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जीएसटी पास करने वाला छत्तीसगढ़ पांचवा राज्य

छत्तीसगढ़ से पहले असम, झारखंड़ और बिहार विधानसभा में यह बिल पारित हो चुका है। छत्तीसगढ़ के वाणिज्यिक कर मंत्री अमर अग्रवाल ने यह संकल्प सदन में पेश किया।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 23 Aug 2016 08:39 PM (IST)Updated: Tue, 23 Aug 2016 08:59 PM (IST)
जीएसटी पास करने वाला छत्तीसगढ़ पांचवा राज्य

रायपुर, ब्यूरो। जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक 2014 के समर्थन के लिए प्रस्तुत संकल्प को छत्तीसगढ़ विधानसभा ने सोमवार को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। इससे पहले असम, झारखंड़ और बिहार विधानसभा में यह बिल पारित हो चुका है। छत्तीसगढ़ के वाणिज्यिक कर मंत्री अमर अग्रवाल ने यह संकल्प सदन में पेश किया।

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मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि इस विधेयक को संवैधानिक व्यवस्था के नए मॉडल का सूत्रपात बताते हुए कहा कि 16 प्रकार के करों के बदले एक जीएसटी लागू होगा। केंद्र पांच साल तक राज्यों को जीएसटी से होने वाली राजस्व क्षति की पूर्ति करेगा। प्रवेश कर समाप्त होने से उद्योगों को फायदा होगा,घरेलू उत्पाद को बढ़ावा मिलेगा, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और उपभोक्ताओं को सबसे अधिक लाभ मिलेगा।

प्रदेश को 1800 करोड़ का नुकसान

नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा कि जीएसटी लागू होने से छत्तीसगढ़ को प्रारंभिक तौर पर लगभग 1800 करोड़ रुपए के नुकसान होगा। वाणिज्यिक कर मंत्री अमर अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी लागू होने से आम उपभोक्ताओं पर बोझ कम पड़ेगा। चर्चा के दौरान मुख्य विपक्ष कांग्रेस के सदस्यों ने पेट्रोल-डीजल सहित कोयला, आयरन व सीमेंट को जीएसटी से बाहर रखने का सुझाव दिया।

वाणिज्यिक कर मंत्री ने कहा कि कर अपवंचन समाप्त हो जाएगा और उत्पादन लागत भी कम होगी। उन्होंने कहा कि एक टैक्स प्रणाली ओर देश की एकता के लिए जीएसटी जरूरी है। यह आर्थिक और टैक्स सुधार का सबसे बड़ा संशोधन है। उन्होंने कहा कि जीएसटी को लेकर सारे राज्यों और राजनीतिक दलों में सहमति बनाने में मौजूदा केंद्र सरकार समर्थ रही। दोनों सदनों में यह विधेयक सर्वानुमति से पारित हुआ।

मुख्य विपक्ष कांग्रेस की ओर से सदस्य सत्यनारायण शर्मा ने चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि जीएसटी कर सुधार पर एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि भाजपा और भाजपा शासित राज्यों ने पहले जीएसटी का पुरजोर विरोध किया था। यह कथनी और करनी में अंतर को प्रदर्शित करता है। केंद्र सरकार इस विधेयक में कांग्रेस का सहयोग लिया। कांग्रेस की उदारता है कि इस बिल को राज्यसभा व लोकसभा में पारित करने में सहयोग दिया। उन्होंने पेट्रोल-डीजल में 25 प्रतिशत वैट और अतिरिक्त अधिभार को कम करने की मांग की।

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