लेयर, अत्यधिक ताप, गैसीय बादलों से क्षतिग्रस्त होने से बचाता है।


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