Chandrayaan 2: ...तो इस कारण से लांच नहीं हुआ 'बाहुबली', अब तरकीब खोजने में जुटे वैज्ञानिक
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रक्षेपण इसलिए टाला गया क्योंकि अभियान के महत्व को देखते हुए वैज्ञानिकों ने संभलकर चलना मुनासिब समझा।
चेन्नई, प्रेट्र। इसरो ने अब तक आधिकारिक रूप से यह नहीं बताया है कि चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण आखिरी क्षणों में क्यों रोकना पड़ा। हालांकि, इससे जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि खामी बड़ी नहीं रही होगी। प्रक्षेपण इसलिए टाला गया क्योंकि अभियान के महत्व को देखते हुए वैज्ञानिकों ने संभलकर चलना मुनासिब समझा।
इसरो के पूर्व वैज्ञानिक और क्रायोजेनिक इंजन के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले नंबी नारायणन ने कहा, 'दुख की बात है कि काउंटडाउन रोकना पड़ा। वैज्ञानिकों को कुछ गलत लगा होगा। मेरा अनुमान है कि समस्या छोटी ही होगी, लेकिन वैज्ञानिक कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते होंगे।'
नारायणन ने प्रक्षेपण टालने के फैसले को सही भी ठहराया। उन्होंने कहा, 'खामी छोटी ही रही होगी, लेकिन ऐसे मामले में आगे बढ़ने के बजाय रुक जाने का फैसला ही सही रहता है। वैज्ञानिक अभी असल कारण का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। हमें थोड़ा इंतजार करना चाहिए।' रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के पूर्व वैज्ञानिक रवि गुप्ता ने भी समय पर खामी का पता लगाने और अभियान को स्थगित करने के फैसले को सही ठहराया है।
गौरतलब है कि सोमवार को तड़के 2.51 मिनट पर चंद्रयान-2 को लांच होना था। इसके लिए पूरी तैयारी कर ली गई थी, लेकिन इससे लगभग एक घंटे से पहले मिशन कंट्रोल सेंटर ने प्रक्षेपण को स्थगित करने की घोषणा की। प्रक्षेपण यान GSLV-MK 3 जिसे 'बाहुबली' नाम दिया गया है, उसमें आई तकनीकी खामी के चलते प्रक्षेपण को रोकना पड़ा।
मिशन कंट्रोल सेंटर की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि मौजूदा लांच विंडो के तहत अब चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण संभव नहीं है। प्रक्षेपण की अगली तारीख की घोषणा बाद में की जाएगी। लांच विंडो वह समय होता है जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है और उस दौरान दूसरे उपग्रहों से टकराने का खतरा भी कम होता है।
भारत के लिए अहम मून मिशन
भारत के लिए यह मिशन बहुत अहम है। इस मिशन के सफल होते ही चंद्रमा पर अपना यान उतारने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले रूस, अमेरिका और चीन ही चंद्रमा पर अपने यान उतारने में सफल रहे हैं।
3.8 टन का है चंद्रयान-2
4 मीटर लंबे और 640 टन के जीएसएलवी-एमके 3 रॉकेट से 3.8 टन के अंतरिक्ष यान चंद्रयान-2 को छोड़ा जाना था। इस मिशन पर 978 करोड़ रुपये की लागत आई है।
तीन खंडों वाला है चंद्रयान-2
इसरो का महत्वाकांक्षी मून मिशन चंद्रयान-2 के तीन भाग हैं। पहला खंड ऑर्बिटर है जिसका वजन 2,379 किलोग्राम और उस पर आठ पेलोड हैं। दूसरा भाग लैंडर विक्रम है, जिसका वजह 1,471 किलोग्राम और चार पेलोड हैं। तीसरा भाग रोवर प्रज्ञान है, जिसका वजन 27 किलोग्राम है और इस पर दो पेलोड हैं। चांद पर उतरने के बाद प्रज्ञान वहां सतह के साथ ही पानी की खोज करेगा।
तीन स्टेज रॉकेट है 'बाहुबली'
चार टन तक के उपग्रह को ले जाने की क्षमता वाला प्रक्षेपण यान 'बाहुबली' ठोस ईंधन द्वारा संचालित होता है। दो स्ट्रैप-ऑन मोटर्स के साथ यह तीन चरण/ इंजन रॉकेट है। इसका दूसरे चरण का इंजन तरल ईंधन बूस्टर है और तीसरा क्रायोजेनिक इंजन है।
कहां उतरता चंद्रयान-2
चंद्रयान-2 को चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर भेजा जाना था, जहां अभी तक कोई नहीं पहुंचा है। यह भाग अत्यधिक ठंडा रहता है, क्योंकि सूर्य की किरणें यहां सीधी नहीं पड़ती।
प्रक्षेपण टलने से छात्र निराश
चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण को देखने के लिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में मौजूद छात्र प्रक्षेपण टलने से निराश हो गए। छात्रों ने कहा कि प्रक्षेपण को लेकर वो बहुत उत्साहित थे। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगली बार मून मिशन को सफलतापूर्वक लांच कर दिया जाएगा।
खामियों का पता लगाने के लिए कमेटी का गठन
रॉकेट में आई खामी का पता लगाकर उसे दूर करने के उपाय सुझाने के लिए इसरो ने विशेषज्ञों की कमेटी का गठन किया है। कमेटी से जल्द रिपोर्ट देने को भी कहा गया है। अधिकारियों ने बताया कि रॉकेट में पूरा ईंधन भरा हुआ है, इसलिए सबसे पहले उसे सामान्य हालत में लाया जाएगा। समय रहते गड़बड़ी का पता चल जाने पर प्रक्षेपण अभियान से जुड़े अधिकारियों ने राहत की सांस ली है।