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Chhattisgarh: अब गोली के साथ बोली से भी कसेंगे नक्सलवाद पर नकेल

ऩई रणनीति के तहत गोली के साथ बोली को हथियार बनाकर नक्सल किले को ध्वस्त करने की तैयारी की जा रही है

By Manish PandeyEdited By: Published: Mon, 17 Jun 2019 03:22 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jun 2019 03:22 PM (IST)
Chhattisgarh: अब गोली के साथ बोली से भी कसेंगे नक्सलवाद पर नकेल
Chhattisgarh: अब गोली के साथ बोली से भी कसेंगे नक्सलवाद पर नकेल

दंतेवाड़ा, जेएनएन। बस्तर में नक्सलवाद पर नकेल कसने के लिए फोर्स ने चारों ओर से घेराबंदी की शुरूआत कर दी है। अब नई रणनीति के तहत गोली के साथ बोली को हथियार बनाकर नक्सल किले को ध्वस्त करने की तैयारी की जा रही है, ताकि आपरेशन के दौरान जवान सीधे ग्रामीणों से जुड़े और उनकी परेशानी और जानकारी उनकी बोली भाषा में समझ और समझा सकें। इसके लिए पुलिस लाइन में डीआरजी (डिस्ट्रिक रिजर्व गार्ड) के जवानों को गोंडी बोलना, समझना और लिखने- पढ़ने का प्रशिक्षण दिया जा है। खास बात यह है कि इस क्लास में पुलिस कप्तान भी शामिल हो रहे हैं। जिन्हें आत्म समर्पित नक्सलियों द्वारा गोंडी के शब्द और अर्थ के साथ ग्रामीणों से बातचीत का तरीका बताया जा रहा है। एसपी का दावा है कि स्थानीय बोली भाषा बोलने- समझने में जवान दक्ष होने के बाद नक्सलियों के खिलाफ और दीगर पुलिस कार्रवाई में सहुलियत होगी। इसके लिए गोंडी भाषा के चयनित 30 हजार शब्द और वाक्यों की डिक्शनरी भी तैयार की जा रही है। जिसमें गोंडी शब्दों का हिंदी और अंग्रेजी में अर्थ और अनुवाद होगा। पुलिस लाइन कारली में जवान नियमित अभ्यास के साथ एक विशेष कक्षा में शामिल हो रहे हैं। जहां जवान गोंडी बोली भाषा का ज्ञान ले रहे हैं। जवानों को आत्म समर्पित स्थानीय जवान ही गोंडी के शब्द के साथ वाक्य बनाना, बोलना, लिखना समझाया जा रहा है। प्रतिदिन जवानों को नए शब्द और वाक्य से अवगत कराने के बाद टेस्ट भी लिया जाता है।

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ग्रामीणों से होगा सीधा संवाद

इस क्लास में शामिल होने के बाद जिले में पदस्थ डीआरजी के जवान आपरेशन के दौरान ग्रामीणों से सीधा संवाद करने में सक्षम होंगे। अभी गोंडी भाषा के लिए दोभाषिए की जरूरत पड़ती है। आपरेशन और पूछताछ के दौरान इसका लाभ मिलेगा। अधिकारियों का कहना है कि अभी जंगल में कोई मिला तो उससे किसी तरह की चर्चा करने में दिक्कत नहीं होगी।

तैयार हो रही डिक्शनरी, होंगे 30 हजार शब्द

गोंडी भाषा नही जानने वालों के लिए पुलिस महकमा एक डिक्शनरी तैयार की जा रही है। जिसमें 30 हजार शब्द शामिल किए जाएंगे। जिसका हिंदी और अंग्रेजी अर्थ के साथ कहां और कैसे प्रयोग करना है, यह भी बताया जाएगा। इसके के लिए फोर्स के जवानों को शोध और शब्द संकलन में लगाया गया है। एसपी डॉ अभिषेक पल्लव के मुताबिक 30 दिनों में डिक्शनरी तैयार हो जाएगी। जिसका लाभ जवानों के साथ अन्य विभागीय कर्मचारियों के साथ आगंतुक लोगों को मिलेगा।

ग्रामीणों की नब्ज को टटोलने का बेहतर रास्ता

इस क्लास के माध्यम से एसपी डॉ अभिषेक पल्लव स्थानीय ग्रामीणों के मर्म को स्पर्श करना चाहते हैं। क्योंकि वे आईपीएस बनने से पहले मनोचिकित्स के रूप में अपनी सेवाएं एम्स दिल्ली में दे चुके हैं। वे लोगों की मनोदशा को बेहतर ढंग से समझते हैं। इसलिए अब ग्रामीणों के दिलों तक पहुंचने गोली के साथ बोली का रास्ता अपना रहे है। क्योंकि बस्तर में आंध्रप्रदेश से आकर नक्सली लीडर ग्रामीणों को अपने कब्जे में कर लिया। आंध्र के लीडर स्थानीय ग्रामीणों के साथ यही की बोली- भाषा का उपयोग करते हैं। इसका खुलासा कई बार गिरफ्तार और समर्पित नक्सलियों ने किया है।

होंगे पुरस्कृत, मिलेगा सर्टिफिकेट

इस क्लास में बेहतर प्रदर्शन करने पर जवानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। डिक्शनरी और क्लास में बतौर ट्यूटर की भूमिका अदा करने वाले जवानों के साथ बेहतर प्रदर्शन करने वालों को पुरस्कृत और सम्मानित भी किया जाएगा। कोर्स पूरा होने पर उन्हें सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा।

डॉ अभिषेक पल्लव, एसपी दंतेवाड़ा

'आपरेशन के दौरान ग्रामीणों के साथ जवानों के सीधा संवाद स्थापित करने में यह प्रशिक्षण कारगर साबित होगा। आत्मसमर्पित कैडर के जवान ट्यूटर हैं और उन्हीं के द्वारा 30 हजार शब्दों के संकलन से डिक्शनरी तैयार की जा रही है। इसका लाभ जवानों को ग्रामीणों से बातचीत, विवेचना के साथ गोंडी में लिखी नक्सलियों के पत्र और बरामद साहित्य के अध्ययन में होगा। इस प्रशिक्षण में जवानों के साथ राजपत्रित अधिकारी भी शामिल हो रहे हैं। आने वाले समय में थानों में पदस्थ और सीआरपीएफ के जवानों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।"

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