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छत्‍तीसगढ़ के जशपुर की मिट्टी में मिले सोने के कण, भू गर्भ में छिपे हो सकता है विशाल भंडार

छत्तीसगढ़ के नागलोक में सोने का आलोक फैल सकता है। जशपुर में भी सोने की खान खुल सकती है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 07:41 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 07:41 PM (IST)
छत्‍तीसगढ़ के जशपुर की मिट्टी में मिले सोने के कण, भू गर्भ में छिपे हो सकता है विशाल भंडार
छत्‍तीसगढ़ के जशपुर की मिट्टी में मिले सोने के कण, भू गर्भ में छिपे हो सकता है विशाल भंडार

जशपुरनगर/तुमला, राज्‍य ब्‍यूरो। छत्तीसगढ़ के नागलोक में 'सोने' का आलोक फैल सकता है। जशपुर में भी सोने की खान खुल सकती है। यहां की नदियों में स्वर्ण कणों के मिलने से उम्मीद है। माना जाता है कि इनमें यहां सोने के भंडार है। अलबत्ता, यह प्रारंभिक दौर का मामला है। स्वर्ण उत्खनन की संभावना तलाशने के लिए नए सिरे से सर्वे की तैयारी हो रही है। फिलहाल इस महत्वपूर्ण जानकारी पर जिला प्रशासन व खनिज विभाग के अधिकारी अपना पक्ष रखने से स्पष्ट इंकार कर रहे हैं। 

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दो निजी कंपनियों के जरिए कराया गया सर्वे 

दरअसल, जिले की ईब व उसकी सहायक सोनाजोरी नदी की रेत से स्वर्ण कण निकालने का काम वर्षों से झोरा जनजातीय समुदाय करता आया है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2010 में इसे गंभीरता से लिया। खनिज मंत्रालय ने दो निजी कंपनियों जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड व महाराष्ट्र के मुंबई की कंपनी द मार्क के जरिए सोने की संभावनाओं के मद्देनजर सर्वे कराया, लेकिन परिणाम संतोषजनक नहीं आए। छह माह के सर्वे के बाद स्वर्ण भंडार की पुष्टि तो हुई, लेकिन मात्रा और भंडार के स्थान का पता नहीं चल सका। उत्खनन उद्योग के विरोध की वजह से सर्वे बीच में ही रोक दिया गया था। अब एक बार फिर से सर्वे की तैयारी है।

झोरा जनजाति निकालती है सोना

जिले की ईब और सोनाजोरी नदी के पानी से स्वर्ण कण निकालने का काम झोरा जनजाति के लोग सदियों से करते आ रहे हैं। महिला, पुरुष और बच्चे कांसाबेल और फरसाबहार इलाके में रेत छानकर नदी के पानी से सोना निकालने का काम बारिश का मौसम शुरू होते ही चालू कर देते हैं। 

अनोखे औजारों का प्रयोग 

स्वर्ण कण निकालने के लिए स्थानीय रहवासी लकड़ी से बने हुए अनोखे औजारों का प्रयोग करते हैं। लकड़ी के इस पात्र को दोबायन कहा जाता है। आयताकार यंत्र का बीच का भाग कटोरानुमा होता है। इसमें नदी के पानी और मिट्टी को लेकर छाना जाता है। इससे स्वर्ण कण पात्र के बीच में निर्मित छिद्र में जमा हो जाते है।


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