चंद्रमा पर 110वां अंतरिक्ष अभियान है Chandrayaan 2, जानिए- अन्य Moon Mission के बारे में
पूरे देश के साथ ही दुनिया की नजर भारत के मिशन Chandrayaan 2 पर टिकी हुई हैं। यह मिशन भारत को अमेरिका रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बना देगा।
नई दिल्ली, जागरण स्पेशल। Chandrayaan-2 चंद्रमा पर दुनिया का 110 वां और इस दशक का 11वां अंतरिक्ष अभियान है। 109 में से 90 अभियानों को 1958 और 1976 के बीच चांद पर भेजा गया। उसके बाद चांद पर अभियानों को भेजने का सिलसिला सुस्त पड़ गया। बीसवीं सदी के नौवें दशक में चंद्रमा पर अभियान धीरे-धीरे फिर से शुरू हो गए और 2008 में चंद्रयान -1 द्वारा चंद्रमा पर की गई पानी की खोज ने दुनिया का ध्यान चंद्रमा की ओर फिर आकर्षित किया।
भारत का पहला प्रयास
52 फीसद की सफलता दर के साथ अंतरिक्ष एजेंसियां अबतक कुल 38 सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास कर चुकी हैं। चंद्रयान -2 चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग का भारत का पहला प्रयास है। यह मिशन भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बना देगा।
विभिन्न चंद्रमा मिशन
फ्लाईबाई
ये वे मिशन हैं, जिनमें अंतरिक्ष यान चंद्रमा के पास से गुजरे, लेकिन चंद्रमा की कक्षा में नहीं पहुंचे। ये चंद्रमा का दूर से अध्ययन करने के लिए डिजायन किए गए हैं। फ्लाईबाई मिशन के कुछ प्रारंभिक उदाहरण अमेरिका द्वारा लांच किए गए पायनियर 3 और 4 और तत्कालीन यूएसएसआर के लूना 3 हैं, जो चंद्रमा के पास से गुजर चुके हैं।
ऑर्बिटर्स
इन अंतरिक्ष यानों को चंद्रमा की कक्षा में भेजने और चंद्रमा की सतह और वायुमंडल का लंबे समय तक अध्ययन करने के लिए डिजायन किया गया है। भारत का चंद्रयान -1 एक ऑर्बिटर था। किसी ग्रह का अध्ययन करने के लिए ऑर्बिटर मिशन सबसे आम तरीका है। अब तक, चांद और मंगल पर ही लैंडिंग संभव हो पाई है। अन्य सभी ग्रहों का अध्ययन ऑर्बिटर या फ्लाईबाई मिशनों के माध्यम से किया गया है।
लैंडर्स
इन मिशनों में चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान की लैंडिंग शामिल है। ये ऑर्बिटर मिशन की तुलना में अधिक जटिल हैं। चंद्रमा पर पहली लैंडिंग 31 जनवरी, 1966 को तत्कालीन यूएसएसआर के लूना 9 अंतरिक्ष यान द्वारा पूरी की गई थी। इसने चंद्रमा की सतह से पहली तस्वीर को भी धरती पर भेजा था।
मानव अभियान
इन अभियानों के तहत चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यात्रियों की उतारा जाता है। अभी तक केवल अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ही चंद्रमा पर मानव को उतारने सफर रही है। 1969 और 1972 के बीच अबतक आर्मस्ट्रांग सहित कुल 12 अंतरिक्ष यात्री चांद पर कदम रख चुके हैं। इसके बाद, चंद्रमा पर उतरने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। लेकिन नासा ने अब वर्ष 2024 तक एक और मानवयुक्त मिशन भेजने की योजना की घोषणा की है।
रोवर्स
ये लैंडर मिशनों का विस्तार हैं। लैंडर अंतरिक्ष यान भारी होते हैं, पैरों पर खड़े होते हैं और लैंडिंग के बाद स्थिर रहते हैं। इनपर लगे उपकरण अवलोकन कर सकते हैं और डाटा एकत्र कर सकते हैं, लेकिन चंद्रमा की सतह के संपर्क में नहीं आ सकते हैं। रोवर्स को इस कठिनाई को दूर करने के लिए डिजायन किया गया है। रोवर्स चंद्रमा की सतह पर घूम सकते हैं और बहुत उपयोगी जानकारी एकत्र करते हैं जो कि लैंडर के भीतर के उपकरण प्राप्त नहीं कर पाते हैं। चंद्रयान -2 मिशन में रोवर को प्रज्ञान नाम दिया गया है। इस साल की शुरुआत में, एक चीनी लैंडर और रोवर मिशन चंद्रमा पर पहुंचा। ये अभी भी सक्ति्रय हैं।
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