Chandrayaan 2 : चांद से महज 2 किमी की दूरी पर खो गया अपना चंद्रयान-2, जानिए उस पल को जब संपर्क टूटा...
चांद से 2.1 किलोमीटर की दूरी तक लैंडर से संपर्क बना रहा था। इसके बाद वैज्ञानिक लैंडर से संपर्क नहीं साध पाए।
नई दिल्ली, जेएनएन। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन था। चांद पर उतर रहे लैंडर विक्रम से भले ही संपर्क टूट गया, लेकिन सवा अरब भारतीयों की उम्मीदें नहीं टूटी हैं। इस अभियान के जरिये इसरो ने जो उपलब्धि हासिल की है, वह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। एक समय जिस इसरो को विकसित देशों ने अपनी तकनीकें देने से मना कर दिया था, आज वही इसरो अपनी टेक्नोलॉजी का डंका बजा रहा है।
...जब इसरो के कंट्रोल रूम में पसर गया सन्नाटा
शुक्रवार रात डेढ़ बजे शुरू हुई विक्रम के सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया सामान्य रफ्तार से आगे बढ़ रही थी। लैंडर विक्रम जब चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर दूर रह गया था, तो अचानक इसरो के कंट्रोल रूम में सन्नाटा पसर गया। वैज्ञानिकों के चेहरे लटक गए। कुछ समझ नहीं आ रहा था कि हुआ क्या। दरअसल स्क्रीन पर आ रहे आंकड़े अचानक थम गए थे। तभी इसरो चीफ सिवन वहां बैठे पीएम मोदी की तरफ बढ़े। उन्होंने पीएम को ब्रीफ किया और बाहर निकल गए। इससे अटकलें लगने लगीं कि आखिर हुआ क्या है। कुछ ही देर में इसरो ने कंट्रोल रूप से अपनी लाइव स्ट्रीमिंग भी बंद कर दी। इससे बेचैनी और बढ़ गई।
विक्रम का टूट गया संपर्क
सस्पेंस के इन पलों में इसरो के चीफ सिवन सामने आए। उन्होंने कहा कि विक्रम का संपर्क टूक गया है। विक्रम और प्रज्ञान कहीं खो गए हैं। इसरो के चेयरमैन के सिवन ने कहा, 'विक्रम लैंडर के चांद पर उतरने का मिशन योजना के मुताबिक चल रहा था और 2.1 किलोमीटर ऊंचाई तक सबकुछ नॉर्मल था। उसके बाद विक्रम का ग्राउंड स्टेशन संपर्क टूट गया। डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है।'
पीएम मोदी ने कहा देश के वैज्ञानिकों पर गर्व
चंद्रयान-2 में इसरो अपने मिशन से दो कदम दूर भर है, संशय कायम है, लेकिन भरोसा है कि जीत अवश्य मिलेगी। इसलिए और भी, क्योंकि इसरो के साथ यह ख्याति जुड़ी है कि उसके लिए हर चुनौती एक अवसर होती है। खुद पीएम मोदी ने कहा, देश को वैज्ञानिकों पर गर्व है। वैज्ञानिक देश की सेवा कर रहे हैं। आगे भी हमारी यात्रा जारी रहेगी। मैं पूरी तरह वैज्ञानिकों के साथ हूं। हिम्मत बनाए रखें, जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं।
2.1 किलोमीटर की दूरी तक लैंडर से संपर्क बना रहा
चांद से 2.1 किलोमीटर की दूरी तक लैंडर से संपर्क बना रहा था। इसके बाद वैज्ञानिक लैंडर से संपर्क नहीं साध पाए। इसरो का कहना है कि जो डाटा मिला है, उसके अध्ययन के बाद ही संपर्क टूटने का कारण पता चल सकेगा। इस मौके पर इसरो के बेंगलुरु स्थित मुख्यालय में मौजूद रहे प्रधानमंत्री मोदी ने वैज्ञानिकों से अपडेट लिया। इसरो प्रमुख सिवन जब पीएम को अपडेट दे रहे थे तभी साथी वैज्ञानिकों ने सांत्वना में उनकी पीठ भी थपथपाई। इसके बाद से ही अभियान को लेकर चिंता बढ़ गई थी। लैंडिंग देख रहे इसरो प्रमुख के. सिवन के चेहरे के भाव उस पिता जैसे थे, जिसके बेटे का सबसे बड़ा इम्तिहान हो।
चंद्रयान-2 का सफर
22 जुलाई को जीएसएलवी-मार्क3 से हुई थी चंद्रयान-2 की लांचिंग
23 दिन तक पृथ्वी की अलग-अलग कक्षाओं में करता रहा परिक्रमा
14 अगस्त को लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्टरी पर भेजा गया चंद्रयान-2
20 अगस्त को चांद की कक्षा में सफलतापूर्वक किया प्रवेश
1 सितंबर को चांद की निकटतम कक्षा में पहुंचाया गया चंद्रयान-2
2 सितंबर को लैंडर-रोवर को ऑर्बिटर से अलग किया गया
4 सितंबर तक दो बार कक्षा में बदलाव करते हुए लैंडर-रोवर को चांद के नजदीक लाया गया