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घाटकोपर विमान हादसाः भोजन अवकाश न होता तो और कई जानें जाती

घाटकोपर इलाके में हुई विमान दुर्घटना में मारे जाने वाले लोगों की तादाद बढ़ सकती थी, अगर उस समय भोजन अवकाश न होता।

By Vikas JangraEdited By: Published: Fri, 29 Jun 2018 06:57 PM (IST)Updated: Fri, 29 Jun 2018 07:57 PM (IST)
घाटकोपर विमान हादसाः भोजन अवकाश न होता तो और कई जानें जाती
घाटकोपर विमान हादसाः भोजन अवकाश न होता तो और कई जानें जाती

मुंबई [प्रेट्र]। घाटकोपर इलाके में हुई विमान दुर्घटना में मारे जाने वाले लोगों की तादाद बढ़ सकती थी, अगर उस समय भोजन अवकाश न होता। ज्यादातर मजदूर पास के दूसरे निर्माणाधीन भवन में भोजन कर रहे थे। उसी दौरान चार्टेड विमान निर्माणाधीन भवन पर जा गिरा था।

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हादसा दोपहर 1.11 बजे हुआ। पुलिस का भी मानना है कि कम से कम 40 मजदूरों की जान भोजन अवकाश के कारण बच गई। हादसे में पांच लोगों की मौत हुई थी। इनमें चार विमान के चालक दल के सदस्य थे जबकि एक राहगीर था। तीन निर्माण मजदूरों को मामूली चोट लगीं। उन्हें नागरिक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

श्रमिक नरेश निषाद के चेहरे पर चोट लगी। उसका कहना है कि उस समय हल्की बारिश शुरू हो गई थी। इस वजह से सभी मजदूर पास के भवन में भोजन करने चले गए थे। अगर बारिश न होती तो सारे उसी भवन में बैठकर भोजन कर रहे होते। ऐसे में जानमाल का नुकसान बढ़ सकता था।

छत्तीसगढ़ के रहने वाले नरेश का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि विमान कहां से आया। एक अन्य मजदूर का कहना है कि अगर विमान किसी ऊंची बिल्डिंग पर जा गिरता तो अनुमान लगाना मुश्किल है कि कितने लोगों की जान जाती। उत्तर प्रदेश के लवकुश का कहना है कि सब कुछ सामान्य था कि अचानक तेज धमाके की आवाज सुनाई दी। वह उस समय भवन में नहीं थे। इस वजह से जान बच गई। अन्यथा वह भी मारे जाते।

ध्यान रहे कि विमान उत्तर प्रदेश सरकार का था। इसे यूवाई कंपनी को बेच दिया गया था। इसने जुहू से उड़ान भरी थी। लेकिन वापसी में जुहू से चान नॉटिकल मील दूर ही यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।


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