Move to Jagran APP

दादरी के दिलेरों ने अंग्रेजों को किया था पस्त

देश की आजादी की जंग में दादरी के क्रातिकारियों का भी अहम योगदान रहा है। स्वाधीनता संग्राम में दादरी के क्रातिकारियों ने अंग्रेजी शासन की नींव हिला दी थी। अंग्रेजों ने अपना आधिपत्य कमजोर होता देख दादरी रियासत पर हमला बोल दिया और

By Edited By: Published: Wed, 15 Aug 2012 11:29 AM (IST)Updated: Wed, 15 Aug 2012 11:37 AM (IST)
दादरी के दिलेरों ने अंग्रेजों को किया था पस्त

ग्रेटर नोएडा, [धर्मेद्र चंदेल]। देश की आजादी की जंग में दादरी के क्रातिकारियों का भी अहम योगदान रहा है। स्वाधीनता संग्राम में दादरी के क्रातिकारियों ने अंग्रेजी शासन की नींव हिला दी थी। अंग्रेजों ने अपना आधिपत्य कमजोर होता देख दादरी रियासत पर हमला बोल दिया और 87 क्रातिकारियों को पकड़कर एक साथ बुलंदशहर के काला आम चौराहा पर फासी दे दी गई। इनमें दादरी रियासत के जमींदार राव रोशन सिंह, उनके दो बेटे व भतीजा राव उमराव सिंह, बिशन सिंह, भगवंत सिंह भी शामिल थे। अन्य शहीद भी आसपास के गावों के रहने वाले थे। अंग्रेजों के खिलाफ दादरी से उठी चिंगारी धीरे-धीरे सभी गावों में फैल गई।

loksabha election banner

मई, 1857 के गदर में मेरठ से विद्रोह शुरू होने से पहले दादरी रियासत के मालिक कठेड़ा गाव के दरगाही सिंह ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बिगुल बजा दिया था। 1819 में उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे राव रोशन सिंह व भतीजे राव उमराव सिंह ने विरासत संभालते हुए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई जारी रखी। इस दौरान दादरी क्रातिकारियों का गढ़ बन गया था।

आजादी के दीवानों ने अंग्रेजी फौजों को कभी कोट के पुल से आगे नहीं बढ़ने दिया। रोशन सिंह और उमराव सिंह ने गाव के लोगों को अपने साथ जोड़कर दिल्ली में मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर से भेंटकर उनके नेतृत्व में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह कर दिया। माला गढ़ के नवाब वलीदाद खा को बहादुर शाह जफर का नजदीकी माना जाता था। वलीदाद खा की रोशन सिंह और उमराव सिंह से दोस्ती थी। इन तीनों ने अपने तोप खाने के साथ 30 व 31 मई 1857 को गाजियाबाद के हिंडन पुल के पास अंग्रेजी सेना को दिल्ली जाने से रोकने के लिए जमकर लड़ाई लड़ी। अंग्रेजी सेना को इसमें पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा। अंग्रेज सेना के साथ कई क्रातिकारी भी शहीद हुए। उनकी कब्र आज भी हिंडन के पास मौजूद है। अंग्रेजों के खिलाफ उठा गदर गाव-गाव फैल गया। काफी समय दादरी में गुलामी का निशान नहीं रहा। अपना आधिपत्य कमजोर होता देख अंग्रेजों ने रात में दादरी रियासत पर हमला बोल दिया और राव उमराव सिंह समेत विभिन्न स्थानों से 87 क्रातिकारियों को पकड़कर उन्हें काला आम चौराहा पर लटका दिया।

शहीदों के नाम का दादरी तहसील में लगा है शिलालेख

अंग्रेजों ने दादरी क्षेत्र के जिन क्रातिकारियों को फासी दी थी, उनके नाम का शिलालेख दादरी तहसील में लगा हुआ है। एक छोटा स्मारक भी बना है, लेकिन शहीदों के नाम पर जिले में कोई बड़ा स्मारक नहीं है। राव उमराव सिंह की मूर्ति भी दादरी तिराहे पर लगी है।

शहीद क्रातिकारियों के नाम: हिम्मत सिंह, झडू जमींदार, सहाब सिंह, हरदेव सिंह, रूपराम, मुजलिस भाटी, फतेह सिंह, फत्ता नंबरदार, सुलेख महावड़, हरदयाल गहलोत, दीदार सिंह, राम सहाय, नवल, कल्लू जमींदार, करीम बख्स, जबता खान, मैदा, मुगनी, बस्ती,भोलू, मुलकी गुर्जर, बंसी जमींदार, देवी जमींदार, दान सहाय, कल्ला गहलोत, कदम गुर्जर, अहसान गुर्जर, सुरजीत सिंह आदि शामिल थे।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.