अब चांद पर धूम मचाने को तैयार भारत, चांद की सतह पर उतारेगा रोवर
मानव रहित मिशन के तहत चंद्रयान द्वितीय नामक उपग्रह को चांद की कक्षा में स्थापित करना एवं चांद की सतह पर रोवर उतारना।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। चंद्रयान प्रथम के कामयाब प्रक्षेपण के बाद इसरो चंद्रयान द्वितीय को भेजने की तैयारी में जुटा है। इस अभियान में चांद की सतह पर रोवर उतार कर देश अंतरिक्ष विज्ञान में परचम लहराएगा। चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण इसी साल अक्टूबर में किया जाना था, लेकिन किन्हीं कारणों से इसे दिसंबर 2018 तक के लिए टाल दिया गया है। अब ये प्रक्षेपण 2019 में ही मुमकिन हो पाएगा। इस कारण इजरायल को चांद तक पहुंचने का मौका भारत से पहले मिल सकता है। दरअसल, इस साल के अंत में इजरायल की एक कंपनी चांद पर अपना मिशन भेजने की तैयारी में है।
क्या है अभियान
मानव रहित मिशन के तहत चंद्रयान द्वितीय नामक उपग्रह को चांद की कक्षा में स्थापित करना एवं चांद की सतह पर रोवर उतारना। जीएसएलवी एमके-3 से इसे अंतरिक्ष भेजा जाएगा।
रोवर
अपने छह पहियों के साथ 20 किग्रा का रोवर सौर ऊर्जा से चलेगा। एक साल तक काम करने वाला रोवर एक घंटे में 360 मीटर चलने के साथ 150 किमी की दूरी तय करने में सफल हो सकेगा।
इसलिए है अहम
लैंडर और चलायमान रोवर को चंद्रमा के मैंजीनस सी और सिंपेलियस एन क्रेटर्स के पास उतारने की योजना है। अगर सबकुछ योजना के अनुसार हुआ तो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर रोवर उतारने वाला भारत पहला देश बनेगा। रोवर सतह से अलग- अलग जगहों के नमूने लेगा। इन नमूनों के आंकड़ों को कक्षा में स्थापित चंद्रयान द्वितीय उपग्रह द्वारा पृथ्वी पर नियंत्रण कक्ष में भेजा जाएगा। इसके आकलन से आगामी मानव चंद्र अभियानों में सहायता मिलेगी।
ऐसे हुई तैयारी
12 नवंबर 2007 को रूसी अंतरिक्ष एजेंसी और इसरो के बीच चंद्रयान द्वितीय पर काम करने की सहमति हुई। कक्षा में परिक्रमा करने वाले उपग्रह और रोवर की जिम्मेदारी इसरो पर जबकि रॉस्कोस्मोस (रूसी अंतरिक्ष एजेंसी) पर लैंडर मुहैया कराने की जिम्मेदारी थी। हालांकि रूस के मंगल अभियान फोबोस- ग्रंट के विफल होने पर रूस ने इस परियोजना से हाथ खींच लिए। लिहाजा लांचिंग की तारीख टलती गई। अब भारत अपने बलबूते पूरे अभियान को अंजाम देने जा रहा है।
बता दें कि चंद्रयान-1 और मंगलयान मिशन के बाद चंद्रयान-2 इसरो के लिए एक बहुत बड़ा मिशन है। इसरो से जुड़े अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया, हम कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहते हैं।’ ऐसे में अब चंद्रयान-2 मिशन को जनवरी में रवाना किया जा सकता है। इस संबंध में इसरो अध्यक्ष के. सिवन से संपर्क नहीं हो पाया है। अप्रैल में उन्होंने सरकार को अक्टूबर-नवंबर में होने वाले प्रक्षेपण को टालने की सूचना दी थी। चंद्रयान-2 की समीक्षा करने वाली एक राष्ट्रीय स्तर की समिति ने इस मिशन से पहले कुछ अतिरिक्त परीक्षण की सिफारिश की थी। चंद्रयान-2 को सबसे पहले अप्रैल में ही पृथ्वी से रवाना किया जाना था।
चंद्रयान-2 चांद पर रोवर उतारने की इसरो की पहली कोशिश है। इस पर करीब 800 करोड़ का खर्चा आया है और यह चांद के दक्षिणी धु्रव पर उतरेगा। चांद के इस हिस्से की ज्यादा जांच-पड़ताल अब तक नहीं हुई है। इससे पहले इसरो एक साल के भीतर दो बड़ी असफलताओं को झेल चुका है। इस साल की शुरुआत में इसरो ने सैन्य उपग्रह जीएसएटी-6ए प्रक्षेपित किया था, लेकिन इस उपग्रह के साथ इसरो का संपर्क टूट गया था। इसके बाद इसरो ने फ्रेंच गुयाना से प्रक्षेपित होने वाले जीएसएटी-11 के प्रक्षेपण को यह कहते हुए टाल दिया था कि इसकी कुछ अतिरिक्त तकनीकी जांच की जाएगी। पिछले साल सितंबर में आइआरएनएसएस-1एच नौवहन उपग्रह को लेकर जा रहे पीएसएलवी-सी-39 मिशन अभियान भी असफल रहा था।