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बाजार में आ रहा सस्ता विलायती गेहूं, बिगाड़ेगा घरेलू बाजार की तस्वीर

समर्थन मूल्य में वृद्धि से गेहूं का आयात और भी बढ़ेगा जिससे घरेलू बाजार की तस्वीर भी बिगड़ सकती है।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Mon, 04 Dec 2017 01:07 PM (IST)Updated: Mon, 04 Dec 2017 01:07 PM (IST)
बाजार में आ रहा सस्ता विलायती गेहूं, बिगाड़ेगा घरेलू बाजार की तस्वीर
बाजार में आ रहा सस्ता विलायती गेहूं, बिगाड़ेगा घरेलू बाजार की तस्वीर

 सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। सस्ते गेहूं का आयात बढऩे से घरेलू जिंस बाजार डगमगाने लगा है। कीमतें पिछले साल के समर्थन मूल्य से भी नीचे बोली जा रही हैं। चालू रबी सीजन में एमएसपी और बढ़ा दिया गया है, जिससे सस्ते गेहूं का आयात और बढ़ सकता है। जिन राज्यों में गेहूं पैदा नहीं होता है, वहां सस्ता आयात पहले से ही तेजी पकड़ रहा है। जबकि सरकारी एजेंसी भारतीय खाद्य निगम के गोदाम गेहूं से ठसाठस भरे हुए है। खुले बाजार में गेहूं बेचने की निगम की योजना फ्लाप हो गई है।

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खुले बाजार में गेहूं बेचने की एफसीआई की योजना (ओएमएसएस) का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है। उधर, गेहूं के आयात पर मात्र 10 फीसद का सांकेतिक शुल्क लगाया गया है। वैश्विक बाजार में गेहूं की पर्याप्त उपलब्धता और मांग में कमी होने की वजह से कीमतें सतह पर हैं। यही वजह है कि उपभोक्ता राज्यों में गेहूं की मांग को सस्ते आयात से पूरा किया जा रहा है। इसका खामियाजा घरेलू बाजार को भुगतना पड़ रहा है। गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में कीमतें 1400 से 1500 रुपये प्रति क्विंटल बोली जा रही हैं। जबकि पिछले साल की एमएसपी 1625 रुपये है। ऐसे में अच्छे दाम की आस में बैठे गेहूं किसानों को बाजार का समर्थन न मिलने से बहुत नुकसान हो रहा है।

पिछले रबी सीजन में गेहूं की पैदावार सर्वाधिक 9.6 करोड़ टन रही है। उसी के अनुरुप सरकारी एजेंसियों ने गेहूं की खरीद भी जमकर की है। पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश की तर्ज पर पहली बार उत्तर प्रदेश ने भी जमकर सरकारी खरीद की है। इसके चलते सरकारी गोदाम भर गये। लेकिन सरकारी खरीद कुल पैदावार के मुकाबले 20 फीसद से थोड़ी अधिक ही हो पाती है। बाकी गेहूं खुले बाजार में ही किसान अपनी सुविधा और जरुरत के हिसाब से बेचते हैं।

चालू रबी सीजन के लिए सरकार ने गेहूं का एमएसपी 1735 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। इसे देखते हुए गेहूं का आयात और तेज हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक विभिन्न बंदरगाहों पर अभी तक 15 लाख आयातित गेहूं पहुंच चुका है। जबकि इससे कहीं अधिक गेहूं का सौदा हो चुका है, जिसका एक बड़ा हिस्सा कभी भी बंदरगाहों पर पहुंच सकता है। गेहूं आयात पर समय रहते अंकुश न लगाया गया तो घरेलू बाजार का हुलिया बिगड़ सकता है।

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