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Chhath Puja 2019: दिखने लगी छठ की छटा सजने लगे घर-आंगन, लौटने लगे परदेसी

छठव्रती गीत गा रही हैं- ‘छठी मइया... आईं न दुअरिया सजाइब पोखरी खनाइब हे...।’ शारदा सिन्हा के गीतों की आवाज हर दूसरे घर से आनी शुरू हो गई है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 02:09 PM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 02:16 PM (IST)
Chhath Puja 2019: दिखने लगी छठ की छटा सजने लगे घर-आंगन, लौटने लगे परदेसी
Chhath Puja 2019: दिखने लगी छठ की छटा सजने लगे घर-आंगन, लौटने लगे परदेसी

जागरण संवाददाता, पटना। दिवाली की जगमग रात बीतते ही नई सुबह का सूरज छठ के आगमन का संदेश लेकर आया। अब छठ का पख चढ़ चुका है। जिनके घर छठ होना है, उन्हें अब फुर्सत नहीं। घरों में साफ-सफाई सुबह से शुरू है। छठव्रती गीत गा रही हैं- ‘छठी मइया... आईं न दुअरिया सजाइब, पोखरी खनाइब हे...।’ शारदा सिन्हा के गीतों की आवाज हर दूसरे घर से आनी शुरू हो गई है।

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पख चढ़ने के साथ ही छठ के लिए जरूरी सामान की खरीदारी भी सोमवार से शुरू हो गई। छठव्रतियों की भाषा में बोलें तो अब घर में सबकुछ नेम-धर्म से होगा। व्रती के साथ पूरा घर-परिवार शुद्धता का ख्याल रखेगा। लहसुन-प्याज तो कई घरों में कार्तिक शुरू होने के साथ ही बंद हो जाता है, जिनके यहां नहीं भी बंद हुआ वे पख चढ़ने के बाद इसे छोड़ देंगे।

गंगाजल से शुद्ध हुआ घर, टमाटर- बैंगन बंद

जहानाबाद की गायंती देवी बताती हैं, पख चढ़ने के बाद फुर्सत नहीं मिलती। छठ से जुड़ा हर काम शुद्धता के साथ किया जाता है। आज से रोज का खाना भी स्नान करने के बाद ही बनाया जाएगा। आज दिनभर गेहूं को चुनने-फटकारने का काम हुआ। कल इसे धोकर सुखाएंगे। पटना के पटेलनगर की मीना सिन्हा कहती हैं, छठ होने वाले घरों में अब बैंगन और टमाटर का इस्तेमाल भोजन में नहीं होगा। बीज वाली सब्जियों को छठव्रती नहीं खाते। इसी तरह उसना चावल, मसूर और उड़द दाल भी नहीं खाया जाता।

पटना के तालाबों पर बांस की घेराबंदी हो रही, ताकि सुरक्षित तरीके से अघ्र्य दिया जा सके।

पटना के घाट पर हमहूं देब अरगिया...

गंगा घाटों पर छठ का सबसे मनोरम दृश्य होता है। कई व्रतियों की मन्नत भी होती है कि वे गंगा घाट पर छठ करेंगी। बिहार की राजधानी पटना के गंगा घाटों को छठ के लिए तैयार करने का काम दुर्गापूजा के बाद से शुरू है। इस साल गंगा का जलस्तर काफी बढ़ गया था। अब गंगा के वापस लौटने के बाद दलदल बड़ी परेशानी बनकर उभरा है। दलदल वाली जगह पर बालू डाला जा रहा है। बैरिकेडिंग का काम भी हो रहा है। 101 गंगा घाटों को 21 सेक्टर में बांटकर अधिकारी दिन-रात काम में जुटे हैं। राज्य सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि 30 अक्टूबर तक हर हाल में छठ घाट तैयार हो जाने चाहिए।

पटना के कलेक्ट्रेट घाट पर व्रतियों के लिए चल रही तैयारी।

41 तालाबों में भी दिया जाएगा अघ्र्य

गंगा घाटों पर उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए प्रशासन की ओर से राजधानी के 41 तालाबों में भी अघ्र्य दिए जाने की तैयारी है। इसमें पटना सिटी से दानापुर तक के स्थायी तालाबों के अलावा पटना चिड़ियाघर की झील भी शामिल हैं। इन तालाबों की साफ-सफाई का काम शुरू हो चुका है। एक-दो दिनों में लाइटिंग का इंतजाम भी हो जाएगा।

छठी माई स्वागत गीत

छठी मइया...

आईं न दुअरिया सजाइब, पोखरी

खनाइब हे...

नारियर केलवा कसरवा चढ़ाइब...

छठी मइया

गंगा के दूधवा ढराइब...अरग

दियाइब हे...

दलवा, दउरवा, सूपती चढ़ाइब...

छठी मइया

कलसा पे दियरा जराइब... दियरी

ओढ़ाइब हे...

दउरा और सूप की खरीदारी हो गई है शुरू। बांस के दउरा और सूप में ही प्रसाद ले जाया जाता है और अघ्र्य की प्रक्रिया पूरी होती है।

स्वागत है ...: छठ मनाने के लिए देश भर से बिहारी अपने गांव की ओर चल पड़े हैं। वह जब पटना स्टेशन पर उतरेंगे, तो जंक्शन की दीवारों पर उन्हें लोकपर्व की छटा दिखेगी। अधिसंख्य पटना वाले भी गांव जाने के लिए मोटरी बांध रहे। सीपी मिश्र

बाजार पर अब छठ प्रसाद का कब्जा होने वाला है। ट्रक भरकर नारियल पहुंचने लगे हैं।

पटना के दारोगा राय पथ पर छठ पूजा के लिए बिक रहा मिट्टी का चूल्हा। जागरण

ट्रेनों में लदकर घर आ रहे परदेसी

छठ को लेकर ट्रेनों में भीड़ शुरू हो गई है। नई दिल्ली से आने वाली संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस के जनरल और स्लीपर कोच के यात्रियों की टिकट तक जांच नहीं हो पा रही है। टिकट निरीक्षकों की मानें तो भीड़ इतनी है कि ट्रेन में एक बोगी से दूसरे बोगी में जाना नामुमकिन है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई से आने वाली सभी ट्रेनों में नोरूम की स्थिति है। हवाईजहाज के टिकट की कीमत भी आसमान छू रही है।

छठ को लेकर पटना जंक्शन पर विशेष इंतजाम किए गए हैं। आधा दर्जन टिकट काउंटर बढ़ाए गए हैं। प्लेटफॉर्म पर भीड़ कम करने के लिए जंक्शन के पार्किंग परिसर में पंडाल बनाया जाएगा। मंगलवार से इसका काम शुरू हो जाएगा। यहां यात्रियों के लिए अतिरिक्ति कुर्सियों लगाई जाएंगी। साथ ही पुलिस और रेलवे के अफसर भी तैनात किए जाएंगे।

साधना बोली काले-भूरे रंग का कपड़ा पहनना बंद मैं पिछले 14 सालों से छठ कर रही हूं। छठ को लेकर भाईदूज से लेकर पारण तक काले या भूरे रंग के कपड़े नहीं पहनते हैं। खाने में उड़द दाल, उसना चावल, मसूर दाल, बैंगन और ओल भी नहीं खाते है।

इंदु कुमारी बोली मैं पिछले 24 सालों से छठ व्रत कर रही है। छठ में सबसे अहम चीज साफ-सफाई है। पूजा के बर्तन धोने से लेकर पूजन सामग्री की तैयारी तक, हर काम नेम- धर्म से करना होता है। व्रती के साथ पूरा घर नियम का पालन करता है।


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