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राजस्व मंडल का महत्वपूर्ण फैसला, छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े दानवीर की संपत्ति कब्जे में लेगी सरकार

राजस्व मंडल के आदेश में राममूर्ति अग्रवाल के नाम का जिक्र है जिन्होंने सरजा की मृत्यु के बाद फर्जी तरीके से अपने नाम पर मुख्तियारनामा बनवा लिया। इसके अलावा उनके पास जो वसीयत थी वह भी फर्जी पाई गई।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 07:12 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 07:31 PM (IST)
राजस्व मंडल का महत्वपूर्ण फैसला, छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े दानवीर की संपत्ति कब्जे में लेगी सरकार
दाऊ कल्याण सिंह अग्रवाल की फाइल फोटो

बिलासपुर, जेएनएन। राजस्व मंडल बिलासपुर ने छत्तीसगढ़ के दानवीरों में पहले नंबर पर दर्ज भाटापारा ग्राम तरेंगा के दाऊ कल्याण सिंह अग्रवाल की संपत्ति को राजसात कर सरकारी राजस्व अभिलेख में दर्ज करने का आदेश दिया है। साथ ही कहा है कि यदि किसी भूमि स्वामी की बिना संतान मौत हो जाती है तो ऐसी स्थिति में छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता के अनुसार उसकी भूमि को शासकीय मद में दर्ज करने का प्रावधान है। दाऊ कल्याण सिंह ने पहली पत्नी जनकनंदनी से कोई संतान नहीं होने पर सरजा देवी से दूसरा विवाह किया था। सरजा से भी कोई संतान नहीं हुई।

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राजस्व मंडल के आदेश में राममूर्ति अग्रवाल के नाम का जिक्र है, जिन्होंने सरजा की मृत्यु के बाद फर्जी तरीके से अपने नाम पर मुख्तियारनामा बनवा लिया। इसके अलावा उनके पास जो वसीयत थी, वह भी फर्जी पाई गई। इसके बाद राजस्व मंडल ने 19 नवंबर 2020 को यह फैसला दिया। संपत्ति का यह विवाद 1967 से चल रहा था। अपने फैसले में राजस्व मंडल ने कहा है कि यदि किसी भूमि के स्वामी की बिना संतान मौत हो जाती है तो ऐसी स्थिति में छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता के अनुसार वाद भूमि को शासकीय मद में दर्ज करने का प्रावधान है।मंडल ने 30 दिनों के भीतर कार्रवाई कर बलौदा बाजार-भाटापारा कलेक्टर को अभिलेख सौंपने का आदेश दिया है।

ऐसे हुआ उजागर

फर्जी वसीयता बनाने का खुलासा वर्ष 1985 में तब हुआ था, जब कुछ लोगों ने इसकी शिकायत की थी। राजस्व दस्तावेज की पड़ताल के दौरान राजस्व निरीक्षक ने पाया कि दाऊ कल्याण सिंह अग्रवाल के स्वामित्व वाली जमीन व अचल संपत्ति को दाऊ कल्याण सिंह की दूसरी पत्नी सरजा के स्थान पर राममूर्ति अग्रवाल के नाम पर राजस्व दस्तावेज में हेरफेर कर नामांतरण कराया गया है। नामांतरण पंजी में राममूर्ति के आम मुख्तियार के रूप में अनूप कुमार अग्रवाल का नाम दर्ज करा लिया गया था।

दान की जमीन पर चला मंत्रालय

दाऊ कल्याण सिंह ने राजधानी रायपुर में अस्पताल के लिए जमीन दान दी थी। इसी जमीन पर डीकेएस (दाऊ कल्याण सिंह) अस्पताल का संचालन किया जा रहा था। राज्य निर्माण के बाद डीकेएस अस्पताल भवन को मंत्रालय में तब्दील किया गया। एक दशक से भी अधिक समय तक यहां मंत्रालय संचालित होता रहा। दान के अलावा भी उनके नाम की भाटापारा, तरेंगा, हथनी, अवरेटी व रायपुर में करीब 115 एकड़ जमीन थी।


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