Move to Jagran APP

नक्सल मोर्चे पर सफल रहे सुब्रमण्यम अब जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव होंगे

1987 बैच के आईएएस बीवीआर सुब्रमण्यम छत्तीसगढ़ कैडर के अधिकारी हैं, हालांकि उन्होंने काफी समय केंद्र की प्रतिनियुक्ति में गुजारा है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 21 Jun 2018 03:16 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jun 2018 03:42 PM (IST)
नक्सल मोर्चे पर सफल रहे सुब्रमण्यम अब जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव होंगे
नक्सल मोर्चे पर सफल रहे सुब्रमण्यम अब जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव होंगे

रायपुर [नईदुनिया राज्य ब्यूरो]। छत्तीसगढ़ के अपर मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम को केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर का मुख्य सचिव नियुक्त करने का फैसला किया है। सुब्रमण्यम को नक्सल मोर्चे पर सफल अफसर के तौर पर देखा जाता है। महबूबा मुफ्ती से समर्थन वापस लेने के बाद अब जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाया गया है।

prime article banner

पीएमओ में रहे ज्वाइंट सेक्रेटरी
ऐसे में राज्य के विकास में प्रशासन की भूमिका बेहद अहम हो गई है। ऐसे समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने सुब्रमण्यम पर भरोसा जताया है। सुब्रमण्यम मनमोहन सिंह के कार्यकाल में पीएमओ में ज्वाइंट सेक्रेटरी रहे है। वे नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी एक साल तक पीएमओ में रहे।

छत्तीसगढ़ कैडर के अधिकारी 
बाद में वे छत्तीसगढ़ लौट आए। 1987 बैच के आईएएस बीवीआर सुब्रमण्यम छत्तीसगढ़ कैडर के अधिकारी हैं, हालांकि उन्होंने काफी समय केंद्र की प्रतिनियुक्ति में गुजारा है। अब जम्मू कश्मीर में शांति, सुरक्षा और विकास के लिए सरकार ने उनपर भरोसा जताया है।

छत्तीसगढ़ में गृह विभाग का देखा काम
मूल रूप से आंध्रप्रदेश के रहने वाले सुब्रमण्यम मैकेनिकल इंजीनियर हैं। प्रशासनिक हल्कों में उन्हें बीवीआर के नाम से जाना जाता है। नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ में गृह विभाग का काम देखते हुए उन्होंने स्थानीय पुलिस, अर्धसैन्य बलों और राज्य सरकार के विभागों के बीच समन्वय बनाकर नाम कमाया।

उनके कार्यकाल में अति नक्सल प्रभावित इलाकों में मूलभूत सुविधाओं का विकास हुआ। दशकों से बंद पड़ी सड़कों को दोबारा बनाने में उनका बड़ा योगदान रहा है। चुपचाप काम करने में विश्वास रखने वाले सुब्रमण्यम मीडिया से दूर रहते हैं।

बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों का किया दौरा 
उनकी इन्हीं विशेषताओं को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार ने उन्हें ऐसे राज्य की जिम्मेदारी सौंपी है जो आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर और पाकिस्तान समर्थित उग्रवाद से बुरी तरह पीड़ित है। गृह विभाग के प्रमुख सचिव और बाद में अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में वे लगातार बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों में जाकर खुद विकास कार्यों की निगरानी करते रहे।

उनके पुलिस अफसरों से बेहतरीन संबंध थे। वे विकास की योजनाएं बनाने और दूसरे विभागों से चर्चा कर उसे आनन-फानन में उसे लागू कराने के लिए जाने जाते हैं। छत्तीसगढ़ में गृह विभाग के अपने तीन साल के कार्यकाल में उन्होंने फोर्स और सिविल प्रशासन में तालमेल बिठाया जिसका नतीजा यह रहा कि बस्तर में बड़ी नक्सली घटनाओं में कमी दर्ज की गई।

उनकी सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मनमोहन के प्रधानमंत्री रहने के दौरान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने उन्हें पत्र लिखकर कहा कि सुब्रमण्यम को छत्तीसगढ़ वापस भेज दें ताकि वे राज्य में सेवाएं दे सकें। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जवाब दिया कि उन्हें ऐसे अफसर की जरूरत है जो संवेदनशील विषयों पर काम कर सकता है और जो विश्वास बनाए रखता हो। वे मनमोहन सिंह के विश्वस्त रहे।

बस्तर के विकास का बनाया प्लान
उन्होंने प्रधानमंत्री के सचिव के तौर पर यूपीए-1 सरकार में चार साल बिताए। फिर मार्च 2012 से मार्च 2015 तक प्रधानमंत्री कार्यालय में ज्वाइंट सेक्रेटरी रहे। लंदन बिजनेस स्कूल से मैनेजमेंट की डिग्री लेने वाले सुब्रमण्यम इस बीच वाशिंगटन में विश्व बैंक के सलाहकार भी रहे। 57 साल के सुब्रमण्यम ने बस्तर विकास का प्लान बनाया। जम्मू कश्मीर में उन्हें सेना और अर्धसैन्य बलों में समन्वय बनाने की चुनौती मिलेगी। वे इस काम के माहिर माने जाते हैं।

सुब्रमण्यम फिलहाल छत्तीसगढ़ सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव हैं और गृह, जेल तथा परिवहन विभाग संभाल रहे हैं। उनका विभाग अब वित्त विभाग के प्रमुख सचिव अमिताभ जैन देखेंगे। नक्सल इलाकों में विकास कार्यों में दूसरे विभागों से समन्वय के लिए उन्हें छत्तीसगढ़ में याद किया जाएगा। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.