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छत्तीसगढ़ : नक्सलगढ़ में फोर्स के बढ़ते दबाव से बौखलाए नक्सली, ग्रामीणों में दहशत फैलाने की कर रहे कोशिश

नक्सलियों के सफाए के लिए फोर्स जंगल में घुसकर तो अभियान चला ही रही है ग्रामीणों के बीच पहुंचकर उनका भरोसा भी जीत रही है।

By Neel RajputEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 06:05 AM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 06:05 AM (IST)
छत्तीसगढ़ : नक्सलगढ़ में फोर्स के बढ़ते दबाव से बौखलाए नक्सली, ग्रामीणों में दहशत फैलाने की कर रहे कोशिश
छत्तीसगढ़ : नक्सलगढ़ में फोर्स के बढ़ते दबाव से बौखलाए नक्सली, ग्रामीणों में दहशत फैलाने की कर रहे कोशिश

दंतेवाड़ा [योगेंद्र ठाकुर]। छत्तीसगढ़ के नक्सलगढ़ में फोर्स के बढ़ते दबाव और लोन वर्राट (घर वापस आइए) अभियान से नक्सली बौखला गए हैं। ग्रामीणों की पिटाई और हत्या के बाद अब वे उन्हें गांव छोड़ने का फरमान जारी कर रहे हैं। इतना ही नहीं, फोर्स जिन गांवों में बैठक लेकर ग्रामीणों को नक्सलियों का साथ न देकर शांति की राह पर चलने को प्रेरित करती है, दूसरे दिन नक्सली वहां पहुंचकर दहशत फैलाने की कोशिश करते हैं। गौरतलब है कि जिला पुलिस द्वारा चलाए जा रहे लोन वर्राट अभियान के दौरान तीन माह में जिले में 108 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। इनमें कई लाखों रुपये के इनामी हैं।

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नक्सलियों के सफाए के लिए फोर्स जंगल में घुसकर तो अभियान चला ही रही है, ग्रामीणों के बीच पहुंचकर उनका भरोसा भी जीत रही है। उधर, जिन परिवारों का कोई सदस्य पुलिस अथवा डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) में तैनात है, वह नक्सलियों के निशाने पर हैं। पखवाड़े भर के भीतर ही नक्सलियों ने सुकमा जिले में दो, नारायणपुर जिले में एक और दंतेवाड़ा जिले में ऐसे पांच परिवारों को गांव से भगा दिया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह नक्सलियों की घबराहट का संकेत है। लोन वर्राट अभियान से नक्सली चिढ़े हुए हैं। ग्रामीणों के साथ मारपीट करने की एक बड़ी वजह ये ही है।

कोंटा के मुरलीगुड़ा में मंगलवार को जिस जगह पर एसडीओपी ने ग्रामीणों की बैठक ली थी, वहां बुधवार को नक्सलियों ने पर्चे फेंके हैं। ऐसा पहली बार देखा जा रहा है कि इन पर्चो में नक्सली लोन वर्राटू अभियान के विरोध में लिख रहे हैं। पुलिस और वनकर्मियों को निशाना बना रहे हैं।

भा रही आत्मसमर्पण की नीति

नक्सल संगठन में शामिल ग्रामीणों को राज्य सरकार की आत्मसमर्पण की नीति भाने लगी है। उन्हें धीरे-धीरे समझ में आने लगा है कि संगठन में रहने पर किसी भी दिन मुठभेड़ में मार दिए जाएंगे। आत्समर्पण करने पर सुरक्षा, इनाम की राशि, खेती के लिए जमीन, कृषि उपकरण आदि मिलेंगे। इससे वे शांतिपूर्ण जिंदगी जी सकेंगे। हथियार नहीं डालने वाले नक्सलियों के बौखलाने की यह भी एक वजह है, क्योंकि साथियों के आत्मसमर्पण करने से वह लगातार कमजोर पड़ रहे हैं।

दंतेवाड़ा के एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव ने कहा कि नक्सलियों के हिंसात्मक कार्यों से ग्रामीण ऊब चुके हैं। वे समझ गए हैं कि नक्सली उनका भला नहीं करेंगे। इसके उलट वे विकास से दूर कर रहे हैं। यही कारण है कि तमाम नक्सली मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं। इससे नक्सली नेताओं में घबराहट और बौखलाहट बढ़ गई है। खुद को कमजोर होता देख नक्सली अब अपने ही साथियों की हत्या, ग्रामीणों के साथ मारपीट कर उनको गांव छोड़ने का फरमान जारी कर रहे हैं।


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