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छत्तीसगढ़ : अब सभी सरकारी कार्यक्रमों में गूंजेगा राजगीत, विधानसभा सत्र के पहले दिन से शुरुआत

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की इस घोषणा पर राज्य कैबिनेट भी सहमति की मुहर लग चुकी है। अब राज्य के सभी सरकारी कार्यक्रमों के पहले यह गीत गाया जाएगा।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 22 Nov 2019 08:11 PM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2019 08:11 PM (IST)
छत्तीसगढ़ : अब सभी सरकारी कार्यक्रमों में गूंजेगा राजगीत, विधानसभा सत्र के पहले दिन से शुरुआत
छत्तीसगढ़ : अब सभी सरकारी कार्यक्रमों में गूंजेगा राजगीत, विधानसभा सत्र के पहले दिन से शुरुआत

रायपुर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ सरकार ने हाल ही में 'अपरा पैरी के धार महानदी अपार' को प्रदेश का राजगीत घोषित किया है। यह छत्तीसगढ़ी भाषा एक गीत है, जिसमें राज्य की जीवनदायी नदियों के नाम से पहली पंक्ति शुरू होती है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की इस घोषणा पर राज्य कैबिनेट भी सहमति की मुहर लग चुकी है। अब राज्य के सभी सरकारी कार्यक्रमों के पहले यह गीत गाया जाएगा। इतना ही नहीं विधानसभा के सभी सत्रों के प्रारंभ में राष्ट्रगान के बाद भी इस राजगीत को गाया जाएगा। विधानसभा की गुरुवार को हुई कार्यमंत्रणा समिति की बैठक के बाद संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे ने यह जानकारी दी। इस गीत की रचना राज्य के प्रसिद्ध गीतकार और साहित्यकार डॉ. नरेंद्रदेव वर्मा ने की है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल डॉ. वर्मा के दामाद हैं।

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छत्तीसगढ़ी भाषा-अस्मिता की डॉ. वर्मा ने बनाई पहचान

अरपा पैरी के धार...गीत की रचना करने वाले डॉ. नरेंद्रदेव वर्मा का जन्म चार नवंबर 1939 को वर्धा के सेवाग्रम में हुआ था। उनकी जयंती की पूर्व संध्या पर तीन नवंबर को सरकार ने छत्तीसगढ़ में रचेबसे उनके गीत को राजगीत घोषित किया है। डॉ. वर्मा छत्तीसगढ़ी भाषा-अस्मिता की पहचान बनाने वाले गंभीर कवि थे। महज 40 वर्ष की उम्र आठ सितंबर 1979 को रायपुर में उनका निधन हुआ था।

भाइयों में एकमात्र विवाहित और गृहस्‍थ थे

डॉ. वर्मा हिन्दी साहित्य के गहन अध्येता होने के साथ ही, कुशल वक्ता, गंभीर प्राध्यापक, भाषाविद् और संगीत मर्मज्ञ गायक भी थे। उनके बड़े भाई ब्रह्मलीन स्वामी आत्मानंद जी का प्रभाव उनके जीवन पर बहुत अधिक पड़ा था। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी यशस्वी शिक्षक पिता स्व. धनीराम वर्मा के पांच पुत्रों में डॉ. वर्मा एकमात्र विवाहित और गृहस्थ थे। तीन पुत्र रामकृष्ण मिशन में समर्पित सन्यासी और एक पुत्र अविवाहित रहकर पं. रविशंकर विश्वविद्यालय में प्राध्यापक और स्वामी आत्मानंद जी के स्वप्न केंद्र विवेकानंद विद्यापीठ के संचालक बने।

मोला गुरु बनई लेते छत्तीसगढ़ प्रहसन...

डॉ. वर्मा ने छत्तीसगढ़ी भाषा व साहित्य के उद्विकास में रविशंकर विश्वविद्यालय से पीएचडी की और छत्तीसगढ़ी भाषा व साहित्य में कालक्रमानुसार विकास का महान कार्य किया। कवि नाटककार, उपन्यासकार, कथाकार, समीक्षक और भाषाविद थे। इनका छत्तीसगढ़ी गीत संग्रह अपूर्वा है। इसके अलावा सुबह की तलाश (हिन्दी उपन्यास), छत्तीसगढ़ी भाषा का उद्विकास, हिंदी स्वछंदवाद प्रयोगवादी, नई कविता सिद्धांत एवं सृजन, हिंदी नव स्वछंदवाद आदि प्रकाशित ग्रंथ हैं। इनका मोला गुरु बनई लेते छत्तीसगढ़ प्रहसन अत्यन्त लोकप्रिय हुआ।

भूपेश को स्वामी जी ने चुना था मुक्तेश्वरी के लिए

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पत्नी मुक्तेश्वरी बघेल डॉ. वर्मा की ज्येष्ठ पुत्री हैं। दोनों का विवाह तीन फरवरी 1982 को हुआ था। भूपेश को मुक्तेश्वरी के लिए स्वामी आत्मानंद ने ही चुना। तब भूपेश अपने ट्रेक्टर में पशुचारा आदि लेकर विवेकानंद आश्रम रायपुर जाते थे।

राज्य के प्राकृतिक सौंदर्य का बखान है राजगीत

राजगीत- अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार, में छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक संपदा और सौंदर्य का वर्णन है। गीत की शुस्र्आत राज्य की जीवनदायनी नदियों अरपा, पैरी, महानदी, इंद्रवति का जिक्र है। इसके बाद डोंगरी पहड़ा, राजकीय पक्षी मैना का उल्लेख है। इसके बाद राज्य के प्रमुख शहरों का नाम आता है।

यह है छत्तीसगढ़ का राजगीत

अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार।

इंदिरावती हा पखारय तोर पईयां

महूं पांवे परंव तोर भुंइया।

जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया

सोहय बिंदिया सहीं, घाट डोंगरी पहार।

चंदा सुरूज बनय तोर नैना

सोनहा धाने के अंग, लुगरा हरियर हे रंग।

तोर बोली हावय सुग्घर मैना

अंचरा तोर डोलावय पुरवईया।

महूं पांवे परंव तोर भुंइया

जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया।

रयगढ़ हावय सुग्घर, तोरे मउरे मुकुट।

सरगुजा अउ बिलासपुर हे बइहां

रयपुर कनिहा सही घाते सुग्घर फबय।

दुरूग बस्तर सोहय पैजनियां

नांदगांव नवा करधनिया।

महूं पांवे परंव तोर भुंइया

जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया


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