Move to Jagran APP

नक्सली हिंसा से उजड़े बस्तर के गांवों को संवारने में जुटी छत्तीसगढ़ सरकार

छत्तीसगढ़ सरकार नक्सली हिंसा से प्रभावित इलाकों में शांति और सुरक्षा का वातावरण तैयार करने में जुटी है। बस्तर जिले के कई गांवो को संवारने के लिए सरकार काम कर रही है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Fri, 17 May 2019 10:47 PM (IST)Updated: Fri, 17 May 2019 10:47 PM (IST)
नक्सली हिंसा से उजड़े बस्तर के गांवों को संवारने में जुटी छत्तीसगढ़ सरकार
नक्सली हिंसा से उजड़े बस्तर के गांवों को संवारने में जुटी छत्तीसगढ़ सरकार

रायपुर, जेएनएन। राज्य में बढ़ रहे नक्सली हमलों से बचने के लिए सरकार कई उपाय कर रही है। नक्सल हिंसा से प्रभावित इलाकों में शांति और सुरक्षा का वातावरण तैयार करने के लिए सरकार जुट गई है। इसी क्रम में अब सलवा जुड़ूम के दौरान उजड़ गए गांवों में मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता के लिए योजना बनाई जा रही है। अति नक्सल प्रभावित सीट कोंटा के विधायक और राज्य सरकार के मंत्री कवासी लखमा नक्सल इलाकों में बंद पड़े स्कूलों को खोलने का निर्देश पहले ही दे चुके हैं। सलवा जुड़ूम के दौरान उजड़ चुके गांवों को फिर से संवारने की मांग नक्सल प्रभावित इलाकों के विधायक कर रहे हैं।

loksabha election banner

बीजापुर के विधायक विक्रम मंडावी ने हमारे सहयोगी अखबार नईदुनिया से कहा कि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अंदरूनी इलाकों में विकास में तेजी आई है। ग्रामीण खुद आगे आकर मूलभूत सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। आदिवासियों की मांग सरकार तक पहुंचाई जाएगी।

मालूम हो कि बस्तर में सलवा जुड़ूम आंदोलन के दौरान हुई हिंसा से सात सौ से ज्यादा गांव खाली हो गए थे। 2005-06 में इन गांवों के लोगों को 42 सलवा जुड़ूम कैंपों में बसाया गया था। बाद में अधिकांश ग्रामीण धीरे-धीरे गांवों में लौट गए लेकिन उन गांवों तक सरकारी सुविधाएं नहीं पहुंचाई जा सकी। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद नक्सल इलाकों में आदिवासियों के हित में कई काम शुरू किए गए हैं। दूसरे राज्यों में पलायन कर गए आदिवासियों की वापसी, जेलों में बंद आदिवासियों की रिहाई के लिए कमेटी, बंद हो चुके स्कूलों का जीर्णोद्धार जैसे काम किए जा रहे हैं। जुड़ूम के दौरान उजड़ चुके गांवों में मूलभूत सुविधाओं की योजना बनाई जा रही है।

यह था सलवा जुड़ूम

दक्षिण बस्तर के तीन जिलों दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर में 2005-06 के दौरान नक्सल विरोधी अभियान सलवा जुड़ूम शुरू किया गया था। इस अभियान के तहत आदिवासी युवाओं को विशेष पुलिस अधिकारी बनाकर हथियार सौंपे गए जिसका विरोध हुआ। 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने सलवा जुड़ूम पर बैन लगा दिया।

अधिकांश ग्रामीण लौटे

जुड़ूम के दौरान गांव से विस्थापित होकर पुलिस सुरक्षा में कैंपों में लाए गए अधिकांश आदिवासी अब वापस अपने गांवों में लौट चुके हैं। कैंपों में अब वही बचे हैं जो पुलिस में शामिल हो चुके हैं या जिनकी नक्सलियों से सीधी दुश्मनी है। बीजापुर जिले में सबसे ज्यादा कैंप थे। भैरमगढ़ और बीजापुर ब्लॉक के ग्रामीण गांवों में लौट गए हैं जबकि उसूर ब्लॉक के ग्रामीण तेलंगाना चले गए हैं।  

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.