कश्मीरी जुबिन मेहता की धुनों के साथ
श्रीनगर [जाब्यू]। कश्मीर के अलगाववादी, आतंकी और तथाकथित मानवाधिकार संगठन जहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त संगीतकार जुबिन मेहता के प्रस्तावित संगीत संध्या को रद कराने के लिए मोर्चा खोल चुके हैं, वहीं पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोग और आम अवाम इसको कश्मीर के हालात में बेहतरी के लिए जरूरी मानता है। वह संगीत क
श्रीनगर [जाब्यू]। कश्मीर के अलगाववादी, आतंकी और तथाकथित मानवाधिकार संगठन जहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त संगीतकार जुबिन मेहता के प्रस्तावित संगीत संध्या को रद कराने के लिए मोर्चा खोल चुके हैं, वहीं पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोग और आम अवाम इसको कश्मीर के हालात में बेहतरी के लिए जरूरी मानता है। वह संगीत कार्यक्रम को सियासत से पूरी तरह दूर रखे जाने पर जोर दे रहा है।
गौरतलब है कि नई दिल्ली स्थित जर्मनी दूतावास की तरफ से आगामी सात सितंबर को डल झील किनारे स्थित शालीमार बाग में जुबिन मेहता के म्यूजिकल कंसर्ट अहसास-ए-कश्मीर का आयोजन किया जा रहा है। सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज मौलवी उमर फारूक, शब्बीर शाह, आसिया अंद्राबी सरीखे अलगाववादियों के अलावा हिजबुल मुजाहिदीन और कई मानवाधिकार संगठनों ने इस आयोजन का विरोध करते हुए जर्मनी की सरकार से इसे रद करने का आग्रह किया है। विरोध करने वालों का तर्क है कि कश्मीर एक विवादित क्षेत्र है। इसलिए यहां यह म्यूजिकल कसंर्ट नहीं होना चाहिए। संगीत संध्या के आधिकारिक ट्रेवल एजेंट कश्मीर कारवां के सीईओ मुजफ्फर अंद्राबी का कहना है कि इसका कश्मीर की सियासत से कोई सरोकार नहीं है। जर्मनी के राजदूत ने भी स्थिति स्पष्ट कर दी है। कुछ लोगों ने जानबूझकर इसे सियासत से जोड़ दिया है। अगर यह संगीत संध्या कामयाब रहती है तो वापस पटरी पर लौटने को प्रयासरत कश्मीर के पर्यटन उद्योग को ही फायदा पहुंचेगा। इसका विभिन्न यूरोपीय मुल्कों में सीधा प्रसारण होगा और आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि इससे विदेशों में रहने वाले लोगों पर क्या असर होगा। उन्हें पता चलेगा कि कश्मीर सामान्य हो चला है और यहां फिर से विदेशी सैलानियों की भीड़ होगी।
हाउसबोट ऑनर्स एसोसिएशन के प्रमुख अजीम तोमान ने कहा कि हुर्रियत नेताओं को इस संगीत कार्यक्रम का विरोध नहीं करना चाहिए। इससे कश्मीर में पर्यटन उद्योग पर असर होगा। उनका विरोध यूरोपीय मुल्कों के लोगों के दिमाग में कश्मीर के प्रति नकारात्मक छवि बनाएगा। इनटैक के जम्मू-कश्मीर चैप्टर के प्रमुख सलीम बेग ने कहा कि संगीत कार्यक्रम का इसी तरह विरोध होता रहा तो दुनियाभर में कश्मीरियों की नकारात्मक छवि बनेगी। लोग कहेंगे कि कश्मीर असहिष्णु है। कश्मीर विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र में शोध कर रहे डॉ. फैयाज ने कहा कि अलगाववादी खेमे का तर्क अपनी जगह ठीक हो सकता है, लेकिन वह किसी भी तरह से व्यावहारिक नहीं है।
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