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विश्वविद्याल आरक्षण रोस्टर अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में मिली चुनौती

सरकार ने बुधवार को ही विवि और कालेजों में आरक्षण रोस्टर की पुरानी व्यवस्था को बहाल करते हुए इससे जुड़े अध्यादेश को मंजूरी दी थी।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Fri, 08 Mar 2019 09:28 PM (IST)Updated: Sat, 09 Mar 2019 01:41 AM (IST)
विश्वविद्याल आरक्षण रोस्टर अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में मिली चुनौती
विश्वविद्याल आरक्षण रोस्टर अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में मिली चुनौती

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विश्वविद्यालय आरक्षण रोस्टर को लेकर सरकार की ओर से लाए गए अध्यादेश को गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिसमें सरकार ने विभागवार की जगह विश्वविद्यालय या कालेज को ही यूनिट मानकर आरक्षण रोस्टर तैयार करने की पुरानी व्यवस्था को बहाल किया है। चुनौती देने वाली याचिका में इस फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए कहा गया है कि सरकार ने चुनावी लाभ लेने के लिए यह फैसला लिया है। कोर्ट से इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप की भी मांग की है।

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सरकार ने बुधवार को ही विवि और कालेजों में आरक्षण रोस्टर की पुरानी व्यवस्था को बहाल करते हुए इससे जुड़े अध्यादेश को मंजूरी दी थी। याचिकाकर्ता ने सरकार के फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि इससे विश्वविद्यालयों में विषमता पैदा होगी, क्योंकि विश्वविद्यालय को यूनिट मानकर तय होने वाले आरक्षण से विभागों में किसी एक वर्ग के शिक्षकों की संख्या बढ़ रही है। स्थिति यह है कि किसी विभाग में सामान्य वर्ग के लोग ज्यादा है, तो कहीं आरक्षित वर्ग के लोगों की संख्या अधिक है।

याचिकाकर्ता पृथ्वीराज चौहान और प्रिया शर्मा ने अध्यादेश को चुनौती देते हुए याचिका में कहा है कि सरकार ने इसके जरिए कोर्ट को भी चुनौती देने की कोशिश की है, क्योंकि पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मौजूदा रोस्टर में बदलाव करते हुए विभागवार आरक्षण रोस्टर तैयार करने का फैसला दिया था। जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी वैधता प्रदान की, जबकि सरकार ने इसे लेकर पुनर्विचार याचिका भी दाखिल की थी। सरकार की ओर से लगाई गई दोनों ही याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट ने अपने रूख को कायम रखा था। विश्वविद्यालय आरक्षण रोस्टर का यह पूरा विवाद इलाहाबाद कोर्ट के उस फैसले के बाद शुरू हुआ था, जिसमें कोर्ट ने विश्वविद्यालय की जगह विभाग को यूनिट मानकर आरक्षण रोस्टर तैयार करने का फैसला दिया था।


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