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Chhattisgarh: घर आई नन्ही परी तो सजी गलियां, हुई आतिशबाजी, कन्या को लाने वाली कार भी रही चर्चा में, देखें VIDEO

चांपा के भोजपुर निवासी चिंतामणी लठारे के छोटे भाई सौरभ की पत्नी अनिता ने बिलासपुर के अस्पताल में कन्या को जन्म दिया था।

By Nitin AroraEdited By: Published: Sat, 12 Sep 2020 02:22 PM (IST)Updated: Sat, 12 Sep 2020 02:40 PM (IST)
Chhattisgarh: घर आई नन्ही परी तो सजी गलियां, हुई आतिशबाजी, कन्या को लाने वाली कार भी रही चर्चा में, देखें VIDEO
Chhattisgarh: घर आई नन्ही परी तो सजी गलियां, हुई आतिशबाजी, कन्या को लाने वाली कार भी रही चर्चा में, देखें VIDEO

जांजगीर-चांपा, जेएनएन। लड़की को घर की लक्षमी माना जाता है, लेकिन आज भी कई जगहों पर जिंदगी मिलने से पहले ही उन्हें मार दिया जाता है। ऐसे मामले आज भी सामने आते हैं। हालांकि, एक ओर जहां बेटे की चाह में लोग कन्या की भ्रूण हत्या करने से नहीं हिचकते वहीं दूसरी ओर एक परिवार ने घर में बेटी आने पर अपने घर में न केवल जश्न मनाया बल्कि गली-मोहल्लों को गुब्बारे व रंगोली से सजाया गया। बच्ची के होने पर पटाखे फोड़े गए, बेटी का घर में भव्य स्वागत किया गया।

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देखा जाए तो बेटे की इच्छा हर परिवार को होती है, लेकिन इसके लिए लड़कियों को बढ़ने ही ना देना एक बहुत बड़ा अपराध है। दहेज की प्रथा ने ऐसी स्थिति को जन्म दिया है जहां बेटी का जन्म किसी भी कीमत पर रोका जाता है। इसलिए समाज के कुछ लोग मां के गर्भ में ही कन्या की हत्या करने का सबसे गंभीर अपराध करते हैं। इस तरह के अनाचार ने वैज्ञानिक तकनीक के दुरुपयोग और लैंगिक भेदभाव के मुद्दों को जन्म दिया है। गर्भ में लिंग परीक्षण के बाद बालिका शिशु को हटाना कन्या भ्रूण हत्या है। केवल पहले लड़का पाने की चाहत में जन्म से पहले बालिका शिशु को गर्भ में ही मार दिया जाता है।

गर्भपात कराने के पीछे सामान्य कारण अनियोजित गर्भ है जबकि कन्या भ्रूण हत्या परिवार द्वारा की जाती है। लोगों का मानना है कि लड़के परिवार के वंश को जारी रखते हैं। वहीं दूसरी ओर चांपा के भोजपुर में एक ऐसा परिवार हैं जिसने बेटा-बेटी में कोई भेद नहीं किया और घर में बेटी की किलकारी गूंजने पर जमकर खुशियां मनाई। चांपा के भोजपुर निवासी चिंतामणी लठारे के छोटे भाई सौरभ की पत्नी अनिता ने बिलासपुर के अस्पताल में कन्या को जन्म दिया था।

जब लठारे दंपति नवजात कन्या के साथ बिलासपुर से चांपा अपने घर पहुंचे तो यहां परिवार के लोगों ने मोहल्ले को गुब्बारों से सजाया था। वहीं जिस कार में बच्ची व उनके माता-पिता बैठकर आए उसे भी दुल्हे की कार की तरह सजाया गया था। जैसे ही लठारे दंपपि नन्ही बच्ची के साथ गांव में दाखिल हुए। आतिशबाजी के साथ उनका जमकर स्वागत किया गया। घर के प्रवेश द्वार में रंगोली भी बनाई गई थी। इस सुखद पल के साक्षी मोहल्लेवासी भी बने।


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